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National Bird Day 2024: रूस और यूरोप के पक्षियों को भा रही बिहार की जलवायु, दुर्लभ इंडियन स्किमर की 13 साल बाद हुई घर वापसी

National Bird Day 2024 पर्यावरण संरक्षण को लेकर उठाए गए कदम कारगर साबित हो रहे हैं। रूस के पक्षियों को भी अब जमुई की जलवायु भा रही है। साइबेरिया तिब्बत यूरोप मध्य एशिया समेत अन्य देशों से भी पक्षी पहुंच रहे हैं। रूस से टफेड डक नार्दर्न पिनटेल मलाड नार्दर्न साल्वर समेत समेत अन्य पक्षियों का जमावड़ा लग रहा है।

By Ashish Kumar Singh Edited By: Mohit Tripathi Published: Fri, 05 Jan 2024 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jan 2024 06:00 AM (IST)
रूस, यूरोप और तिब्बत के पक्षियों को भा रही जमुई की जलवायु। (फाइल फोटो)

आशीष सिंह चिंटू, जमुई। पर्यावरण संरक्षण को लेकर उठाए गए कदम कारगर साबित हो रहे हैं। रूस के पक्षियों को भी अब जमुई की जलवायु भा रही है। साइबेरिया, तिब्बत, यूरोप, मध्य एशिया समेत अन्य देशों से भी पक्षी पहुंच रहे हैं। रूस से टफेड डक, नार्दर्न पिनटेल मलाड, नार्दर्न साल्वर समेत समेत अन्य पक्षियों का जमावड़ा लग रहा है।

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साइबेरिया से यूरेनियम मार्स, हेडियर, स्टेपी इगल, यूरेशियन विजन, ब्रोइस स्राइक, फारगोनियस, सेंट्रल एशिया से वार हेडेड गूज, लेग गूज, टैमिग्स, स्थींथ, तिब्बत से ब्राउन हेडेड गूज, बाइट कैफेड, रेड स्टार्ट, कामन स्नाइप समेत विभिन्न पक्षियों के कलरव से नागी गुंजायमान है। यहां 222 प्रकार के प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों को चिह्नित किया गया है।

रामसर साइट के लिए चिह्नित नागी और नकटी डैम

जिला वन पदाधिकारी पीयूष कुमार बरनवाल ने बताया कि जिले के नागी और नकटी डैम के आसपास की जलवायु इन प्रवासी पक्षियों के रहने और संरक्षण के दृष्टिकोण से अनुकूल है।

इस वर्ष इस स्थल पर पहली बार रोजी स्टर्लिंग और नार्दर्न लेपविन पक्षी को देखा गया है। इनका आगमन दक्षिण बंगाल तथा यूरोप से हुआ है। इस पक्षी आश्रयणी में पूरे विश्व के तीन प्रतिशत बार हेडेड गूज पाए जाते हैं।

वन पदाधिकारी ने बताया कि इस कारण ही पूरे बिहार में इस स्थल को दूसरी रामसर साइट के लिए चिह्नित किया गया है। इसके बाद से विश्व स्तर पर इस आश्रयणी में पक्षियों के संरक्षण के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

बार हेडेड गूज 33,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है, जबकि मनुष्य को 12,000 फीट की ऊंचाई के बाद ही आक्सीजन की आवश्यकता पड़ने लगती है।

इस पक्षी के शरीर में आक्सीजन को स्टोर करने के लिए दो एयरबैग भी बने होते हैं। यह बिना रुके एक बार में चार से पांच हजार किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है।

13 साल बाद हुई दुर्लभ इंडियन स्किमर की घर वापसी

13 साल बाद चीन से इंडियन स्किमर की घर वापसी हुई है। नागी-नकटी डैम में इसके दो जोड़े दिखे हैं। वन विभाग का दावा है बिहार के सिर्फ जमुई में यह प्रजाति दिखी है। यह प्रजाति विलुप्ति के कगार पर थी।

इसे वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 2022 के तहत दुर्लभ प्रजाति का दर्जा प्रदान किया गया है। पूरे विश्व में इसकी संख्या 5000 बची हुई है। यह जोड़े के रूप में रहते हैं और ताजे पानी के समीप इसका वास होता है।

संरक्षण के लिए चलाया जा रहा अभियान

यहां प्रवास करने वाले पक्षियों के संरक्षण के लिए मुंबई नेशन हिस्ट्री सोसाइटी और वन विभाग की ओर से संयुक्त रूप से अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए कई बर्ड्स गाइड की नियुक्ति की गई है, ताकि इन पक्षियों के शिकार पर रोक लग सके।

पक्षी इस आश्रयणी के आसपास स्थित क्षेत्र में 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तक प्रत्येक दिन उड़ान भरते हैं। यहां मछली मारने पर भी स्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही पूरे क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में वनरक्षी की भी तैनाती की गई है। पक्षियों के बेहतर संरक्षण के लिए जल क्षेत्र में भी बांस के स्टैंड लगाए गए हैं।

पक्षियों के संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा यहां पक्षियों के रहन-सहन और भोजन की भी पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए स्थानीय संसाधनों का भी सृजन करके लोगों को जागरूक किया जा रहा है। - पीयूष कुमार बरनवाल जिला वन पदाधिकारी, जमुई।

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