Bihar Politics: ठाकुरगंज की जनता ने हर दल को चखाया जीत का स्वाद, कांग्रेस पर रही सबसे अधिक मेहरबान
किशनगंज के ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है। मतदाताओं ने किसी एक दल पर भरोसा नहीं जताया बल्कि सभी को मौका दिया है। कांग्रेस ने यहां सबसे अधिक 8 बार जीत दर्ज की है। 2020 में राजद के सऊद आलम ने पहली बार जीत हासिल की जबकि निर्दलीय गोपाल कुमार अग्रवाल दूसरे स्थान पर रहे। ठाकुरगंज का राजनीतिक परिदृश्य हमेशा बदलता रहा है।

बीरबल महतो, ठाकुरगंज (किशनगंज)। ठाकुरगंज विधानसभा का राजनीतिक सफर बेहद रोचक और उतार-चढ़ाव भरा रहा है। यहां के मतदाताओं ने कभी भी किसी एक दल पर पूरी तरह भरोसा कायम नहीं रखा।
बल्कि लगभग सभी सियासी दलों को जीत का स्वाद चखाया है अर्थात् हर दल के प्रत्याशियों को बारी - बारी से सम्मान दिया है। जहां जनता ने समय-समय पर अपने फैसले से राजनीतिक समीकरण बदल देती है।
1952 में अस्तित्व में आई ठाकुरगंज विधानसभा सीट (क्षेत्र संख्या 229) से अब तक कुल 15 विधायक चुने जा चुके हैं। इनमें सबसे अधिक आठ बार कांग्रेस को अवसर मिला है।
इसके अलावा जनता दल ने 02 बार और भाजपा, समाजवादी पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी, जनता दल यूनाइटेड तथा राष्ट्रीय जनता दल को एक-एक बार इस क्षेत्र की जनता ने प्रतिनिधित्व का मौका दिया है।
पहले चुनाव 1952 में कांग्रेस के उम्मीदवार अनाथ कांत बसु ठाकुरगंज के पहले विधायक बने। इसके बाद 1957 और 1962 में यह सीट अस्तित्व में नहीं रही। 1967 में फिर से निर्वाचन हुआ और कांग्रेस के मो. हुसैन आजाद ने जीत दर्ज की।
उन्होंने लगातार 1969 और 1972 में भी विजय हासिल कर हैट्रिक बनाई और कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया। लेकिन 1977 में जनता दल के मो. सुलेमान ने बड़ा उलटफेर कर पहली बार गैर कांग्रेस विधायक बनने का इतिहास रचा।
1980 और 1985 में मो. हुसैन आजाद ने वापसी करते हुए कांग्रेस को फिर से मजबूत किया और स्वास्थ्य मंत्री भी बने। इसके बाद 1990 में मो. सुलेमान ने जनता दल के टिकट पर दोबारा जीत दर्ज की। 1995 का चुनाव भाजपा के लिए मील का पत्थर साबित हुआ, जब एक अनजान चेहरा सिकंदर सिंह ने विधानसभा में प्रवेश किया।
साल 2000 में भाजपा विधायक सिकंदर सिंह को मात देते हुए मो. हुसैन आजाद के पुत्र डॉ. मो. जावेद ने जीत दर्ज की। फरवरी 2005 के चुनाव में डॉ. जावेद बेहद कम अंतर से जीते, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के कारण उसी साल अक्टूबर में दोबारा चुनाव हुआ। इस बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गोपाल कुमार अग्रवाल ने सबको चौंकाते हुए सीट पर कब्जा जमाया।
2010 में गोपाल कुमार अग्रवाल ने सपा छोड़कर जदयू का दामन थामा, लेकिन उन्हें लोजपा प्रत्याशी नौशाद आलम ने हराया। 2015 में नौशाद आलम ने जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा और एक बार फिर गोपाल कुमार अग्रवाल को शिकस्त दी।
2020 में आया बड़ा बदलाव
2020 में बड़ा बदलाव आया। राजद से पहली बार मैदान में उतरे सऊद आलम ने जीत दर्ज कर नया इतिहास बनाया। इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी गोपाल कुमार अग्रवाल दूसरे स्थान पर रहे, जबकि जदयू के नौशाद आलम तीसरे पायदान पर खिसक गए।
इसी चुनाव में एआईएमआईएम ने भी प्रवेश किया और भले ही उनका उम्मीदवार चौथे स्थान पर रहा, लेकिन नौशाद आलम के वोटों के बराबर समर्थन हासिल कर उसने ताकत का अहसास कराया।
कुल मिलाकर ठाकुरगंज विधानसभा की राजनीति इस बात की गवाही देती है कि यहां के मतदाता अपने हिसाब से सभी को मौका देकर आजमाती है।
ठाकुरगंज विधानसभा एक नजर में
- स्थापना: 1952
- अब तक कुल विधायक: 15
- कांग्रेस सबसे अधिक बार जीती: 8 बार
- अन्य दलों की जीत:
- जनता दल – 2 बार
- भाजपा – 1 बार
- समाजवादी पार्टी – 1 बार
- लोक जनशक्ति पार्टी – 1 बार
- राष्ट्रीय जनता दल – 1 बार
- जदयू – 1 बार
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