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    13 अगस्त 1942 को कटिहार के 13 क्रांतिकारियों ने दिया था बलिदान

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 10 Aug 2022 06:57 PM (IST)

    नीरज कुमार कटिहार भारत छोड़ो आंदोलन में 13 अगस्त 1942 का दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम क

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    13 अगस्त 1942 को कटिहार के 13 क्रांतिकारियों ने दिया था बलिदान

    नीरज कुमार, कटिहार : भारत छोड़ो आंदोलन में 13 अगस्त 1942 का दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की गाथा स्थानीय क्रांतिकारियों के अमर बलिदान की कहानी के बिना अधूरी ही रहेगी। 13 अगस्त 1942 को 13 रणबांकुरों ने आजादी के लिए अपनी कुर्बानी थी। अगस्त क्रांति में देश की आजादी के लिए अपनी जान देने वाले शहीद क्रांतिकारियों की वीर गाथा किसी सरकारी दस्तावेज तक में अंकित नहीं हो पाया है। आजादी के अमृत महोत्सव के बहाने ही सही ऐसे गुमनाम शहीदों को सम्मान देने की कोशिश केंद्र सरकार द्वारा की गई। इसी कड़ी में डाक विभाग द्वारा हाल ही में देश के सबसे कम उम्र के शहीदों में शामिल 13 वर्षीय ध्रुव कुंडु के नाम पर विशेष आवरण का प्रकाशन किया गया। विशेष आवरण के जरिए शहीद ध्रुव कुंडु की यादों को संजोने का काम किया गया। 13 अगस्त 1942 को शहर के शहीद चौक पर थाना पर तिरंगा फहराने के दौरान ब्रिटिश फौज द्वारा चलाई गई गोली से बालक ध्रुव कुंडु, रामाधार सिंह सहित अन्य क्रांतिकारी शहीद हो गए थे। कुरसेला के देवीपुर के समीप रेलवे पटरी उखाड़ने के दौरान नटाय परिहार लीलजी मंडल, रमचु यादव, धथुरी मोदी व जागेश्वर महलदार ने अपने प्राणों की आहुति आजादी के हवन कुंड में दी थी। झौआ के समीप रेल पटनी उखाड़ने के क्रम में झिगरू शहीद हुए थे। अगस्त क्रांति में ही अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करने पर कदवा के खक्खन मिश्र अंग्रेज पुलिस द्वारा किए लाठी चार्ज में शहीद हो गए थे। ध्रुव कुंडु की शहादत के बाद क्रांतिकारियों ने ध्रुव दल का गठन कर आजादी की लड़ाई और तेज करने का काम किया था। लोक नायक जयप्रकाश नारायण को ध्रुव दल का कमांडर इन चीफ बनाया गया था। शहर के बुद्धुचक में क्रांतिकारियों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण तथा वेश बदलकर रणनीति के तहत काम करने के तरीकों की जानकारी दी जाती थी। देश के सबसे कम उम्र के शहीदों में शामिल है ध्रुव कुंडु का नाम

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    ध्रुव कुंडु का नाम देश के सबसे कम उम्र के शहीदों में शामिल है। 11 अगस्त को क्रांतिकारियों ने रजिस्ट्री आफिस को आग के हवाले कर दिया था। 13 अगस्त 1942 को क्रांतिकारियों का जुलूस हाथों में तिरंगा लिए थाना की ओर बढ़ा। जुलूस में सबसे आगे तिरंगा थामे ध्रुव कुंडु चल रहे थे। अ्ग्रेज सरकार के एसडीओ ने जुलूस को वापस लौटने को कहा। बालक ध्रुव कुंडु तिरंगा लिए थाना परिसर में प्रवेश कर गए। अंग्रेज सरकार के अफसरों ने गोली चलाने का आदेश दे दिया। गोली लगने से ध्रुव कुंडु शहीद हो गए। इलाज के दौरान दूसरे दिन पूर्णिया अस्पताल में उनकी मौत हो गई। ध्रुव कुंडु की शहादत के बाद उनके पिता द्वारा ही ध्रुव दल का गठन किया गया था। शहीदों की याद में नगर थाना के समीप स्थित चौक का नाम शहीद चौक रखा गया। अगस्त क्रांति में आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों की याद में नगर निगम कार्यालय परिसर में शहीद स्तंभ का निर्माण कराया गया।