प्रेम के वादे पर छोड़ा घर और फिर झेला नरक... नाबालिग लड़की को प्रेमी ने सौंपा तस्कर के हाथ, ढूढ़ते रहे मां-बाप
Bihar News आज से डेढ़ दशक पहले अपहरण के जो मामले सामने आते थे उनमें फिरौती की मांग की जाती थी। हालांकि अब प्रेम-प्रसंग के चलते लड़कियों के अपहरण की घटनाएं बढ़ी रहीं हैं। आंकड़े बताते हैं कि अपहरण के अधिकांश मामलों में आरोपित युवक की औसत उम्र 20 से 25 वर्ष होती है। इन युवकों के लिए कम उम्र की लड़कियों को बरगलाना आसान होता है।

मणिकांत, जमुई: हाल के दिनों में नाबालिग लड़कियों के अपहरण की घटनाओं में इजाफा हुआ है। खास बात यह है कि अधिकांश मामलों में आरोपित युवक की औसत उम्र 20 से 25 वर्ष की होती है।
जिले में इस साल दर्ज नाबालिग लड़कियों के अपहरण के आंकड़े इस बात का सबूत दे रहें हैं कि अधिकांश मामलों में आरोपित युवक 20 से 25 वर्ष के ही होते हैं।
वयस्क युवक कम उम्र की लड़कियों को आसानी से बरगला लेते हैं, कच्चा मन इसे समझ नहीं पाता और प्रेम मान बैठता है। बाद में नाबालिगों का वास्ता वास्तविकता से पड़ता है, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है।
घर से भागने के निकलते हैं अपहरण के मामले
कम ही नाबालिग प्रेम-प्रसंग में घर से भागने के बाद उसी युवक से विवाह कर घर बसा पाती हैं। बरामदगी के बाद प्रेमी से विवाह कर भी लिया तो अधिकतर मामलों में सामाजिक स्वीकृति नहीं मिलने के कारण दोनों सुखमय जीवन व्यतीत नहीं कर पाते हैं।
अपहरण के अधिकांश मामले अंत में घर से भागने के निकलते हैं। हालांकि, कई मामले ऐसे भी होते हैं, जिनमें नाबालिग को प्रेम जाल में फंसाकर ठग लिया जाता है। कई मामलों में नाबालिग को बेच दिया जाता है, तो वहीं कई मामलों में घर से जेवरात और पैसों की चोरी करा ली जाती है।
कई मामले थाने तक नहीं पहुंचते
आंकड़े बताते हैं कि प्रत्येक माह औसतन 8 से 9 नाबालिग के अपहरण के मामले सामने आ रहे हैं। संख्या तो इससे भी अधिक है, लेकिन लोक-लाज के कारण कई मामले थाने तक नहीं पहुंचते।
डेढ़ दशक पूर्व अपहरण के जो मामले सामने आते थे, उनमें फिरौती के लिए अपराधियों द्वारा अंजाम दिए गए मामले होते थे। हालांकि अब प्रेम-प्रसंग के चलते लड़कियों के अपहरण की घटनाएं बढ़ी हैं।
नाबालिग लड़कियों के अपहरण मामलों को पुलिस गंभीरता से ले रही है। स्वजन से बात कर टेक्निकल सेल की मदद से अपहृता की बरामदगी के लिए छापेमारी की जाती है। अपहृता की बरामदगी के बाद उसका न्यायालय में बयान दर्ज कराया जाता है। न्यायालय के आदेश के बाद आगे की कार्रवाई की जाती है। - अभिषेक कुमार सिंह, मुख्यालय डीएसपी, जमुई।
ज्यादातर मामलों में होता है समझौता
लड़कियों के अपहरण की घटनाओं में से अधिकांश में दोनों पक्षों के बीच बाद में समझौता ही होता है। आंकड़े बताते हैं कि पहले तो पीड़ित पक्ष की ओर से थाने में केस दर्ज किया जाता है। बाद में लड़की के बरामद होने के बाद आधे से अधिक मामलों में दोनों पक्षों में समझौता हो जाता है।
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