Bihar Farmers News: मक्के में मुनाफा देख गेहूं की खेती से विमुख हो रहे किसान, घट रहा रकबा
कुछ वर्ष पहले किसान रबी की फसल में गेहूं की खेती किया करते थे। जिससे किसानों का पूरे साल खाने का जुगाड़ हो जाता था। किसानों को अधिक उपज से कोई खास मतलब भी नहीं रहता था। पहले गेहूं की खेती बिना रासायनिक उर्वरक एवं कम सिंचाई के ही हो जाती थी लेकिन वर्तमान में बिना मोटी लागत पूंजी के गेहूं की खेती नहीं हो पा रही है।

संवाद सूत्र, बलरामपुर (कटिहार)। बलरामपुर प्रखंड क्षेत्र में किसानों का गेहूं की खेती से मोहभंग होता जा रहा है। किसान गेहूं की खेती को छोड़कर बड़े पैमाने पर मक्का एवं अन्य फसलों की खेती पर जोर दे रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में किसानों ने मक्का फसल में अच्छी आमदनी को देखकर रबी की दूसरी अन्य फसलों से दूरी बना ली है।
इस वजह से प्रखंड क्षेत्र में कहीं कहीं ही गेहूं की खेती देखने को मिल रही है। गेहूं की खेती का रकबा भी घट रहा है। कुछ वर्ष पहले किसान रबी की फसल में गेहूं की खेती किया करते थे। जिससे किसानों का पूरे साल खाने का जुगाड़ हो जाता था। किसानों को अधिक उपज से कोई खास मतलब भी नहीं रहता था।
किसानों की लागत पूंजी भी नहीं निकल पा रही है
पहले गेहूं की खेती बिना रासायनिक उर्वरक एवं कम सिंचाई के ही हो जाती थी, लेकिन वर्तमान में बिना मोटी लागत पूंजी के गेहूं की खेती नहीं हो पा रही है। गेहूं की खेती में कम पैदावार होने एवं बाजार भाव कम होने के कारण किसानों की लागत पूंजी भी नहीं निकल पा रही है।
किसान रामनारायण दास, मु कुद्दुस, राजेश कुमार, राजकुमार, दयाल चंद्र दास, देवेन चंद्र दास, राजेन्द्र कुमार, रागिब आलम आदि ने बताया कि महंगाई के दौर में किसान कम लागत पूंजी में अधिक पैदावार वाली फसल को ही चुनते हैं। ऐसे में सबसे उपयुक्त मक्का की फसल ही नजर आती है।
उन्होंने कहा कि गेहूं एवं मक्का की फसलों के दामों में कोई खास भी अंतर नहीं है। एक बीघा खेत मे गेहूं की उपज अगर तीन क्विंटल तक होती है तो मक्का की उपज बीस से बाइस क्विंटल तक हो जाती है। इस वजह से रबी फसल में मक्का किसानों के लिए पसंदीदा फसल बन गई है।
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