सिंदुरिया बनिया का जाति प्रमाण पत्र मिलना आसान नहीं
परबत्ता (खगड़िया) प्रतिनिधि: प्रखंड के कई पंचायतों में बसे सिंदुरिया बनिया को जाति प्रमाण पत्र निर्गत करते समय अत्यंत पिछड़ी जाति का उल्लेख नहीं किया जा रहा है। जिससे इस जाति के लोग आरक्षण के लाभ से वंचित हो रहे हैं। अंचल प्रशासन का कहना है कि बनिया, वैश्य बनिया रहते हुए भी सिन्दुरिया बनिया का प्रमाण पत्र लेने का प्रयास किया जा रहा है। लोग जब तथ्य छुपाएंगे तो परेशानी होगी ही। बताते चलें कि बिहार सरकार ने बनिया जाति के अंतर्गत 25 उपजातियों में से केवल सिंदुरिया बनिया को वर्ष 2002 में संकल्प संख्या 129 दिनांक 2 अप्रैल को अत्यंत पिछड़ा वर्ग श्रेणी में शामिल कर लिया। सरकार ने बिहार संशोधन अधिनियम 17/2002 द्वारा अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 18 प्रतिशत आरक्षण दे रखा है। इसका लाभ लेने को लोग अत्यंत पिछड़ा कार्य का प्रमाण पत्र चाहते हैं।
प्रमाण पत्र बनाने का नियम
15 अगस्त 2011 से बिहार लोक सेवाओं का अधिनियम लागू है। सरकार ने स्वयं शपथ पत्र के आधार पर प्रमाण पत्र जारी करने को कहा है। आरक्षण के मामले में जाति की पुष्टि का ठोस दस्तावेज जमा करने को कहा गया है। जाति का यही ठोस दस्तावेज जमा करना सिंदुरिया बनिया को भारी पड़ रहा है। क्योंकि जमीन रजिस्ट्री के दस्तावेज या खतियान में सिर्फ बनियां ही अंकित है। जिससे सिंदुरिया बनियां होने का ठोस प्रमाण कहीं सामने नहीं आ रहा है। इस बावत अधिकारी उधेड़ बुन में फंसे हुए हैं। प्रमुख सुनीता देवी की माने ते खतियान मंगाकर अवलोकन किया तो आज जो सिंदुरिया बनिया का लाभ लेने पर तुले हुए है उनके खतियान में सिन्दुरिया का जिक्र नहीं है। जबकि एसडीओ सरयुग दास की माने तो आरक्षण की घोषणा के पूर्व का आधार दिखाने पर सीओ को प्रमाण पत्र देने का निर्देश दिया गया है। यदि वैश्य बनिया अपने को सिंदुरिया बनिया कहकर प्रमाण पत्र लेंगे तो जांच में पर्दाफाश होने पर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जाएगी।
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