Madhepura News: बैडमिंटन खिलाड़ी के साथ मारपीट करने वाले ADM दोषी करार, मिली ये सजा
मधेपुरा के बीपी मंडल इंडोर स्टेडियम में एडीएम शिशिर मिश्रा द्वारा बैडमिंटन खिलाड़ियों से मारपीट करने का मामला सामने आया था। जिसके बाद इसकी जांच के लिए टीम का गठन किया गया। घटना के वीडियो के आधार पर जांच टीम ने एडीएम को दोषी करार दिया है। साथ ही उन्हें खेल व सूचना जनसंपर्क विभाग के वरीय प्रभार से मुक्त कर दिया है।
संवाद सूत्र, मधेपुरा। बीपी मंडल इंडोर स्टेडियम में बैंडमिंटन खेलने के दौरान एडीएम शिशिर मिश्रा द्वारा खिलाड़ियों के साथ मारपीट के मामले की जांच रिपोर्ट में उन्हें दोषी पाया गया है। डीसीसी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने जांच के दौरान पाया है कि एडीएम ने खिलाड़ियों के साथ मारपीट की है।
जांच रिपोर्ट के आधार पर शुक्रवार को डीएम तरनजोत सिंह ने उन्हें खेल व सूचना जनसंपर्क विभाग के वरीय प्रभार से मुक्त कर दिया है। साथ ही उनके खिलाफ समान्य प्रशासन विभाग को भी पत्र भेजा है।
डीएम ने बताया कि जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि एडीएम ने खिलाड़ियों के साथ मारपीट की है, जो सरकारी अधिकारी के आचरण के खिलाफ है।
रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र भेजा गया है। वहीं जांच कमेटी के अध्यक्ष सह डीडीसी अवधेश कुमार आनंद ने बताया कि जांच के दौरान घटना से संबंधित वीडियो फुटेज को गंभीरता से देखा गया।
इसके साथ-साथ पीड़ित खिलाड़ी, उसके अभिभावक व अन्य साथी खिलाड़ियों का भी बयान दर्ज किया गया। सभी बिंदुओं पर आपस में चर्चा करने के बाद कमेटी के सदस्य इस नतीजे पर पहुंचे की घटना सत्य प्रतीत हो रही है। इस संबंध में आरोपित अधिकारी का भी पक्ष सुना गया, जो वीडियो फुटेज के सामने नहीं ठहर पाया।
सोशल मीडिया में वायरल हुआ वीडियो
एडीएम शिशिर मिश्रा द्वारा खिलाड़ी को पीटने का वीडियो सोशल मीडिया में भी काफी तेजी से वायरल हुआ। वीडियो सामने आने के बाद इस पूरे मामले में जांच टीम का गठन किया गया था।
अब इस पूरे मामले में वीडियो को ही आधार मानकर जांच टीम ने उन्हें दोषी ठहराया है। इसके साथ ही उन्हें खेल व सूचना जनसंपर्क विभाग के प्रभार से भी मुक्त कर दिया गया है।
वीडियो फुटेज को झुठलाने की कोशिश
जांच के दौरान घटना को झुठलाने का प्रयास भी किया गया। सूत्रों की मानें तो पीड़ित खिलाड़ी के रैकेट को पुलिस ने मारपीट के दौरान तोड़ दिया था, उसके लिए एडीएम ने उसे 16 हजार रुपए जुर्माने के तौर पर दिया था।
इसके साथ अपने पद का धौंस व अन्य तरह का लोभ देकर पीड़ित, उसके भाई व अभिभावक को प्रभावित करने की कोशिश भी की गई। हालांकि, इन सबके बाद भी सच्चाई को नहीं दबाया जा सका। जांच रिपोर्ट में अधिकारी दोषी साबित हुए।
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