सत्संग से ही संभव है परमात्मा की प्राप्ति, श्रीमद्भागवत कथा में बोले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
भगवानपुर के उमापुर गांव में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का समापन हुआ। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि परमात्मा की प्राप्ति का एक ...और पढ़ें

सत्संग से ही संभव है परमात्मा की प्राप्ति
संवाद सूत्र, भगवानपुर(कैमूर)। स्थानीय प्रखंड के उमापुर गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का समापन मंगलवार को भव्य रूप से हुआ। अंतिम दिन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि परमात्मा को प्राप्त करने का एकमात्र मार्ग सत्संग है, जिसे प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्संग के माध्यम से ही व्यक्ति अपने जीवन के विकारों से मुक्त होकर ईश्वर की भक्ति में लीन हो सकता है।
शंकराचार्य ने कहा कि शिव पुराण और श्रीमद्भागवत कथा का श्रद्धापूर्वक श्रवण करने मात्र से ही मानव सद्गति को प्राप्त करने का अधिकारी बन जाता है। हरि कथा सुनने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है और आत्मिक शुद्धि होती है। उन्होंने बताया कि विघ्नों की निवृत्ति के लिए सबसे पहले भगवान श्री गणेश की पूजा करनी चाहिए, इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करनी चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
कथा के महत्व को बताते हुए शंकराचार्य ने कहा कि जो वक्ता और श्रोता काम, क्रोध, लोभ, मोह जैसे विकारों से ग्रसित रहते हैं, उन्हें कथा का पूर्ण फल नहीं मिलता। केवल निस्वार्थ भाव और सच्ची भक्ति के साथ कथा सुनने और सुनाने से ही इसका संपूर्ण फल प्राप्त होता है। उन्होंने श्रद्धालुओं को अनुशासन और मर्यादा के साथ कथा श्रवण करने की सीख दी।
उन्होंने कहा कि कथा स्थल पर पहुंचने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को सबसे पहले पुराण को प्रणाम करना चाहिए और कथा समाप्ति के बाद लौटते समय भी पुराण को प्रणाम करना चाहिए। यदि कोई श्रोता पुराण को प्रणाम किए बिना कथा का श्रवण करता है, तो उसे कथा का फल नहीं मिलता। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कथा के दौरान बीच में उठकर जाना, पान या गुटखा चबाते हुए कथा सुनना शास्त्रसम्मत नहीं है। कथा हमेशा शांत मन, संयम और अनुशासन के साथ बैठकर सुननी चाहिए।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि आज के समय में मानव भौतिक सुखों की ओर अधिक आकर्षित हो गया है, जिससे उसका आध्यात्मिक पतन हो रहा है। ऐसे में सत्संग और धार्मिक आयोजनों के माध्यम से ही समाज को सही दिशा दी जा सकती है। श्रीमद्भागवत कथा मानव को धर्म, कर्म और भक्ति का मार्ग दिखाती है।
गौरतलब है कि उमापुर गांव में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन 26 दिसंबर से किया गया था, जिसमें प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। मंगलवार की शाम शंकराचार्य की कथा के साथ यज्ञ विधिवत संपन्न हो गया। आयोजन के सफल संचालन में आयोजक नागेश दुबे सहित ग्रामीणों की अहम भूमिका रही। कथा समापन के अवसर पर श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से पूजन-अर्चन कर यज्ञ की पूर्णाहुति दी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।