अपने बच्चों के व्यवहार परिवर्तन पर नजर रखें अभिभावक
किशोरों से बात-चीत कर उनकी परेशानी जानने की करें कोशिश जासं भभुआ वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश मे लॉकडाउन लागू है। कोरोना संक्रमण के भय के कारण लगातार घरों में रहने के कारण किशोरों को मानसिक अवसाद जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। किशोरा
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश मे लॉकडाउन लागू है। कोरोना संक्रमण के भय के कारण लगातार घरों में रहने के कारण किशोरों को मानसिक अवसाद जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। किशोरावस्था जीवन की एक ऐसी अवस्था है जब उनमें कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं। किशोरावस्था में शरीर में निरंतर सशक्त उर्जा का प्रवाह रहता है, जो खेल-कूद एवं अन्य शारीरिक कार्यों में व्यय होता है। लेकिन लॉकडाउन होने के कारण किशोर आउटडोर क्रिया-कलापों में शामिल नहीं हो पा रहे हैं, जिससे उनमें तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए ऐसे दौर में उन्हें मानसिक रूप से सहयोग करने की अधिक जरूरत है।
किशोरों के नियमित दिनचर्या में सुधार के लिए करें प्रेरित:
किशोरावस्था में नई चीजों को अनुभव एवं प्रयोग करने की इच्छा तीव्र रूप से जागृत होती है। लॉकडाउन के कारण किशोर अपने पसंदीदा कार्यों जैसे कॉलेज या स्कूल जाना, दोस्तों से मिलना, बाइक की सवारी करना, आउटडोर खेल-कूद में शामिल होना इत्यादि करने से वंचित रह रहे हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वे किशोरों की मानसिक समस्या को समझें एवं उनसे दोस्त की तरह बात करें। ताकि वे तनाव की स्थिति से बाहर निकल सकें। इसके लिए उन्हें योगाभ्यास के फायदों के बारे में बताएं और योग और ध्यान की तरफ उनकी रूचि बढ़ाने की कोशिश करें। इससे उनको अपना शांत रखने में मदद मिलेगी और वे अपने अपनी उर्जा को एक सकारात्मक दिशा देने में सफल होंगे।
किशोर व बच्चों के व्यवहार परिवर्तन पर रखें नजर:
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मीना कुमारी ने बताया कि माता-पिता अपने बच्चों के व्यवहार परिवर्तन पर नजर रखें। सभी बच्चे और किशोर एक ही तरह से तनाव को लेकर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। जबकि कुछ बच्चों में सामान्य परिवर्तन ही देखने को मिलते हैं। छोटे बच्चों में अत्यधिक रोने जैसे परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। किशोरों में अत्यधिक चिता व उदासी, समय पर नींद न आना और देर रात तक जागना, घर पर पढ़ाई के दौरान एकाग्रता में बाधा आदि देखने को मिल सकते हैं। यदि इस तरह के लक्षण किशोरों में दिखे तब उन पर क्रोध करने की जगह उनकी समस्या को सुनें एवं उनको हौसला दें।
फेक न्यूज से रखें दूर, बच्चों के साथ बिताएं समय:
कोरोना वायरस को लेकर समाचारों के कवरेज व सोशल मीडिया में हो रही बातों से किशोरों को दूर रखें। बच्चे जो कुछ भी सुनते हैं उसे गलत तरीके से समझ सकते हैं। जिस चीज को वे नहीं समझते उसके बारे में उनके मन में भय उत्पन्न होना स्वभाविक है। बच्चों व किशोरों को नियमित दिनचर्या बनाने और उसे अमल में लाने के लिए कहें। मजेदार गतिविधियों में शामिल होने के लिए कहें। बच्चों के एक रोल मॉडल बनें। बच्चों के साथ व्यायाम, नाश्ता व भोजन आदि करें। इस दौरान फोन आदि से दोस्तों व परिवार के सदस्यों के साथ भी जुड़ने के लिए कहें।
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