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    मुंगेर में अवैध मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन, तीन कारीगर गिरफ्तार; हथियार और उपकरण बरामद

    By Manish KumarEdited By: Nishant Bharti
    Updated: Thu, 25 Dec 2025 07:47 PM (IST)

    मुंगेर में एक अवैध मिनी गन फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन कारीगरों को गिरफ्तार किया है। मौके से भारी मात्रा में हथ ...और पढ़ें

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    अवैध मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन

    संवाद सहयोगी, मुंगेर। एसटीएफ और मुफस्सिल थाना पुलिस ने गुरुवार को संयुक्त रूप से अवैध हथियार निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए गुरुवार की सुबह तारापुर दियारा इलाके में छापेमारी की। इस क्रम में अवैध मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन किया गया। 

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    इस छापेमारी में पुलिस ने भारी मात्रा में हथियार और हथियार बनाने का उपकरण बरामद किया है। इसके साथ ही मौके वारदात से तीन कारीगरों को गिरफ्तार किया गया है। सभी लंबे समय से चोरी-छिपे हथियार निर्माण का काम कर रहे थे। 

    संगठित तरीके से हथियारों का निर्माण 

    पुलिस के अनुसार छापेमारी के दौरान दो पिस्टल, सात बेस मशीन, एक अर्द्धनिर्मित पिस्टल, चार जिंदा कारतूस, दो ड्रिल मशीन, अर्द्धनिर्मित मैगजीन सहित हथियार बनाने में प्रयुक्त कई उपकरण बरामद किया गया है। बरामद सामान से यह स्पष्ट है कि यहां संगठित तरीके से हथियारों का निर्माण किया जा रहा था। 

    मुफस्सिल थानाध्यक्ष विपिन कुमार सिंह को सूचना मिली थी कि तारापुर दियारा क्षेत्र में कुछ लोग छिपकर अवैध हथियार बना रहे हैं। सूचना की गंभीरता को देखते हुए इसकी जानकारी एसपी सैयद इमरान मसूद को दी गई। 

    दल-बल के साथ चिह्नित स्थानों की घेराबंदी

    एसपी के निर्देश पर एसडीपीओ अभिषेक आनंद के नेतृत्व में मुफस्सिल थानाध्यक्ष विपिन कुमार सिंह व पूरबसराय थानाध्यक्ष सौरभ कुमार ने दल-बल के साथ चिह्नित स्थानों की घेराबंदी कर छापेमारी की। पुलिस जब मौके पर पहुंची तो देखा कि कुछ लोग हथियार निर्माण में लगे हुए थे। जिन्हें तुरंत हिरासत में ले लिया गया। 

    गिरफ्तार कारीगरों की पहचान हरिणमार थाना क्षेत्र के रेता गांव निवासी छबीला सिंह, सीताकुंड बिंद टोली निवासी सौरभ कुमार और मंडल टोला निवासी सिंटु कुमार मंडल के रूप में हुई है। 

    एक पिस्टल की कीमत 25 से 30 हजार

    पूछताछ के दौरान गिरफ्तार आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन्हें बाहर से हथियार बनाने का मेटेरियल सप्लाई किया जाता था। इसके बाद वे पिस्टल और अन्य हथियारों को तैयार कर फाइनल टच देते थे। 

    आरोपितों ने यह भी बताया कि एक पिस्टल बनाने पर उन्हें करीब सात हजार रुपये मजदूरी मिलती थी, जबकि खुद से बिक्री करने पर एक पिस्टल की कीमत 25 से 30 हजार रुपये तक मिल जाती थी। 

    अन्य लोगों की तलाश जारी

    एसपी सैयद इमरान मसूद ने बताया कि इस मामले के मास्टरमाइंड सौरभ कुमार और छबीला सिंह पहले भी हथियार तस्करी के मामले में जेल जा चुका है। वहीं, तीसरा आरोपित सिंटु कुमार मंडल के आपराधिक इतिहास की भी जांच की जा रही है। 

    पुलिस का कहना है कि इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश जारी है और अवैध हथियार निर्माण व तस्करी के नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने के लिए जांच की जा रही है।