Bihar Govt School: मुंगेर में ये कैसी पाठशाला... तीन तरफ खेत और एक तरफ नाला... जानें, कितने सुरक्षित हैं बिहार के सरकारी स्कूल
Bihar Govt Schools बिहार में सरकारी स्कूलों की दशा में सुधार तो हुआ है लेकिन अब भी काफी कुछ होना बाकी है। मुंगेर के प्राथमिक विद्यालय मसुदनपुर में एक कमरे में पढ़ाई होती है तो दूसरे कमरे पर ग्रामीण का कब्जा है। इस स्कूल में न चहारदीवारी है और न शौचालय। बच्चों को पीने का पानी भी नसीब नहीं। जानें Kitne Surakshit Hain School

मनोज कुमार, असरगंज (मुंगेर)। Bihar Govt School infrastructure प्रखंड स्थित रहमतपुर पंचायत में एक ऐसा भी विद्यालय है जिसके तीन ओर धान का खेत तो एक ओर बड़ा नाला है। यह विद्यालय प्राथमिक विद्यालय मसुदनपुर है। यह अपने आप में एक खास विद्यालय है। इसमें कुल दो कमरे हैं। इसमें भी एक कमरे पर स्थानीय ग्रामीण ने कब्जा कर रखा है। इस कमरे में ग्रामीण ने मूसा रख बाहर से अपना ताला जड़ दिया है। वहीं दूसरे कमरे के एक कोने में एमडीएम बनता है तो शेष हिस्से में पहली कक्षा से लेकर पांचवीं तक के 78 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं। उपर से विद्यालय की छत जर्जर हो चुकी है, जिससे बारिश का पानी टपकता रहता है। विद्यालय में शौचालय का भी अभाव है। इतना ही नहीं यहां पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में शिक्षकों सहित बच्चों को अपने घर से ही पीने का पानी लेकर आना होता है तथा शौच के लिए वापस घर जाना पड़ता है।
विद्यालय जाने पर सुरक्षित वापस लौटने की चिंता
विद्यालय तक आज भी पहुंचने का एकमात्र माध्यम पगडंडी ही है। यहां तक अभी भी सड़क नहीं पहुंच पाई है। ऐसे में बरसात के दिनों में बच्चों के लिए विद्यालय तक जाना काफी जोखिम भरा काम हो जाता है। यदि खेत की मेड़ से फिसले तो या तो खेत में गिरकर चोटिल होंगे या फिर सीधे बड़े नाले में गिरने पर जान भी जा सकती है। ऐसे में बच्चों के विद्यालय के लिए निकलने पर अभिभावकों के लिए सबसे बड़ी चिंता उनके सकुशल घर वापस लौटने की होती है। दूसरी ओर कभी-कभी तो मेड़ पर फिसलन ऐसी होती है कि विद्यार्थी विद्यालय आने से परहेज कर लेते हैं। वहीं कोई विद्यालय आना चाहता है तो उसे आधे किलोमीटर से अधिक दूरी का चक्कर लगाना पड़ जाता है।
तीन शिक्षक के भरोसे पांच कक्षा की पढ़ाई
विद्यालय में नामांकित कुल 78 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए यहां प्रधानाध्यापक सहित तीन शिक्षकों को पदस्थापित किया गया है। इसमें तो प्रधानाध्यापक अजीत कुमार ने तो 31 जूलाई को प्रभार ही ग्रहण किया है। इसके पूर्व तो महज एक शिक्षक और एक शिक्षिका ही यहां कार्यरत थे। हालांकि यहां एमडीएम बनाने के लिए दो रसोइया बहाल किया गया है, पर विद्यालय में कहीं एमडीएम का मीनू चार्ट नहीं अंकित किया गया है। इतना ही नहीं विद्यालय भवन में बिहार का नक्शा और तंबाकू मुक्त क्षेत्र का मोनोग्राम भी नहीं लगाया गया है। यहां पढ़ने वाले बच्चों को एमडीएम खाने के लिए अब भी अपने अपने घरों से ही थाली और ग्लास लाना पड़ता है।
प्रधानाध्यापक की सुनें
वर्तमान प्रभारी प्रधानाध्यापक अजीत कुमार ने बताया कि उन्होंने 31 जुलाई को प्रभार ग्रहण किया है। जानकारी प्राप्त कर कमियों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। वहीं पूर्व प्रभारी प्रधानाध्यापक एलोन अंसारी ने बताया कि कई बार बीईओ और डीईओ को इस बारे में लिखित जानकारी दिए हैं।
इस स्कूल का है ये हाल
- 25 वर्ष पहले बना है भवन
- 78 विद्यार्थी हैं यहां नामांकित
- 03 शिक्षक का है पदस्थापन
- 02 रसोइया भी है कार्यरत
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