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    महागठबंधन के गढ़ में सेंधमारी के लिए पूरी ताकत लगा रहा NDA, औवैसी की पार्टी दिला सकती है जीत

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 09:02 AM (IST)

    किशनगंज बिहार में महागठबंधन का दबदबा रहा है पर इस बार एनडीए पूरी ताकत से मैदान में है। एआइएमआइएम के चुनाव लड़ने से महागठबंधन के वोट बंट सकते हैं जिसका फायदा एनडीए को मिल सकता है। ठाकुरगंज और बहादुरगंज जैसी सीटों पर कांग्रेस का दबदबा रहा है लेकिन पिछले चुनावों में परिणाम बदले हैं।

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    महागठबंधन के गढ़ में पूरी ताकत लगा रहा है एनडीए

    अमरेंद्र कांत, किशनगंज। बिहार में सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या वाला किशनगंज जिला महागठबंधन का गढ़ रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां की चार सीटों में से दो पर महागठबंधन ने जीत हासिल की थी, जबकि दो सीट औवेसी की पार्टी एआइएमआइएम के खाते में गई थी।

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    हालांकि बाद में एआइएमआइएम के दो विधायक राजद में शामिल हो गए। इस कारण अभी चारों सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है, लेकिन इस बार तस्वीर बदल सकती है। एनडीए यहां पूरी ताकत से मैदान में उतर रहा है और उसे उम्मीद है कि औवेसी की पार्टी के स्वतंत्र चुनाव लड़ने से महागठबंधन का समीकरण बिगड़ सकता है।

    अगर एआइएमआइएम यहां से अपना प्रत्याशी उतारेगी तो महागबंघन के वोट में सेंधमारी होगी और एनडीए को इसका फायदा मिल सकता है। पिछले चुनाव में किशनगंज सदर सीट से कांग्रेस के इजहारूल हुसैन ने भाजपा प्रत्याशी स्वीटी सिंह को महज 1381 वोट से हराया था।

    एआइएमआइएम के कमरूल होदा 41,904 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। इसी तरह ठाकुरगंज सीट पर 1952 से ही कांग्रेस का वर्चस्व रहा है। 2020 के चुनाव में राजद के सऊद आलम ने स्वतंत्र प्रत्याशी गोपाल कुमार अग्रवाल करीब 23 हजार मतों से हरा दिया था।

    यहां से जदयू के नौशाद आलम 22,082 मत लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे, जबकि एआइएमआइएम के महबूब आलम 18,925 मत लाकर चौथे स्थान पर रहे। यहां से 1995 में भाजपा के सिकंदर सिंह ने जीत हासिल की थी। एनडीए इन दोनों सीटों को जीतने के लिए इस बार पूरी ताकत झोंक दी है।

    एक बार सपा से चुनाव जीत चुके पूर्व विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल हाल ही में जदयू में शामिल हुए हैं। वे यहां से अपनी मजबूत दावेदारी दे रहे हैं। हाल ही में एनडीए ने ठाकुरगंज के ही गांधी मैदान से कार्यकर्ता सम्मेलन कर चुनाव की हुंकार भरी है। सम्मेलन में कई नेताओं ने कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है।

    16 में 10 बार जीत चुकी है कांग्रेस

    बहादुरगंज विधानसभा सीट पर अब तक कांग्रेस का दबदबा रहा है। 16 चुनावों में से 10 बार कांग्रेस यहां जीती है। हालांकि 2020 में एआइएमआइएम के मोहम्मद अंजार नईमी ने जीत हासिल कर कांग्रेस के गढ़ को तोड़ दिया। उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी के लखन लाल पंडित को हराया, जबकि कांग्रेस के मोहम्मद तौसीफ आलम तीसरे स्थान पर रहे।

    नईमी अब राजद में शामिल हो चुके हैं और राजद से उम्मीदवार हो सकते हैं। इस बीच एनडीए भी यहां से मजबूत प्रत्याशी उतारने की रणनीति पर काम कर रहा है।

    कोचाधामन में हर बार बदलती रही तस्वीर

    कोचाधामन सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। अभी तक के तीन विधानसभा चुनाव में जनता ने हर बार नए चेहरे पर भरोसा जताया है। साल 2010 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी अख्तारुल ईमान ने जदयू के मुजाहिद आलम को 9025 मतों के अंतर से हराया था।

    हालांकि मुजाहिद आलम 2014 के उपचुनाव में जदयू के टिकट से ही पहली बार चुनाव जीते। फिर 2015 के विधानसभा चुनाव में भी विधायक बने। अब मुजाहिद आलम ने जदयू को छोड़कर राजद का दामन थाम लिया। एनडीए इस सीट को अपने लिए संभावित अवसर मान रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि यहां जदयू पहले जीत चुका है।

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