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    सिमुलतला आवासीय विद्यालय: बिहार का 'नया नेतरहाट', जिसे आज भी सिस्टम का इंतजार

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 02:04 PM (IST)

    सिमुलतला आवासीय विद्यालय, जिसे बिहार का 'नया नेतरहाट' कहा जाता है, अपनी स्थापना के बाद भी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। विद्यालय को अभी भी बेहतर सि ...और पढ़ें

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    बिहार का 'नया नेतरहाट', जिसे आज भी सिस्टम का इंतजार

    संदीप कुमार सिंह, सिमुलतला (जमुई)। जिले की सुरम्य वादियों में स्थित सिमुलतला आवासीय विद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि बिहार के खोए हुए शैक्षिक गौरव को पुनः स्थापित करने का एक महत्वाकांक्षी सपना है। वर्ष 2010 में इसकी स्थापना उस उद्देश्य से की गई थी कि झारखंड विभाजन के बाद बिहार से छिन चुके ‘नेतरहाट’ की भरपाई की जा सके।

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    लगभग डेढ़ दशक बाद पीछे मुड़कर देखने पर स्पष्ट होता है कि सिमुलतला ने उम्मीद से कहीं अधिक दिया है, लेकिन बदले में उसे सिस्टम से वह सहयोग नहीं मिला, जिसका वह हकदार था।

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ के रूप में स्थापित इस विद्यालय की परिकल्पना पारंपरिक गुरुकुल पद्धति और आधुनिक शिक्षा के समन्वय के रूप में की गई थी। उद्देश्य था समाज के हर वर्ग से मेधावी छात्रों का चयन कर उन्हें न केवल शैक्षणिक रूप से, बल्कि नैतिक और चारित्रिक रूप से भी सक्षम नागरिक बनाना, ताकि वे भविष्य में राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।

    टॉपर्स की फैक्ट्री बना सिमुलतला

    स्थापना के कुछ ही वर्षों के भीतर सिमुलतला आवासीय विद्यालय ने बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षाओं में इतिहास रच दिया। वर्ष 2015 से लेकर कई वर्षों तक टाप-10 सूची में 90 प्रतिशत से अधिक छात्र इसी विद्यालय के रहे। एक समय ऐसा भी आया, जब टाप-10 की सभी रैंक सिमुलतला के छात्रों ने हासिल कीं। यहां से निकले छात्र आज देश के प्रतिष्ठित आइआइटी, एम्स और प्रशासनिक सेवाओं में अपनी पहचान बना चुके हैं।

    चुनौतियों से घिरा स्वर्णिम संस्थान

    इस चमकती तस्वीर के बीच कई गंभीर चुनौतियां भी उभरती हैं। वर्षों तक विद्यालय किराये के भवनों और अस्थायी व्यवस्थाओं में संचालित होता रहा। अब स्थायी परिसर तो तैयार हो चुका है, लेकिन प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय और डिजिटल संसाधन अब भी उस स्तर तक नहीं पहुंच पाए हैं जो एक ‘वर्ल्ड क्लास’ संस्थान के लिए आवश्यक हैं। यह विद्यालय लंबे समय से स्थायी शिक्षकों की कमी और प्राचार्य के अस्थिर कार्यकाल की समस्या से जूझ रहा है।

    स्वायत्तता कागजों में, व्यवहार में नहीं

    नेतरहाट की सफलता का सबसे बड़ा कारण उसकी स्वायत्तता थी। सिमुलतला को भी कागजों पर स्वायत्त संस्थान का दर्जा मिला, लेकिन व्यवहार में नौकरशाही हस्तक्षेप, फंड रिलीज में देरी और प्रशासनिक जटिलताओं ने इसके विकास की गति को बाधित किया है।

    पिछले दो-तीन वर्षों में विद्यालय का एकतरफा वर्चस्व भले ही कुछ कम हुआ हो, लेकिन छात्र अब भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। यह संकेत है कि यदि समय रहते सुविधाएं और योग्य फैकल्टी नहीं मिलीं तो यह संस्थान धीरे-धीरे अपनी चमक खो सकता है।

    सरकार से अपेक्षाएं

    शिक्षा और रोजगार को प्राथमिकता देने का दावा करने वाली वर्तमान बिहार सरकार को सिमुलतला आवासीय विद्यालय पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यह विद्यालय बिहार का शैक्षणिक ब्रांड एंबेसडर है। सरकार को चाहिए कि देशभर से श्रेष्ठ शिक्षकों को आकर्षित करने के लिए विशेष पैकेज और स्थायी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करे।

    इसे केवल एक स्कूल नहीं, बल्कि सेंटर आफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करे। छात्रों के भोजन, आवास और सर्वांगीण विकास के लिए बजट में महंगाई के अनुरूप वृद्धि करे।

    हाल के वर्षों का प्रदर्शन

    • 2024 : टॉप-10 में छह छात्र शामिल, आदित्य कुमार ने 486 अंक लाकर राज्य में तीसरा स्थान प्राप्त किया
    • 2023 : रैंक-1 भले अन्य जिले को मिला, लेकिन टाप-10 में 10 छात्र सिमुलतला के रहे
    • 2022 : प्रिया राज ने राज्य में दूसरा स्थान हासिल किया, टॉप-10 में पांच छात्र
    • 2021 : स्वर्णिम वर्ष। पूजा कुमारी और शुभदर्शनी संयुक्त रूप से प्रथम, टॉप-10 में रिकॉर्ड 13 छात्र
    • 2020 : टॉप-10 में तीन छात्र रहे शामिल

    क्या कहते हैं जानकार?

    सिमुलतला आवासीय विद्यालय आर्थिक सीमाओं से परे मेधासंन्न छात्र-छात्राओं के लिए आश्रमीकृत आदर्श संस्थान के रूप में प्रकृति के बीच शिक्षा के मूल तत्व को प्रतिपादित करने के उद्देश्य से स्थापित की गई। चयनित मेधा ने आधारभूत संरचना की कमी का रोना रोने की बजाय इस सिमुलतला के पावन धरा से राष्ट्रीय स्तर पर हर विधा में बिहार का परचम लहराया। जब तक शैक्षणिक आवश्यकताओं के इर्द-गिर्द योजना और उनका जवाबदेह क्रियान्वयन नहीं होगा, समाज संस्थान की उपादेयता नहीं मानेगी। - प्रो. शंकर कुमार, अध्यक्ष, स्नात्तकोतर भौतिकी विभाग, पटना विश्वविद्यालय, प्रथम प्राचार्य, सिमुलतला आवासीय विद्यालय, सिमुलतला