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    Bihar Politics: पशुपति के बेटे ने बढ़ाई चिराग की टेंशन, बिहार में सियासी पारा हाई; गांव-गांव में हो रही चर्चा

    Updated: Tue, 26 Nov 2024 01:03 PM (IST)

    Bihar News पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा ने प्लानिंग के तहत एकाएक सक्रियता बढ़ा दी है। पटना में 19-20 नवंबर को हुई मैराथन बैठक के बाद रालोजपा सुप्रीमो व पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के पुत्र यश राज उर्फ मुस्कान पासवान ने अलौली में बैठक की है। उन्होंने लोजपा के स्थापना दिवस 28 नवंबर को शहरबन्नी पहुंचने का कार्यकर्ताओं से आह्वान किया है।

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    पशुपति पारस और चिराग पासवान (जागरण फोटो)

    विनोद कुमार,  खगड़िया। Bihar Political News Today: राष्ट्रीय लोजपा ने एकाएक सक्रियता बढ़ा दी है। पटना में 19-20 नवंबर को हुई मैराथन बैठक के बाद रालोजपा सुप्रीमो व पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के पुत्र यश राज उर्फ मुस्कान पासवान ने रविवार को अलौली में बैठक की है। उन्होंने लोजपा के स्थापना दिवस 28 नवंबर को शहरबन्नी (रामविलास पासवान के पैतृक गांव) पहुंचने का कार्यकर्ताओं से आह्वान किया है।

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    अलौली में घूम-घूमकर लोगों से भी शहरबन्नी आने की अपील की। सोमवार से यश राज ने अलौली विधानसभा क्षेत्र के चातर से आमंत्रण यात्रा शुरू की है। उन्होंने कहा कि स्थापना दिवस समारोह के बाद अलौली विधानसभा क्षेत्र के गांव-गांव जाएंगे। इसे राष्ट्रीय लोजपा की 2025 में अलौली (सुरक्षित) विधानसभा सीट से चुनावी तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।

    पारस इकलौते पुत्र यश राज को अलौली से चुनाव लड़ाना चाहते हैं

    राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार- पारस अपने इकलौते पुत्र यश राज को यहां से चुनाव लड़ाना चाह रहे हैं। हालांकि रालोजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल कहते हैं- यश राज के रग-रग में राजनीति है। वे एक बड़े राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके चुनाव लड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। परंतु यह तो पार्टी तय करेगी। पार्टी की संसदीय बोर्ड तय करेगी।

    पशुपति पारस अलौली में कई बार विधायक रह चुके

    हमारी पार्टी में पूर्णत: आंतरिक लोकतंत्र है।  बताते चलें कि पशुपति कुमार पारस अलौली विधानसभा से कई बार विधायक रह चुके हैं और यह उनका गृह क्षेत्र है। पशुपति कुमार पारस अलौली विधानसभा क्षेत्र से सात बार विधायक रहे हैं। उन्होंने जनता पार्टी की टिकट पर 1977 में दिग्गज कांग्रेस नेता मिश्री सदा को हराया था। उसके बाद 2010 तक लगातार अलौली विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया।

    2010 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पहली बार जदयू के रामचंद्र सदा से हार का सामना करना पड़ा। 28 नवंबर को फिर से शुरू होगी रामविलास पासवान के विरासत की दावेदारी की लड़ाई 28 नवंबर को लोजपा की स्थापना दिवस पर स्मृति शेष रामविलास पासवान के पैतृक गांव शहरबन्नी में रालोजपा ने बड़ा कार्यक्रम तय किया है। कहीं न कहीं, इसे फिर से रामविलास पासवान की विरासत की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। मालूम हो कि लोजपा की स्थापना रामविलास पासवान ने की थी।

    रामविलास के निधन के बाद लोजपा विभाजित हो गई

    रामविलास पासवान के निधन बाद लोजपा विभाजित हो गई। रालोजपा व लोजपा(रामविलास) बनी। रालोजपा की कमान रामविलास पासवान के अनुज पशुपति कुमार पासवान के हाथों में है। जबकि लोजपा(रामविलास) की कमान स्मृति शेष रामविलास पासवान के पुत्र केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के पास है।  इधर रालोजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल कहते हैं-रामविलास पासवान की विरासत को बचाने और आगे बढ़ाने की लड़ाई हम लड़ रहे हैं। कार्यक्रम की सफलता को लेकर रालोजपा सुप्रीमो व पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस यहां कैंप कर रहे हैं।

    28 नवंबर को शहरबन्नी में लोजपा की स्थापना दिवस कार्यक्रम के साथ-साथ उस दिन स्मृति शेष पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और सांसद स्मृति शेष रामचंद्र पासवान की प्रतिमा का भी अनावरण किया जाएगा। उक्त कार्यक्रम को लेकर बिहार के सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रण भेजा गया है।

    रालोजपा का दावा है कि, पूरे देश से उस दिन रामविलास पासवान के अनुयायी शहरबन्नी जुटेंगे।  कोट स्मृति शेष रामविलास पासवान देश के बड़े दलित नेता थे। उनके व्यक्तित्व को दलों की सीमा में बांधा नहीं जा सकता है।

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