Lakhisarai News: बिहार की बेटी का कमाल, पिता जिस स्कूल में टीचर; बेटी वहीं बनी हेडमास्टर
Lakhisarai News बिहार के लखीसराय में एक ऐतिहासिक घटना हुई। यहां पिता जिस स्कूल में टीचर हैं उनसे प्रभार लेकर उनकी बेटी उसी स्कूल में हेडमास्टर बनकर आ गई। सूर्यगढ़ा के प्राथमिक विद्यालय भागवतचक में बेटी नवोदिता ने पिता अमन कुमार से विद्यालय का प्रभार लेकर नया इतिहास बनाया। इस भावुक क्षण में सबने बेटी की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।

बमबम कुमार, सूर्यगढ़ा (लखीसराय)। Lakhisarai News पिता के विभाग में ही उनसे ऊंचे पदों पर उनके बच्चों के जाने की ढेरों प्रेरणादायक उदाहरण सामने आते रहे हैं पर सोमवार को सूर्यगढ़ा नगर परिषद के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, भागवतचक में जो अध्याय लिखा गया वह अद्वितीय है। यहां एक बेटी अपने शिक्षक पिता से प्रभार लेकर हेडमास्टर की कुर्सी पर आसीन हुई। यह क्षण पिता-पुत्री ही नहीं बल्कि हर किसी को भावुक करने वाला रहा।
विद्यालय के एक छोटे से कमरे में निवेदिता और अमन कुमार के बीच प्रभार देने-लेने का यह मौका पिता-पुत्री के रिश्ते को नई ऊंचाई देने वाला ही नहीं बल्कि इसे पेशेवर बनाने वाला भी माना जा रहा है। पिता अमन अभी सेवारत हैं। अमन कुमार 2006 से इस विद्यालय में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। वे 2016 से इस विद्यालय में प्रधानाध्यापक के प्रभार में थे। वे जनवरी 2030 सेवानिवृत्त होंगे। इस हिसाब से वे अगले साढ़े चार वर्षों तक अपनी पुत्री निवेदिता के नेतृत्व में विद्यालय में पूर्व की तरह शिक्षादान करते रहेंगे।
स्कूल के शिक्षकों व छात्रों ने बताया कि अमन अपने व्यवहार और पठन-पाठन के पेशेवर तरीके के कारण स्कूल में अपने सहकर्मियों व छात्रों के बीच लोकप्रिय होते गए। इलाके में एक योग्य गुरु की पहचान बनाई। उन्होंने अपने बच्चों को भी जतन से पढ़ाया और इस योग्य बनाया कि बेटी निवेदिता ही उनके द्वारा सींचे जा रहे इस विद्यालय रूपी बगिया को विस्तार देने आई है।
इस स्कूल की प्रधानाध्यापक बनने से पहले निवेदिता मध्य विद्यालय जकड़पुरा की शिक्षिका के रूप में कार्यरत थीं। जिले के 419 प्राथमिक विद्यालयों में बिहार लोक सेवा आयोग ने परीक्षा लेकर से पहली बार प्रधान शिक्षकों की पदस्थापना की है। इसी क्रम में निवेदिता की पदस्थापना उसके पिता के विद्यालय में हुई।
अमन ने जब अपनी पुत्री को प्रभार सौंपा तो उनकी आंखों में खुशी और गर्व के आंसू थे। नवोदिता ने कहा- 'यह मेरे जीवन का सबसे अनमोल और अविस्मरणीय क्षण है। पिता ने जिस विद्यालय को अपने कर्म और समर्पण से संजोया, आज उसी जिम्मेदारी को आगे बढ़ाने का अवसर मुझे मिला है। यह मेरे लिए गर्व और कर्तव्य दोनों का संगम है।'
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