100 साल से कब्जे में जमीन, सरकार ने खरीद-बिक्री पर लगा रखी रोक! पूर्व IAS ने की जांच की मांग
लखीसराय जिले के बड़हिया क्षेत्र में हजारों किसान गैर-मजरूआ जमीन पर लगे प्रतिबंध से परेशान हैं। 2016 में सरकार ने इन जमीनों को गैर-मजरूआ घोषित कर दिया जिससे खरीद-बिक्री रुक गई। इससे गरीब परिवारों को शिक्षा और विवाह जैसे कार्यों के लिए पैसे जुटाने में दिक्कत हो रही है। पूर्व आईएएस गोरखनाथ ने जांच की मांग की है ताकि सरकार की गलती सुधारी जा सके और किसानों को न्याय मिले।

मृत्युंजय मिश्रा, लखीसराय। बड़हिया नगर परिषद और प्रखंड क्षेत्र के हजारों किसान आज भी सरकार की एक पुरानी नोटिफिकेशन की कीमत चुका रहे हैं। जिस जमीन पर वे सौ साल से काबिज हैं, वहां 2016 में बिहार सरकार ने गैर-मजरूआ मालिक का ठप्पा लगाकर खरीद-बिक्री और निबंधन पर पाबंदी लगा दी। नतीजा यह हुआ कि गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के सामने बच्चों की पढ़ाई और बेटियों की शादी तक के लिए पैसे जुटाना नामुमकिन हो गया है।
बावजूद राजनीतिक दलों एवं जनप्रतिनिधियों के लिए यह मुद्दा नहीं बन पाया है, लेकिन इस विधानसभा चुनाव से पहले यह बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है। पूर्व आईएएस अधिकारी एवं कांग्रेस नेता गोरखनाथ का कहना है कि सरकार ने उनके साथ अन्याय किया है। हमारी ही जमीन पर से हमारा हक छीन लिया गया।
उन्होंने इस मुद्दे पर लखीसराय के जिलाधिकारी से मांग की है कि इस मामले की जांच कर रिपोर्ट भेजी जाए, ताकि राज्य सरकार की गलती सुधारी जा सके।
उधर, क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि वे करीब सौ वर्षों से उक्त जमीनों पर काबिज हैं और वर्ष 2016 के पूर्व इस भूमि की वैध रूप से खरीद-बिक्री होती रही है। अचानक लगी रोक के कारण परिवारों को बच्चों की उच्च शिक्षा, बेटियों के विवाह और जीवन-यापन में आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है।
मुख्य सचिव और भूमि सुधार विभाग तक पहुंचा मामला
पूर्व आइएएस अधिकारी एवं कांग्रेस नेता गोरखनाथ ने इस मामले को लेकर जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में कहा गया है कि मुख्य सचिव बिहार ने अपने पत्रांक 4810 दिनांक 14 अक्टूबर 2024 के माध्यम से इस मामले को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को भेजा था, ताकि उचित कार्रवाई हो सके।
इसके बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सहायक निदेशक (भू-अर्जन) सह संयुक्त सचिव ने जिला प्रशासन को पत्रांक 138 दिनांक 31 जनवरी 2025 को निर्देश जारी कर मंतव्य सहित प्रतिवेदन मांगा था। हालांकि, शिकायत यह है कि अभी तक जिला प्रशासन ने जांच कर रिपोर्ट विभाग को नहीं भेजी, जिसके कारण हजारों लोग असमंजस में फंसे हुए हैं।
गरीबों की कमर टूट गई, अब समाधान चाहिए
गोरखनाथ ने कहा है कि भूमि विवाद के चलते बड़हिया नगर एवं प्रखंड के आंशिक क्षेत्र के किसान बेहद कठिनाई झेल रहे हैं। जिन लोगों ने वर्षों की मेहनत से जमीन बनाई है, वे अब अपनी संपत्ति का उपयोग भी नहीं कर पा रहे। उन्होंने मांग की है कि जिला प्रशासन इस मामले की त्वरित जांच कर रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजे, ताकि गरीबों को न्याय मिल सके।
जनता में आक्रोश, समाधान की उम्मीद
क्षेत्र के ग्रामीणों ने भी जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि जनहित के इस मुद्दे का समाधान शीघ्र निकाला जाए। उनका कहना है कि यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे आंदोलन करने को विवश होंगे। दुर्भाग्य है कि यहां के जनप्रतिनिधियों ने कभी इसे अपना मुद्दा नहीं बनाया।
ग्रामीणों ने सुनाई अपनी पीड़ा
हमारी जमीन पर दादा-परदादा के समय से खेती कर रहे हैं। टैक्स भी हम ही जमा करते हैं। एक जरूरी कार्य से जमीन बेचने की सोची, लेकिन रोक के कारण कोई खरीदार नहीं मिल रहा। सरकार बताए, गरीब आदमी कहां जाए। अगर यही हाल रहा तो बच्चों की पढ़ाई भी छूट जाएगी। - दीपू शंकर सिंह, उफरौर
मई 2016 से पहले इस जमीन की खरीद-बिक्री होती थी। कई मौके पर समाज के लोगों ने थोड़ी जमीन बेचने की कोशिश की लेकिन रजिस्ट्री पर रोक होने से काम नहीं बना। सरकार गैर-मजरूआ का ठप्पा हटाए, ताकि गरीब लोग अपनी जरूरतें पूरी कर सकें। वरना स्थानीय लोगों के लिए तो यह जमीन बोझ बन गई है। - मनोरंजन कुमार, बड़हिया
हमारी पुश्तैनी जमीन है लेकिन सरकार ने रोक लगाकर हमें ही बेघर कर दिया। बैंक भी जमीन को गिरवी नहीं मान रहा। नौकरी की तलाश में बाहर जाने की सोच रहा था, लेकिन अब पैसे नहीं जुटा पा रहे। प्रशासन सिर्फ पत्राचार करता रह गया और लोग धीरे-धीरे बर्बादी की ओर बढ़ रहे हैं। - मिथलेश कुमार, महरामचक
पचास साल से इसी जमीन पर अनाज उपजा रहे हैं। मुहल्ले एवं आस-पास में बेटे-बेटियों के भविष्य के लिए लोग इसे बेचना चाहते हैं तो सरकार ने रास्ता बंद कर दिया। प्रशासन सुन ही नहीं रहा। गरीबों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों। हमारी अपील है कि इस मामले को गंभीरता से लें और रोक हटाएं। - रामचंद्र सिंह, इंदुपुर
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