Jamui Train Accident: हावड़ा-दिल्ली रूट पर कब शुरू होगा ट्रेनों का परिचालन? रेलवे ने दिया अपडेट
सिमुलतला मालगाड़ी हादसे (Bihar Train Accident) के 56 घंटे बाद भी हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य रेल मार्ग पर परिचालन ठप है। यात्री कड़ाके की ठंड में स्टेशनों ...और पढ़ें
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रेलवे ट्रैक से हटाए गए मालगाड़ी के डिब्बे। फोटो जागरण
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संवाद सूत्र, सिमुलतला (जमुई)। सिमुलतला के पास हुए भीषण मालगाड़ी बेपटरी हादसे के 56 घंटे से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन देश की लाइफलाइन कहे जाने वाले हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य रेल मार्ग (मेन लाइन) पर परिचालन अब भी 'कोमा' में है।
एक तरफ रेलवे ट्रैक को दुरुस्त करने के लिए युद्धस्तर पर पसीना बहा रहा है, तो दूसरी तरफ स्टेशनों पर घंटों और दिनों से फंसे यात्रियों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। उम्मीद और हताशा के बीच फंसी जिंदगी पटरी पर लौटने का नाम नहीं ले रही।
इस बीच रेलवे की तरफ से जानकारी दी गई है कि 12 बजे एक साथ अप और डाउन लाइन पर परिचालन शुरू होगा। पूर्वा एक्सप्रेस राइट टाइम पर झाझा पहुंचेगी। इसके अलावा अन्य सभी ट्रेनें अपने निर्धारित समय के अनुसार इस रेलखंड से गुजरेंगी।
कड़ाके की ठंड और अनिश्चितता का सफर
हादसे के तीसरे दिन भी ट्रेनों के रद्द होने और मार्ग बदलने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। जमुई, झाझा और सिमुलतला जैसे प्रमुख स्टेशनों पर यात्रियों की भारी भीड़ जमा है। कड़ाके की ठंड में प्लेटफॉर्म पर रात गुजारने को मजबूर यात्रियों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों की हालत देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए।
यात्री न सिर्फ ठंड से, बल्कि खाने-पीने और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव से भी जूझ रहे हैं। डायवर्ट रूट से चल रही ट्रेनों की भारी लेटलतीफी और सही जानकारी के अभाव ने यात्रियों की परेशानी को दोगुना कर दिया है।
रेलवे का तर्क - 'जल्दबाजी में जान जोखिम में नहीं डाल सकते'
यात्रियों की बढ़ती नाराजगी और फजीहत के बीच रेलवे ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। आसनसोल रेल मंडल के पीआरओ ने साफ शब्दों में कहा कि देरी का एकमात्र कारण 'सुरक्षा' है।
उन्होंने कहा, "हम यात्रियों की परेशानी समझते हैं, लेकिन सुरक्षा मानकों को पूरा किए बिना एक इंच भी आगे नहीं बढ़ा जा सकता। आधी-अधूरी तैयारी के साथ ट्रेनें चलाना एक और बड़े हादसे को न्योता देना होगा।"
रेलवे कर्मी दिन-रात मलबे को हटाने और ट्रैक की फिटनेस जांचने में जुटे हैं ताकि जब परिचालन शुरू हो, तो वह शत-प्रतिशत सुरक्षित हो।
डाउन लाइन फिट, फिर भी सिग्नल 'लाल': आखिर क्यों?
परिचालन बहाली को लेकर एक तकनीकी पेंच भी सामने आया है। सीपीआरओ कोलकाता के अनुसार, परिचालन विभाग को डाउन पटरी पर ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी गई थी और उम्मीद थी कि जल्द ही पहिये घूमने लगेंगे। लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वरीय अधिकारियों ने डाउन पटरी के परिचालन योग्य होने के बावजूद अंतिम समय पर रोक लगा दी है। कारण यह है कि अप पटरी पर फंसी मालगाड़ी का एक क्षतिग्रस्त डिब्बा इस स्थिति में है कि वह डाउन लाइन से गुजरने वाली ट्रेनों के लिए खतरा बन सकता है।
सुरक्षा से कोई समझौता न करते हुए, अधिकारियों ने फैसला लिया है कि जब तक उस डिब्बे के खतरे को पूरी तरह समाप्त नहीं कर लिया जाता, तब तक आवागमन शुरू नहीं होगा। फिलहाल, यात्री और रेल प्रशासन दोनों ही ट्रैक के पूरी तरह साफ होने का इंतजार कर रहे हैं।

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