बिहार में शामिल होने जा रहे उत्तर प्रदेश के 15 गांव, जानें क्यों लिया गया इस तरह का फैसला
Bihar News पश्चिम चंपारण में शामिल होंगे गांव प्रमंडलीय आयुक्त ने राज्य सरकार को भेजी अनुशंसा।बिहार के भी सात गांव उत्तर प्रदेश में होंगे शामिल सरकार करेगी अंतिम निर्णय। विकासित होते बिहार को देख पश्चिम चंपारण के लोगों का मन अब भी डोल रहा।

मुजफ्फरपुर, जासं। उत्तर प्रदेश के 15 गांवों को बिहार के पश्चिम चंपारण में शामिल करने की पहली प्रक्रिया पूरी हो गई है। साथ ही, पश्चिम चंपारण के सात गांवों को उत्तर प्रदेश में शामिल करने की भी शुरुआती बाधा समाप्त हो गई है। प्रमंडलीय आयुक्त मिहिर कुमार सिंह ने इसकी अनुशंसा राज्य सरकार को भेज दी है। अब गेंद राज्य और केंद्र सरकार के पाले में है। वहां से स्वीकृति के बाद दोनों राज्यों की भौगोलिक संरचना में परिवर्तन हो जाएगा। बगहा के गंडक पार के सात गांव भौगोलिक रूप से उत्तर प्रदेश से जुड़े हैं। यहां के ग्रामीणों को वहां से होकर आना-जाना पड़ता है। ठीक यही हाल उत्तर प्रदेश के कुशीनगर व महाराजगंज जिले के गांवों का है। इससे कई तरह की प्रशासनिक परेशानी होती है। ग्रामीणों को अपने खेत में जाने के लिए भी इस तरह की समस्या आती है।
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इन गांवों का होगा हस्तांतरण
इन्हें देखते हुए गांव के हस्तांतरण को लेकर पश्चिम चंपारण के समाहर्ता से जांच कराते हुए राज्य के गृह विभाग ने प्रमंडलीय आयुक्त से रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद प्रमंडलीय आयुक्त ने गृह विभाग के अपर सचिव को रिपोर्ट भेज दी है। इसमें कहा है कि यूपी के महाराजगंज के कपरधिक्का, नरसिंहपुर, सोहगीबरवा, भोथहा, खुटहवा, वनसप्ती, शिकारपुर व बकुलहिया एवं कुशीनगर के नारायणपुर, बकुलादह, हरिहरपुर, बसंतपुर, मरचहवा, शिवपुर व बालगोविंद छपरा गांव प्रशासनिक दृष्टिकोण से बिहार में शामिल किए जा सकते हैं। इसके अलावा पश्चिम चंपारण के बगहा अनुमंडल के सात गांव बैरी स्थान, मंझरिया, मझरिया खास, श्रीपतनगर, नैनहा, भैसही और कतकी को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में शामिल किया जा सकता है।
दूसरे राज्य में जाने की अब चाहत नहीं
राज्य में विकास देख पश्चिम चंपारण के लोगों का मन अब बदल रहा है। वे उत्तर प्रदेश में शामिल होना नहीं चाहते। पिपरासी प्रखंड की सेमरा लवेदहा पंचायत के पूर्व मुखिया छेदीलाल प्रसाद कहते हैं, अपना राज्य व जिला पसंद है। सड़क, बिजली, सुरक्षा, पेयजल, आवास आदि की सुविधा मिल रही है। मंझरिया पंचायत स्थित बाहरी स्थान गांव निवासी सुनील सहनी ने कहा कि पहले अपराध चरम पर था। घर से 100 मीटर की दूरी उत्तर प्रदेश में बिजली थी, लेकिन अब बिजली, सुरक्षा, सरकारी सुविधाएं यहीं मिल रही हैं, इसलिए वहां नहीं जाएंगे। मंझरिया पंचायत स्थित कतकी गांव निवासी यशवंत शर्मा ने कहा कि हमलोग बिहार के मतदाता हैं। पहले सुविधा नदारद थी। लोग असुरक्षित थे। अपहरण कर लेवी की रकम मांगते थे। अपराधियों के खौफ से दियारे में खेती नहीं होती थी। उस दौर में वे वहां जाना चाहते थे। कुछ ग्रामीण पलायन भी कर गए। अब हमारे गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, बिजली, पेयजल, रोड, पुल पुलिया, सुरक्षा मिल रही है।
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