जर्जर भवन में चल रहा बाल विकास कार्यालय, कर्मचारियों की कमी से कामकाज भी प्रभावित
मोहनियां प्रखंड में बाल विकास परियोजना कार्यालय जर्जर भवन में चल रहा है जहाँ छतें गिर रही हैं और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। पिछले एक साल से सीडीपीओ का पद भी खाली है जिससे कामकाज प्रभावित हो रहा है। कर्मचारी डर के साये में काम करने को मजबूर हैं लेकिन प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है।

संवाद सहयोगी, मोहनियां। स्थानीय प्रखंड कार्यालय परिसर में अवस्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय जर्जर भवन में चलता है। कभी भी ध्वस्त हो सकता है। कमरों की छत टूट टूट कर गिर रही हैं। कार्यालय में शौचालय में पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नदारद है।
यहां अधिकारी व कर्मी भय के साये में कार्य करते हैं, जिस पर प्रशासन का ध्यान नहीं है। एक साल से मोहनियां में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) का पद रिक्त है। भगवानपुर की सीडीपीओ को मोहनियां का प्रभार दिया गया है।
मोहनियां से भगवानपुर की दूरी करीब 30 किलोमीटर है। वहां बैठकर सीडीपीओ कितना काम करती होगी यह बड़ा सवाल है।
सरकारी मोबाइल इनके पास ही रहता है, जिस पर फोन करने पर बात नहीं होती। इस गंभीर समस्या पर किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारी का ध्यान नहीं है।
सात दशक पूर्व बना भवन हो गया है जर्जर
30 जनवरी 1956 को मोहनियां में प्रखंड सह अंचल कार्यालय की स्थापना हुई थी। उक्त कार्यालय से उत्तर दिशा में बाल विकास परियोजना का कार्यालय बना है। सात दशक पूर्व बने भवन जर्जर हो चुके हैं। जगह जगह छत टूट कर नीचे गिर गई है। जहां सरिया दिखाई देती है।
बारिश होने पर छत का पानी अंदर गिरता है, जिससे कागजात को बचाना कर्मियों के लिए बड़ी चुनौती होती है। पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से यहां कार्यरत कर्मी बाहर से पानी ला कर पीते हैं। एक बदहाल शौचालय है, जिसका महिला कर्मी उपयोग करती हैं। पुरुषों को बाहर जाना पड़ता है।
सीडीपीओ कार्यालय में कर्मियों का है अभाव
मोहनियां के बाल विकास कार्यालय में कर्मियों की कमी का दंश झेल रहा है। यहां नौ महिला पर्यवेक्षिका का पद सृजित है, जिसमें 6 कार्यरत हैं। लिपिक के दो पद में एक रिक्त है।
सांख्यिकी सहायक और भंडारपाल के नहीं रहने से कामकाज प्रभावित होता है। एक कार्यपालक सहायक व एक प्रखंड समन्वयक कार्यरत हैं। सभी कार्यालयों को सरकारी तौर पर वाहन उपलब्ध कराया गया है, लेकिन सीडीपीओ वाहन की कमी खलती है।
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