Bihar Election: राजगद्दी छोड़ राजनीति में तपने कूद पड़े थे कुमार कालिका सिंह, कई कोस पैदल चलकर करते थे प्रचार
गिद्धौर के महुली गढ़ गांव में लोगों ने चुनावी माहौल पर चर्चा की। कृपा कुमार सिंह ने पुराने राजनेताओं के त्याग और वर्तमान राजनीति में बदलाव की बात कही। लोगों ने मोदी-नीतीश सरकार की योजनाओं और विकास कार्यों पर भी अपने विचार व्यक्त किए। नामांकन के बाद गिद्धौर बाजार में सन्नाटा पसर गया है और चुनावी प्रचार जोर पकड़ रहा है।
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महुली गढ़ में चल रहे राजनीतिक माहौल पर चर्चा करते कृपा सिंह और मौजूद अन्य लोग। (जागरण)
आनंद कंचन, गिद्धौर(जमुई)। दिन शुक्रवार का था, मुख्य राजमार्ग पर काफी गहमागहमी के साथ वाहनों का दनादन आवागमन हो रहा था। इसी दौरान दैनिक जागरण की मुहिम गांव की कहानी का मिजाज जानने गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत पड़ने वाले कोल्हुआ पंचायत के महुली गढ़ गांव के बस्ती में बने महुली गढ़ पहुंचा।
यहां पूर्व से महुली गढ़ में बने ऐतिहासिक काली मंदिर के प्रांगण में कुछ लोग बैठकर चुनावी माहौल पर चर्चा कर रहे थे। मैं बाइक से उतर सभी को नमस्ते कर उनकी चर्चा में शामिल हो गया।
महुली गढ़ निवासी कृपा कुमार सिंह यह कह रहे थे कि सन 1936 एवं 1938 के दौरान जब कुमार कालिका सिंह ने राजगद्दी को त्याग जनसेवा का संकल्प लिया था और जनता की सेवा को ले राजनीति की शुरुआत की थी, तब की बात ही कुछ और थी। उस वक्त लोग राजनीति में तपने के लिए आते थे। अब जो लोग भी राजनीति में आ रहे हैं, वे सिर्फ तापने के लिए आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह धरती कुमार कालिका सिंह उर्फ हीरा जी, महाराजा प्रताप सिंह, दिग्विजय सिंह जैसे राजनेताओं की धरती है। इनके चुनाव प्रचार का तरीका भी उस वक्त बहुत अलग हुआ करता था। ये लोग कई कोस पैदल चलकर गांव पहुंच अपना चुनाव प्रचार किया करते थे। शाम में सत्तू-मूढ़ी को मिलाकर कार्यकर्ताओं के साथ खाते थे।
लेकिन वर्तमान में चल रहे राजनीत खींचतान के बीच इस ऐतिहासिक धरती को जो पहचान मिलनी चाहिए थी उससे यह अब तक वंचित है।
वयोवृद्ध इंद्रदेव पंडित ने कृपा कुमार सिंह की बातों का जवाब देते हुए कहा कि आज-कल के नेता के लोग के विचारधारा केतना अच्छा है, ई त देखिए रहल ह... अब के जमाना में मोदी-नीतीश नाम के विचारधारा चले है।
समय के साथ सबकुछ बदल गया
गिरधारी रजक कहते हैं, समय के साथ सबकुछ बदल गया है। पहले वाली बात अब ढूंढने से नहीं मिलेगी। अब जमने के अनुसार चलिए। विकास तो हो ही रहा है। अलग बात है कि सरकारी नुमाइंदे अब सरकार को भी अपने इशारे पर नचाते हैं, जिसकी वजह से गांव-गांव तक अफसरशाही हावी है।
जनता का काम बिना घूस लिए सरकारी मुलाजिमों द्वारा नहीं किया जाता है और नेता तो ट्रेन के खाली बर्थ की तरह टिकट खोजते हैं। किसी भी पार्टी से टिकट मिला जाए, चुनाव लड़ लेना है। इस बीच केशो मांझी कह उठते हैं, नहीं! अब के सरकार में सबको बराबरी का मान-सम्मान मिल रहा है।
सरकार आमजनों के लिए कई तरह की योजनाओं का संचालन भी कर रही है, जिसका लाभ समाज में रहने वाले गरीब-गुरबा को मिल रहा है। इसलिए अभी मोदी-नीतीश गठजोड़ का सरकार रहेगा। राजेंद्र मांझी और प्रदीप पंडित कहते हैं कि इस सरकार में गांव-गांव की महिलाएं अब सरकार की मदद से खुद को सबल बना रही हैं।
अपनी रोजगार कर परिवार व अपने बच्चों का भरण-पोषण भी कर रही हैं। इतना कह सभी लंबी सांस लेते हैं। इस बीच मैंने कहा कि चाचा अबकी बार कौन सरकार बनाएगा? इस पर कृपा कुमार सिंह कहते हैं कि वर्तमान समय में चल रहे राजनीतिक माहौल को देखकर अभी यह कह पाना मुश्किल है। इस प्रश्न का हल तो जनता करेगी। पार्टी तो सिर्फ नेताओं को टिकट देती है, वोट तो उन्हें जनता देती है।
वर्तमान सरकार ने किया है अच्छा काम
जनता जिस पार्टी और जिस नेता को सबसे अधिक वोट करेगी, सरकार उसकी बनेगी। गिरधारी रजक दोबारा कहते हैं कि सरकार रोजगार, बिजली, पानी और शिक्षा आदि के क्षेत्रों में अच्छा काम किया है। अगर आगे भी इस दिशा में सरकार आगे बढ़ती रहेगी तो वोट वर्तमान सरकार को ही प्राप्त होगा।
चर्चा समाप्त कर मैं गिद्धौर बाजार पहुंचा तो काफी सन्नाटा था। मुन्ना पान दुकान वाले न बताया कि आज बाजार ठंडा है। मैंने पूछा क्यों भाई? उसने तपाक से जवाब दिया अब क्या है गिद्धौर से जदयू, भाजपा और जन सुराज के प्रत्याशियों ने अपना नामांकन दर्ज करवा लिया है। नामांकन के लहर का अलग ही मजा था।
अब तो सभी लोग सुबह होते ही अपने अपने नेताओं के पास जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते है और बंद मुठ्ठी में उन्हें दिन भर का टॉपअप रिचार्ज का पैकेज मिल जाता है। रिचार्ज कूपन प्राप्त होते ही सभी चिह्नित इलाकों में प्रचार-प्रसार को निकल जाते है जो देर रात तक लौटते है। लगता है अब पान की बिक्री ठंडी रहेगी।

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