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    मोहनियां के कमलेश को वीर बाल सम्मान, बहादुरी की अमर कहानी, बचाई थी बड़े भाई की जान

    By Ajit Pandey (mohania) Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Fri, 26 Dec 2025 04:51 PM (IST)

    कैमूर के मोहनियां के कमलेश को वीर बाल सम्मान से सम्मानित किया गया। कमलेश ने अपने बड़े भाई की जान बचाई थी। मरणोपरांत यह पुरस्कार कमलेश के पिता ने ग्रहण ...और पढ़ें

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    राष्‍ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मु से पुरस्‍कार ग्रहण करते कमलेश के पिता दुखी जायसवाल।

    संवाद सहयोगी, मोहनियां (कैमूर)। थाना क्षेत्र के जयपुर भदवलिया गांव के कमलेश कुमार को मरणोपरांत प्रधानमंत्री वीर बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

    शुक्रवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से उक्त बालक के पिता ने पुरस्कार ग्रहण्‍ किया। कमलेश के अदम्य साहस, मानवता एवं परोपकार की भावना को  सम्मान मिलने से स्वजन, ग्रामीण सहित जिलेवासी गौरवान्वित हुए हैं।

    बता दें की बीते 25 जुलाई को जयपुर भदवलिया ग्राम निवासी दुखी जायसवाल के पुत्र कमलेश (11) और उसके बड़े भाई पवन (13) गांव के ही विद्यालय में पढ़ने गए थे।

    बड़े भाई को बचाने में डूब गया कमलेश 

    वहां से दोनों घर के बगल में दुर्गावती नदी में स्नान करने चले गए। इसी दौरान पवन गहरे पानी में डूबने लगा। उसे बचाने के लिए कमलेश ने जान की बाजी लगा दी।

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    पवन तो बच गया, लेकिन कमलेश डूब गया। सूचना पर स्वजन नदी के किनारे पहुंचे। वहां कमलेश का झोला पड़ा था। सूचना पर मोहनियां थाना पुलिस व सीओ घटनास्थल पर पहुंचे।

    काफी प्रयास के बाद शव नहीं मिला। एसडीआरएफ की टीम को बुलाना पड़ा। अगले दिन वीर बालक कमलेश का नदी से शव बरामद हुआ था।

    बेटे को सम्‍मान पर पिता को गर्व

    कमलेश की मौत से पिता दुखी जायसवाल व माता रीना देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। वह बहादुर और मेधावी था। कमलेश की मौत से एक तरफ गम था तो दूसरी तरफ उसके असाधारण साहसिक कृत्य की जिला के साथ साथ पूरे राज्य में चर्चा उसका नाम अमर हो गया।

    भारत सरकार द्वारा उक्त बालक को मरणोपरांत प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025 के लिए चयनित किया गया था। बीते दिन जिला प्रशासन की देखरेख में वीर बालक के स्वजन पुरस्कार प्राप्त करने को रवाना हुए थे।

    शुक्रवार को पिता दुखी जायसवाल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार देकर सम्मानित किया। जाबांज दिवंगत पुत्र के लिए उक्त सम्मान प्राप्त कर पिता की आंखे छलक गईं। उन्होंने इस पुरस्कार को पुत्र की यादों को समर्पित किया।