Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar Politics: सिटिंग सीट पर भी लालू यादव की RJD में होड़, नीतीश कुमार की JDU में शांति

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 08:11 AM (IST)

    मधेपुरा जो समाजवाद की राजनीति का केंद्र रहा है बिहार की राजनीति में हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। भूपेंद्र नारायण मंडल और बी.पी. मंडल जैसे नेताओं का यह गृह क्षेत्र है और शरद यादव व लालू यादव की कर्मभूमि भी रही। वर्तमान में मधेपुरा जिले की चार में से दो विधानसभा सीटें राजद के पास हैं जबकि अन्य दो जदयू के पास।

    Hero Image
    सिटिंग सीट पर भी लालू यादव की RJD में होड़, नीतीश कुमार की JDU में शांति

    अमितेष, मधेपुरा। समाजवाद की राजनीति का केंद्र रहे मधेपुरा जिले का सूबे की राजनीति में हमेशा दखल रहा है। समाजवाद के पुरोधा कहे जाने वाले भूपेंद्र नारायण मंडल व वंचितों को मुख्यधारा से जुड़ने का अधिकार देने वाली मंडल कमीशन के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल (बीपी मंडल) का भी गृह क्षेत्र है। यह शरद यादव व लालू यादव की भी कर्मभूमि रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दोनों नेता एक-दूसरे को पराजित कर संसद पहुंचे और केंद्र सरकार में मंत्री भी बने। पूर्णिया के वर्तमान सांसद पप्पू यादव की राजनीतिक यात्रा भी 1990 में मधेपुरा से ही शुरू हुई थी। वे सिंहेश्वर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीतने में सफल रहे थे। इसके बाद पप्पू दो बार मधेपुरा के सांसद रहे।

    जनसंघ को मधेपुरा में पहली जीत दिलाने वाले राजनंदन यादव हों या फिर विद्याकर कवि, वीरेंद्र सिंह सरीखे राजनेताओं की भी यह कर्मभूमि रही है। बाद के दिनों में मधेपुरा जिले की राजनीति शरद, नीतीश और लालू के इर्दगिर्द ही घूमती नजर आई।

    यही वजह है कि हर चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक पखवाड़े का पड़ाव मधेपुरा में रहता है। यहीं से कोसी-सीमांचल में चुनावी सभा करने जाते रहे हैं।

    तेजस्वी यादव भी मधेपुरा में विशेष रूप से रुचि लेते हैं। इसे राजद का गढ़ भी कहा जाता रहा है। जिले की चार में से दो विधानसभा सीटों मधेपुरा सदर व सिंहेश्वर पर राजद का कब्जा है। बिहारीगंज व आलमनगर सीट जदयू के पास है।

    दिलचस्प यह है कि राजद की दोनों सिटिंग सीटों पर टिकट के लिए होड़ लगी है। खासकर, मधेपुरा सदर सीट के लिए वर्तमान विधायक प्रो. चंदशेखर के अलावा दर्जन भर नेता खुद को टिकट की रेस में बता रहे हैं। प्रो. चंदशेखर लगातार तीन बार से विधायक हैं। यहां मल्टी नेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर ई. प्रणव प्रकाश विगत 10 महीने से क्षेत्र में डटे हैं।

    इनके अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के पुत्र शांतनु, जिलाध्यक्ष जयकांत यादव, गत लोकसभा में प्रत्याशी रहे प्रो. कुमार चंद्रदीप, पूर्व जिलाध्यक्ष प्रो. अरविंद यादव आदि भी डटे हैं। कई अन्य नाम भी चर्चा में हैं।

    इसी तरह, सिंहेश्वर (सुरक्षित) सीट से विधायक चंद्रहास चौपाल के साथ-साथ पूर्व विधायक अमित भारती, डॉ. कुंदन कुमार सुमन, मुखिया वीरेंद्र शर्मा समेत कई अन्य नेता भी खुद को रेस में बता रहे हैं। ठीक इसके उलट जदयू की सिटिंग सीट पर किसी और नाम की चर्चा भी नहीं है।

    आलमनगर से विधानसभा उपाध्यक्ष नरेंद्र नारायण यादव और बिहारीगंज से निरंजन मेहता ही संभावित प्रत्याशी होंगे। राजद के कब्जे वाली सीट पर भी सिंहेश्वर (सुरक्षित) में पूर्व मंत्री डॉ. रमेश ऋषिदेव के अलावा दूसरे कोई सक्रिय नहीं दिख रहे हैं। हालांकि, मधेपुरा सदर के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बीपी मंडल के पौत्र निखिल मंडल स्वाभाविक दावेदार माने जा रहे हैं।

    इसकी वजह यह है कि वे गत 2020 के चुनाव में भी जदयू के उम्मीदवार थे। त्रिकोणीय मुकाबले में बाजी राजद के हाथ लगी थी। वहीं मधेपुरा के दो बार सांसद रहे आरपी यादव के पुत्र डॉ. सत्यजीत यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष विजेंद्र यादव व युवा जदयू नेता श्वेत कमल उर्फ बौआ यादव भी चर्चा में हैं।

    यह भी पढ़ें- Bihar Politics: 136+52+34+20... सीट शेयरिंग का फॉर्मूला फाइनल, राजद-कांग्रेस दिखाएंगे बड़ा दिल

    यह भी पढ़ें- Bihar Politics: '...फिर मुख्यमंत्री बनो', चौबे ने बिना नाम लिए रख दी बड़ी शर्त; सियासी अटकलें तेज