Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Robin Shaw Pushp Birthday: टेंट में लिया जन्म, फिर बन गए देश के प्रख्यात साहित्याकर; यहां पढ़ें रॉबिन शॉ से जुड़े रोचक किस्से

    By Rajnish KumarEdited By: Mukul Kumar
    Updated: Tue, 19 Dec 2023 03:20 PM (IST)

    प्रख्यात साहित्यकार रॉबिन शॉ पुष्प का बुधवार यानी कि 20 दिसंबर को जन्मदिन है। इस मौके पर आज हम आपको उनसे जुड़ी खास बातें बताने जा रहे हैं। मुंगेर के पोलो मैदान में भूकंप पीड़ितों के लिए बनाए गए एक टेंट में उनका जन्म हुआ था। रॉबिन शॉ समाज में फैले सामंतवाद व रूढ़ीवाद के घोर विरोधी थे। उनकी रचनाओं में यह विरोध साफ दिखाई देती थी।

    Hero Image
    लेखन करते राबिन शा पुष्प। सौजन्य : स्वजन

    शितांशु शेखर, मुंगेर। मुंगेर संस्कृति और साहित्य की धरती रही है। यह धरती देश के प्रख्यात साहित्यकार रॉबिन शॉ पुष्प की जननी बनी। 20 दिसंबर, 1934 को मुंगेर के पोलो मैदान में भूकंप पीड़ितों के लिए बनाए गए एक टेंट में रॉबिन शॉ पुष्प का जन्म हुआ।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    15 जनवरी, 1934 को मुंगेर में आए भीषण भूकंप से तबाह शहर के तोपखाना बाजार से रॉबिन का परिवार शरण के लिए इस राहत शिविर में आए थे। पिता रतन जान शा मुंगेर व्यवहार न्यायालय में कार्यरत थे, जो अपने पांच पुत्रों व दो पुत्रियों के साथ तोपखना बाजार में रहते थे।

    इस शिविर में रॉबिन शॉ पुष्प का जन्म हुआ था। रॉबिन शॉ की मां शी-ला ग्रेस शा हिंदी, उर्दू और बांग्ला सहित्य से लगाव रखती थीं। वे जाने-माने साहित्यकार रवींद्र नाथ टैगोर के करीब थीं। स्वतंत्रता के पूर्व अंग्रेजी समाज में पल-बढ़ रहे रवींद्र ने स्कूल में अपना नाम रॉबिन शॉ लिखवाया।

    वह घर में सबसे छोटे होने के कारण वे सबके दुलारे थे। जन्म के कुछ दिनों बाद इनका परिवार बेगूसराय चला गया। कुछ वर्षों बाद इनका परिवार फिर मुंगेर लौटा और रॉबिन शॉकी उच्च शिक्षा मुंगेर के आरडी एंड डीजे कॉलेज से हुई। बाद में इन्होंने लखनऊ जाकर पढ़ाई की और वहीं से उनके लेखन का सिलसिला शुरू हुआ।

    कई बड़े पुरस्कारों से नवाजा गया

    इनकी पत्नी डा. गीता पुष्प शा उन दिनों की बात बताती हैं, जब रेडियो शिलांग पर लेसलीन संगीत बहार कार्यक्रम में गीतों की प्रस्तुति पर पाठकों की राय मांगी जाती थी। बेहतर राय देने वालों को पुरस्कृत भी किया जाता था। रॉबिन अक्सर उस कार्यक्रम के विजेता रहा करते थे।

    एक बार पहला पुरस्कार जबलपुर की गीता पटरथ ने जीत लिया। इसके बाद दोनों के बीच में मुलाकातें होने लगीं और 1966 में गीता पटरथ रॉबिन शॉ के साथ कोर्ट मैरेज कर गीता पुष्प शॉ बन गईं। गीता बताती हैं कि कोर्ट मैरेज होने के कारण उनकी शादी में शहनाई नहीं बज सकी थी।

    तब शादी के बाद रेडियो शिलांग ने लेसलीन संगीत बहार कार्यक्रम की शुरुआत में शहनाई बजाकर इन्हें बधाई दी और अपने सभी श्रोताओं को शादी की सूचना भी दी। रॉबिन शॉ और गीता के दो बच्चे है। बड़े पुत्र डा. संजय ओनील शॉ गुवाहाटी में मौसम विज्ञानी हैं और छोटे पुत्र सुमित आजमंड शॉ फिल्म निर्माण से जुड़े हैं।

    जेपी आंदोलन में हिस्सा

    रॉबिन शॉ समाज में फैले सामंतवाद व रूढ़ीवाद के घोर विरोधी थे। उनकी रचनाओं में यह विरोध साफ दिखाई देती थी। यही कारण था कि उन्होंने 1974 में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया था। रॉबिन फुटबाल और कैरम के भी धुरंधर थे। उन्हें खाने और खिलाने का बेहद शौक था। चाय उनकी कमजोरी थी।

    मुंगेर से गहरा लगाव

    रॉबिन पुप्प शा की पत्नी डा. गीता बताती हैं कि मुंगेर से उनके पति का गहरा लगाव था। शादी के बाद वे जबलपुर से रॉबिन के साथ पटना आ गईं और मगध कालेज में गृह विज्ञान की व्याख्याता की नौकरी से सेवानिवृत हुईं। इस दौरान रॉबिन और उनका लगातार मुंगेर आना-जाना लगा रहा।

    उन्होंने बताया कि इनके दोनों बच्चों का जन्म भी मुंगेर में ही हुआ है। आज रॉबिन नहीं हैं, फिर भी उनकी यादों को संजोने वे अपने पुश्तैनी घर तोपखाना बाजार आती हैं। गीता ने बताया कि मुंगेर स्थित उनके आवास पर पुष्प के साथ गोपाल सिंह नेपाली, फणीश्वरनाथ रेणु समेत अन्य समकालीन साहित्यकारों का आना-जाना लगा रहता था।

    कई फिल्मों में काम

    बिहार की पहली लघु फिल्म पाबंदी के लिए पटकथा लेखन रॉबिन ने ही किया था। नया सवेरा, माटी की पुकार, आत्महत्या, अपना दुश्मन सहित उस जमाने की कई चर्चित फिल्मों की पटकथा व संवाद लेखन उनकी ही कलम से हुआ था।

    डाक बाबू नाम की एक लघु फिल्म बनाई थी जिसमें भोजपुरी के मशहूर अभिनेता कुणाल सिंह और रीता भादुड़ी और जूनियर महमूद ने काम किया था। इसकी कहानी और गाने स्वयं पुष्प जी ने लिखे थे संगीत चित्रगुप्त का था और उषा मंगेशकर अनवर ने गाने गए थे।

    यह भी पढ़ें- शिक्षकों का फोन पर बात करना भी नहीं आ रहा रास, केके पाठक के शिक्षा विभाग ने लगाई पाबंदी

    यह भी पढ़ें- कचरा फेंकने का विवाद... दो पक्षों के बीच जमकर हुई मारपीट, नौ घायल

    comedy show banner
    comedy show banner