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    बिहार के इस मंदिर में पान चढ़ाने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं, अंग्रेज गवर्नर भी था माता का भक्त

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 12:55 PM (IST)

    बिहारीगंज के दुर्गा मंदिर में आजादी से पहले से ही विशेष पूजा होती आ रही है। यहां बंगाल के मूर्तिकार माता की प्रतिमा बनाते हैं। मान्यता है कि माता के दरबार में पान से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अष्टमी के दिन विशेष पूजा में श्रद्धालु पान अर्पित करते हैं। सच्चे मन से पूजा करने वालों की माता मनोकामना पूर्ण करती हैं।

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    ब्रिटिश शासन काल में लेफ्टिनेंट गवर्नर करते थे माता दुर्गा की पूजा, लगता था भव्य मेला

    शैलेश कुमार, बिहारीगंज (मधेपुरा)। आजादी से पूर्व ब्रिटिश राज के लेफ्टिनेंट गवर्नर सार्वजनिक दुर्गा मंदिर बिहारीगंज में पूजा करने आते थे। उस वक्त काफी धूमधाम से दुर्गा पूजा मेला लगता था।‌ उसी जमाने से बंगाल के मूर्तिकार द्वारा दशहरा से पूर्व एक माह रहकर माता की प्रतिमा बनाई जा रहीं हैं।

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    प्रतिमा निर्माण के दौरान मूर्तिकार उपवास में रहकर संध्या काल में फलाहार करते हैं। माता की शक्ति से प्रतिमा तैयार होंने पर जीवान्त तस्वीर की झलक दिखाई पड़ने लगती है। मां के विराजते ही दुर्गा शप्तशति का पाठ, महाआरती, महाभोग में श्रद्धालु समर्पित हो जाते हैं।

    सप्तमी, अष्टमी और नवमी को वैदिक मंत्रोचार के साथ भगवती की विशेष पूजा की जाती है। बताया जाता है कि बीतें वर्ष 1957 से पूर्व मान्यता पूरी होने पर भैंसा की बलि चढ़ाने की प्रथा थी। इसके बाद पाठा की बलि दी जाती थी।

    वर्ष 1999 में पाठा की बलि चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया। माता के दरबार में प्रसाद के रूप में नारियल और मिठाईयाँ चढ़ाई जातीं हैं। उस जमाने में अधिकतर लोग बैलगाड़ी व पैदल अपनें परिवारों के साथ मेला देखने के लिए आते थे।

    यहां कलश स्थापन से विजया दसवीं तक मेला लगता था। जिस कारण लोग अपने रिश्तेदारों के रूककर मेला का आनंद लेते थे। आज बढती जनसंख्या के कारण दुर्गा मंदिर के आसपास घरों बन जाने से जगह की कमी के कारण मेला का स्वरूप बदल गया है।

    आजादी से पूर्व झोपड़ीनुमा घर में होती थी माता के पिंडी की पूजा

    माता के पिंड की स्थापना की जानकारी बुजुर्ग लोगों भी नहीं बता पा रहे हैं। कहते है कि उनके दादा- परदादा भी माता की पिंडी का पूजा करने की कहानी कहते थे। यहां जो श्रद्धालु स्वच्छ भावना से मनोकामनाएं रखकर पूजा- अर्चना करतें हैं।

    माता उसकी झोली भर देतीं हैं। आजादी से पूर्व झोपड़ीनुमा मंदिर में माता की पूजा होती थी। आजादी के बाद ग्रामीणों के सहयोग से पक्की मंदिर बनाया। मंदिर का भवन जर्जर होने की स्थिति में वर्ष 2009 में मंदिर भवन का नव निर्माण कराया गया है। इधर पूजा कमिटि ने जनसहयोग से सौन्दर्यीकरण कराया गया है। वहीं व्यवसायी सागरमल अग्रवाल के पुत्र ऑल इंडिया सीए के पूर्व चेयरमैन रंजीत अग्रवाल भगवान हनुमान की भव्य प्रतिमा स्थापित कराया है।

    पान के पत्ते से होती है मनोकामना पूर्ण

    माता के दरबार में मनोकामना पूरी होने के लिए श्रद्धालुओं पान कराते हैं। इसके लिए अष्टमी के दिन पंडित विशेष पूजा करतें हैं। इस दिन जो श्रद्धालु माता के दरबार में अपनी मनोकामना रखतें हैं।

    उसके लिए मंदिर के पुजारी माता के चरण पर पान रखकर भींगा अरवा चावल रखकर धूप- दीप जलाकर पूजा- अर्चना करते हुए माता से पान देने की गुहार लगाते है। इस दौरान स्वतः चावल पर रखे पान का पत्ता गिरने पर मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता हैं।

    पारंपरिक विधि- विधान एवं निष्ठा के साथ पूजा- अर्चना किए जाने की वजह से आसपास इलाके के श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। यहा पर अष्टमी व नवमी में पान कराने की काफी महत्ता हैं। इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं शामिल होतें है।- राजेश कुमार साह, अध्यक्ष, सार्वजनिक दुर्गा मंदिर कमेटी बिहारीगंज (मधेपुरा)

    माता के दरबार में जो भक्त सच्चे मन से पूजा- अर्चना करते हैं। माता उसकी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। माता पट सप्तमी को खोलने की वर्षों परंपरा चली आ रहीं है। जिस श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती है, तो उसके द्वारा जेवरात व मिठाइयां चढ़ाते है।- पं. मुरारी राय, सार्वजनिक दुर्गा मंदिर बिहारीगंज (मधेपुरा)