भभुआ में राष्ट्रीय तिलहन मिशन के तहत रबी तिलहन फसल का प्रत्यक्षण
कैमूर जिले के भभुआ में राष्ट्रीय तिलहन मिशन के तहत रबी तिलहन फसल का प्रत्यक्षण किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को तिलहन फसलों की नवीनतम तकन ...और पढ़ें

किसानों को सरसों और तीसी की फसल के वैज्ञानिक तकनीकी प्रशिक्षण
जागरण संवाददाता, भभुआ(कैमूर)। जिले के विभिन्न गांवों में राष्ट्रीय खाद्य तेल तिलहन मिशन के अंतर्गत रबी तिलहन फसल का प्रत्यक्षण आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र के नेतृत्व में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। जिले के किसानों को सरसों और तीसी की फसल के वैज्ञानिक तकनीकी प्रशिक्षण और प्रत्यक्षण के माध्यम से नई खेती की विधियों से अवगत कराया गया।
कृषि विज्ञान केंद्र के नोडल पदाधिकारी कृषि वैज्ञानिक अमित कुमार सिंह के नेतृत्व में आयोजित इस प्रत्यक्षण में कुल 300 हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया गया। इसमें सरसों की फसल का प्रत्यक्षण 250 हेक्टेयर में 630 किसानों को और तीसी की फसल का प्रत्यक्षण 50 हेक्टेयर में 152 किसानों को कराया गया।
प्रत्यक्षण के दौरान किसानों को बीज, जैव उर्वरक, जैव कीटनाशक और खरपतवारनाशक दवा उपलब्ध कराई गई। इससे किसानों को रबी तिलहन फसल की बेहतर पैदावार और कृषि लागत में कमी लाने के उपाय समझाने में मदद मिली। सभी सामग्री और तकनीकी सहयोग कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा सुनिश्चित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. सदानंद राय ने दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि किसानों को वैज्ञानिक खेती के तरीकों से अवगत कराना ही मिशन की सफलता की कुंजी है। उन्होंने किसानों को बीज रोपण, फसल सुरक्षा और जैविक नियंत्रण के तरीकों पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा।
जिले के विभिन्न प्रखंडों के अलग-अलग गांवों में आयोजित प्रत्यक्षण में कुल 782 किसानों को प्रशिक्षण और सामग्री दी गई। किसानों ने नए बीज और जैविक उत्पादों के इस्तेमाल के महत्व को समझते हुए अपनी फसल में उनका प्रयोग करने की प्रतिज्ञा की।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के प्रत्यक्षण से न केवल किसानों की पैदावार बढ़ेगी, बल्कि राष्ट्रीय तिलहन मिशन के उद्देश्यों को भी बल मिलेगा। भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों को और विस्तारित करने की योजना बनाई जा रही है ताकि जिले के सभी किसान रबी तिलहन फसल में वैज्ञानिक और लाभकारी खेती कर सकें।
प्रत्यक्षण कार्यक्रम ने किसानों में उत्साह और नयी तकनीकों को अपनाने की जागरूकता पैदा की। यह पहल जिले के कृषि विकास और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

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