Bihar Assembly Election 2025: चुनावी जाल में फंसे नेताजी, 'लाल भात' के चक्कर में गया पाठा का पैसा
जमुई जिले के सोनो क्षेत्र में चुनावी माहौल गर्म है। एक स्थानीय नेताजी को उम्मीद थी कि उन्हें चुनावी मौसम में खर्चा-पानी मिलेगा। एक संभावित उम्मीदवार के बुलावे पर वे समर्थकों को लेकर सभा में पहुंचे जहाँ लाल भात का वादा किया गया था। हालांकि उन्हें न तो लाल भात मिला और न ही उम्मीदवार से कोई मदद जिससे वे आर्थिक और पारिवारिक मुश्किलों में घिर गए।

संवाद सूत्र, सोनो (जमुई)। भले ही अभी आम चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन क्षेत्र में चुनावी विसात पूरी तरह बिछ चुकी है। चाय की दुकानों से लेकर गांव के चौपालों तक राजनीति की गर्मागर्मी छाई हुई है।
कहीं छोटी-छोटी बैठकें हो रही हैं तो कहीं बड़ी आमसभा का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे में हमारे स्थानीय नेताजी की उम्मीदें भी सातवें आसमान पर हैं। उन्हें पूरा भरोसा है कि इस बार चुनावी मौसम में ‘खर्चा-पानी’ अच्छा हाथ लगेगा, लेकिन अफसोस! अभी तक बोहनी भी नहीं हुई।
हाल ही में एक संभावित प्रत्याशी का फोन आया, “एक बड़ी सभा है, आप अपने साथियों के संग जरूर पहुंचिए। आने-जाने और चाय-पानी की व्यवस्था हो जाएगी।” फोन सुनते ही नेताजी की बांछें खिल गईं। बक्से में रखा कुर्ता-पायजामा झाड़ा गया, चप्पल चमकाए गए और तैयारी पूरी कर ली गई।
गांव के कवियाठ साथियों को भी मनाने के लिए नेताजी ने जादुई शब्द कहे, “सभा में लाल भात का भरपूर इंतजाम है।” इतना सुनते ही आधा गांव तैयार हो गया। उत्साह ऐसा कि दुर्गा पूजा में पाठा खरीदने के लिए रखे गए गुप्त खजाने से नेताजी ने सीधे दो स्कॉर्पियो बुक कर डाली।
काफिला आम सभा में पहुंचा। भीड़ तो उमड़ी हुई थी, लेकिन अफसोस लाल भात के दर्शन तक नहीं हुए। भूखे-प्यासे समर्थकों ने अंततः होटल का रुख किया और खाना खाकर बिल नेताजी को थमा दिया।
इधर, नेताजी प्रत्याशी के पास खर्चा निकालने पहुंचे पर भीड़ के शोरगुल में अपनी फरियाद ही पेश न कर सके। सो, अब नेताजी दोहरी मुश्किल में हैं, न लाल भात मिला, न पैसा। ऊपर से घर पहुंचते ही मैडम ने दरवाजे पर ही घुसपैठ पर रोक लगा दी।
अब सवाल यह है कि नेताजी का ‘पाठा फंड’ वापस आता भी है या नहीं या फिर इस चुनावी मौसम में नेताजी को केवल भूख और पछतावे का ही प्रसाद मिलेगा।
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