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    Cyber Crime: झारखंड में साइबर ठगी करने वाले दो शातिर नवगछिया से गिरफ्तार, फ्रॉड से कमाए करोड़ों रुपये

    By Jagran NewsEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Wed, 31 Jan 2024 02:42 PM (IST)

    Bihar Crime नवगछिया नगर थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर भारत भूषण ने बताया कि गिरफ्तार दोनों ठगों पर झारखंड के गिरिडीह साइबर थाने में केस दर्ज है। गिरिडीह साइबर थाने के पुलिस निरीक्षक सावन कुमार साहू ने नवगछिया पुलिस के सहयोग से दोनों को गिरफ्तार किया। सावन ने बताया कि दोनों आरोपितों पर झरखंड और राज्यों में साइबर ठगी के कई मामले दर्ज हैं।

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    झारखंड में साइबर ठगी करने वाले दो शातिर नवगछिया से गिरफ्तार, फ्रॉड से कमाए करोड़ों रुपये

    संवाद सूत्र, नवगछिया (भागलपुर)। विभिन्न राज्यों में साइबर ठगी के माध्यम से करोड़ों रुपये ऐंठने वाले बांका के चांदन गोपडीह निवासी रामशरण राय और झारखंड के गिरिडीह जिले के पंचन ताड़ अहिल्यापुर निवासी अजय कुमार मंडल को नवगछिया से गिरफ्तार किया गया। दोनों झारखंड से साइबर ठगी कर नवगछिया में छिपकर रह रहे थे। झारखंड पुलिस की सूचना पर दोनों को पकड़ा गया।

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    नवगछिया नगर थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर भारत भूषण ने बताया कि गिरफ्तार दोनों ठगों पर झारखंड के गिरिडीह साइबर थाने में केस दर्ज है। गिरिडीह साइबर थाने के पुलिस निरीक्षक सावन कुमार साहू ने नवगछिया पुलिस के सहयोग से दोनों को गिरफ्तार किया।

    ठगों ने कमाए करोड़ों रुपये

    सावन ने बताया कि दोनों आरोपितों पर झरखंड और राज्यों में साइबर ठगी के कई मामले दर्ज हैं। ये दोनों साइबर ठगी गिरोह के मास्टरमाइंड हैं। पढ़ाई के साथ इन लोगों ने साइबर अपराध कर करोड़ों रुपये कमाए हैं। ये अपने दो अन्य साथियों हजारीबाग के शिव साह और सूरज कुमार के साथ गिरिडीह के नवाडीह में किराये के मकान में रहते थे। ये लोग एस्कार्ट सर्विस नाम से फर्जी कंपनी बनाकर सुरक्षा गार्ड की सप्लाई के नाम पर ठगी करते थे। इसके लिए ई-मेल और एप का उपयोग करते थे।

    कोलकाता से मंगाते थे फर्जी सिम

    साइबर पुलिस के अनुसार, यह गिरोह कोलकाता से पांच हजार में फर्जी सिम एवं अन्य लोगों का डिटेल मंगाकर उन्हें ई-मेल एवं नंबर पर मैसेज करते थे। ये दोनों अन्य साथी को सिम की सप्लाई एवं साइबर ठगी का ट्रेनिंग भी देते थे। यह गिरोह सर्वर मेंटेनेंस कंपनी को हर माह चार लाख रुपये देता था। ताकि किसी व्यक्ति द्वारा एस्कार्ट सर्विस के लिए गूगल में सर्च करने पर सबसे पहले इनका नंबर और कंपनी का नाम शो करे। किसी व्यक्ति द्वारा वेबसाइट के माध्यम से संपर्क करने पर उनसे उनका डिटेल फार्म भरवा कर उनके ई-मेल एवं वाट्सएप नंबर पर तरह-तरह के सर्विस के लिए फोटो भेजे जाते थे।

    इसके बदले उनसे पैसे की मांग की जाती थी। पैसे देने को तैयार होने पर कस्टमर को यूपीआइ लिंक भेज कर फर्जी खाता में पेमेंट प्राप्त कर लिया जाता था और कस्टमर को कोई सर्विस नहीं दी जाती थी। फर्जी खाते में आए पैसे एटीएम के माध्यम से निकाल लिए जाते थे। गिरोह के अन्य सदस्यों में कोडरमा के बोकोबार निवासी अजीत कुमार दास और अनुज पंडित व कोडरमा के भरकट्टा के शिवा साह और सूरज साह संलिप्त हैं।

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