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    घनबेरिया का पेड़ा अमेरिका तक मशहूर, अचानक क्‍यों होने लगी इसके स्‍वाद की चर्चा?

    By Manikant SinghEdited By: Deepti Mishra
    Updated: Sat, 08 Nov 2025 02:26 PM (IST)

    बिहार में चुनावी माहौल के बीच जमुई के घनबेरिया गांव का पेड़ा चर्चा में है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी जनसभा में इस पेड़े और खैरा की बालूशाही का जिक्र किया। यह पेड़ा न केवल आसपास के जिलों में बल्कि विदेशों में भी मशहूर है। दूध की शुद्धता के कारण लोग इसे पसंद करते हैं और त्योहारों पर इसकी एडवांस बुकिंग होती है।

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    मणिकांत सिंह, जमुई। बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण का मतदान हो चुका है। दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होना है। सभी पार्टियां चुनावी शोर थमने से पहले मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए कड़ी मशक्कत करती नजर आ रही हैं। हवा राजनीतिक किस्से और चर्चे जोरों पर हैं तो चुनाव परिणाम से पहले ही मिठाइयों की दुकानों पर तैयारियां जोरों पर हैं। अब जब मिठाई की बात हो रही हो तो घनबेरिया गांव के पेड़े और खैरा बाजार की बालूशाही का जिक्र न हो, ऐसा तो मुमकिन ही नही है।

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    गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जमुई में एक जनसभा को संबोधित करते हुए घनबेरिया के पेड़े और खैरा का बालूशाही का जिक्र किया। अमित शाह ने कहा- मैं पटना में था तो वहां मुझे बताया गया कि अमित जी जमुई में घनबेरिया का पेड़ा और खैरा की बालूशाही बड़ी प्रसिद्ध है। जमुई के लोगों आप हमारे सभी प्रत्याशियों को जिता दो। मैं श्रेयसी सिंह जी को कहता हूं कि 14 के बाद घनबेरिया का पेड़ा और खैरा बाजार की बालूशाही लेकर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुंह मीठा कराएंगे।

    जमुई जिले के खैरा प्रखंड अंतर्गत घनबेरिया  गांव का पेड़ा केवल आसपास के जिले ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फेमस है। डेरी उद्योग के लिए फेमस इस गांव का पेड़ा उत्पादन में काफी आगे निकल गया है। डेयरी उत्पाद के रूप में पेड़ा का व्यवसाय इस गांव के लोगों का मुख्य पेशा बना है। दो दशक पहले पेड़ा बनाने की यहां शुरुआत हुई थी और पेड़ा की पहली दुकान गांव में ही मुख्य सड़क र शुरू हुई थी। इसके बाद एक-एक कर गांव के अन्य लोगों ने पेड़ा बनाना शुरू कर दिया और पेड़ा की कई दुकान लगने लगी।

    Ghanberia Peda inside

    पटना से देवघर तक हर जगह घनबेरिया के पेड़े की स्‍टॉल

    आज  यहां एक दर्जन से अधिक दुकानें हैं, जिसमें प्रतिदिन क्विंटल के हिसाब से पेड़ा की सप्लाई होती है। स्थानीय दुकानदार संजय रावत बताते हैं कि यहां के पेड़ा की खासियत है कि इसमें दूध की शुद्धता को बरकरार रखा जाता है। इस कारण लोग यहां का पेड़ा खाना पसंद करते हैं। इसके अलावा यहां खोवा भी बड़े पैमाने पर तैयार किया जाता है, जो बिना चीनी का होता है। एक-एक दुकान में प्रतिदिन 30 से 50 किलो तक पेड़ा की सप्लाई होती है और पूरे साल यहां के सभी दुकानों से करीब 2 करोड़ के पेड़ा का कारोबार किया जाता है।

    Ghanberia Peda

    डिमांड ऐसी कि पहले से करनी होती बुकिंग

    कभी-कभी इतनी ज्‍यादा डिमांड होती है कि दिन रात लगातार काम करने के बावजूद भी हम लोग डिमांड पूरा नहीं कर पाते हैं। पर्व-त्‍योहार के मौके पर पेड़े की एडवांस बुकिंग होती है। लोग दो-दो दिन पहले ही बुकिंग करा जाते हैं। दुकानदार राकेश कुमार सिंह और प्रमोद सिंह बताते हैं कि जमुई में यहीं का पेड़ा बेचा जाता है। कई वेंडर्स  हैं, जो गांव और शहरों में घूम-घूम कर यहां का पेड़ा  बेचते हैं। इतना ही नहीं, पटना और देवघर जैसे शहरों में भी यहां के पेड़े के स्‍टॉल लगते हैं।

    Ghanberia Peda inside 1

    अमेरिका तक जाता है घनबेरिया का पेड़ा

    अमेरिका और संयुक्‍त अरब अमीरात जैसी जगहों पर रहने वाले प्रवासी भी जब भारत आते हैं तो यहां का पेड़ा न सिर्फ खाते हैं, बल्कि अपने साथ भी लेकर जाते हैं।

    घनबेरिया में पेड़ा बनाना किसने शुरू किया

    सन 1995 में गांव के लालबहादुर सिंह ने यहां पेड़ा बनाने की शुरुआत की थी। बकुल लाल बहादुर सिंह बताते हैं कि उस वक्त एक किलोग्राम पेड़ा 60 रुपये में बेचते थे। अब पेड़ों का रेट 300 रुपये से शुरू होता है।  


    खास बात यह है कि कोरोना महामारी के दौरान जब लॉकडाउन लगा, तब रोजी-रोटी के लिए अन्‍य राज्‍यों में रहे युवा वापस लौटे तो वे भी पेड़ा व्यवसाय से जुड़ गए। आज घर में रहकर युवा अच्‍छी आमदनी कमा रहे हैं। इतना ही नहीं, पेड़ा का व्यवसाय चला तो गांव के चौक की जमीन की कीमत भी बढ़ गई है। 

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