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    दो बार विधायक बने पर खरीद ना सके दो गज जमीन... कर्ज नहीं चुकाने पर फोर व्हीलर भी खींच ले गई फिनांस कंपनी

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 04:59 AM (IST)

    Bihar Chunav 2025 आज के जमाने में मुखिया सरपंच वार्ड पार्षद गाड़ी बंगला और शान शौकत के साथ जमा पूंजी बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते ऐसे में कटिहार के कदवा से दो बार विधायक बने भोला राय बिड़ले कहे जाएंगे। इनकी ईमानदारी के आज भी चर्चे आम हैं। कर्ज नहीं चुकाने पर इनका चार पहिया वाहन तक जब्त कर लिया गया था। -

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    Bihar Chunav 2025: भोला राय दो बार बने विधायक पर खरीद ना सके दो गज जमीन।

    संजीव मिश्रा, कदवा (कटिहार)। Bihar Chunav 2025 आज के राजनीतिक दौर में जहां मुखिया बनने के बाद ही घर-द्वार, जमीन, वाहन सहित सारे वैभव के साधन इकट्ठा करने का प्रचलन सा हो गया है। वहीं अतीत के राजनीतिज्ञ का सफरनामा और ईमानदारी आईना है। समाज में ऐसे भी राजनेता हुए जो एक नहीं बल्कि दो-दो बार विधायकी की कुर्सी संभाली लेकिन अपने या अपने परिवार के लिए आर्थिक, राजनीतिक उत्थान का साधन नहीं बने। ऐसे ही बिड़ले में शामिल हैं कदवा विधान सभा का दो बार नेतृत्व करने वाले भोला राय।

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    इन्होंने कदवा विधानसभा का दो बार प्रतिनिधित्व किया। किंतु अपने लिए दो गज जमीन भी नहीं खरीद पाए थे। आजीवन अविवाहित रह कर जीवन पर्यंत लोगों की सेवा को ही राजनीतिक ध्येय मानने वाले पूर्व विधायक स्व भोला राय की ईमानदारी एवं फक्कड़ स्वभाव की आज भी मिसाल दी जाती है। जनसंघ के जमाने से पार्टी से जुड़े भोला राय ने पहली बार 1995 में कदवा में भाजपा का कमल खिलाया था।

    फुटबालर के रुप में चर्चित विधायक भोला राय ने तब लोन पर टाटा सूमो चार पहिया वाहन खरीदा था। किंतु 2000 में चुनाव हारने के बाद वाहन का कर्ज अदा नहीं करने की वजह से कंपनी ने गाड़ी वापस ले ली। उस समय जिसकी खूब चर्चा हुई थी। पुनः 2010 में भाजपा से विधायक निर्वाचित हुए। दो बार विधायक बनाने के बाद भी दो गज जमीन खरीद कर खुद का आशियाना नहीं बना पाए।

    आजीवन सोनैली में अपने संबंधी के घरों में जीवन गुजार दिया। विधायक काल में ही 17 जनवरी 2015 सोनैली में उनका निधन हो गया था। फक्कड़ स्वभाव के बेबाक बोलने वाले विधायक का लोगों से बिना किसी तामझाम के मिलकर आत्मीयता से बात करना उसकी विशेषता थी। खुले बदन या मात्र गंजी लुंगी पहन कर निर्भीक होकर बाजार में चहलकदमी करते हुए सब्जी खरीदना उसकी दिनचर्या में शामिल थी। चुनाव आते ही आज भी लोगों के जुबान पर उनकी ईमानदारी एवं जनता के प्रति हमदर्दी की चर्चा आ जाती है।