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    बिहार रेल हादसा: रेलवे के आधुनिकीकरण ने टाली बड़ी अनहोनी, मजबूत ढांचे ने बचाई जान

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 05:42 PM (IST)

    सिमुलतला के बड़ुआ पुल पर हालिया रेल दुर्घटना ने रेलवे के आधुनिकीकरण के महत्व को उजागर किया। हालांकि, यह घटना भयावह थी, लेकिन 2024 में लगाए गए नए आधुनि ...और पढ़ें

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    अंग्रेज जमाने के गार्डर हटाते क्रेन से रेलकर्मी। (जागरण)

    संवाद सूत्र, सिमुलतला(जमुई)। अक्सर रेल हादसे भय और असुरक्षा की भावना पैदा करते हैं, लेकिन कभी-कभी वे समय पर किए गए सुधारों की अहमियत भी सामने लाते हैं।

    बीते शनिवार की रात सिमुलतला के बड़ुआ पुल पर हुई रेल दुर्घटना ने स्थानीय लोगों की सांसें जरूर थाम दी थीं, लेकिन स्थिति सामान्य होने पर यह स्पष्ट हुआ कि रेलवे द्वारा किए गए ढांचागत सुधारों ने एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया।

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    स्थानीय लोग बताते हैं कि फरवरी 2024 में बड़ुआ पुल पर एक महत्वपूर्ण परिवर्तन किया गया था। अंग्रेजी शासनकाल में वर्ष 1923 में निर्मित पुराने गर्डर को हटाकर आधुनिक तकनीक से बना नया गर्डर लगाया गया था।

    उस समय यह कार्य सामान्य मरम्मत जैसा प्रतीत हुआ, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यदि शनिवार की रात पुल पर वही सौ वर्ष पुराना जर्जर गर्डर होता तो हादसे की तीव्रता कहीं अधिक हो सकती थी और पुल को गंभीर क्षति पहुंचने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता था।

    नया ‘मेड इन इंडिया’ गर्डर भारी झटकों और दबाव को सहने में सक्षम साबित हुआ और पुल संरचनात्मक रूप से सुरक्षित बना रहा।

    मजबूत पटरियों ने निभाई अहम भूमिका

    हादसे के दौरान केवल पुल ही नहीं, बल्कि पटरियों की मजबूती भी सुरक्षा का बड़ा कारण बनी। रेलवे ने बीते वर्ष इस सेक्शन में 52 किलोग्राम वजन की पुरानी पटरियों को हटाकर 60 किलोग्राम की अधिक मजबूत और आधुनिक पटरियां बिछाई थीं।

    इन्हीं सुधारों के कारण इस रेलखंड पर ट्रेनों की अधिकतम गति सीमा 110 किमी प्रति घंटा से बढ़ाकर 130 किमी प्रति घंटा की गई थी।

    विशेषज्ञों का मानना है कि शनिवार की घटना के समय 60 किलोग्राम वाली पटरियों ने दबाव को काफी हद तक नियंत्रित किया, जिससे स्थिति और अधिक गंभीर होने से बच गई।

    हालांकि, यह घटना विस्तृत जांच का विषय है और रेलवे के लिए चेतावनी भी, लेकिन यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि बुनियादी ढांचे पर किया गया निवेश कभी व्यर्थ नहीं जाता। बड़ुआ पुल का आधुनिक स्वरूप और ट्रैक की मजबूती इस बार यात्रियों के लिए सुरक्षा कवच साबित हुई।

    यदि 1923 की पुरानी तकनीक आज भी मौजूद होती तो परिणाम कहीं अधिक भयावह हो सकते थे। आधुनिक तकनीक और समय पर किए गए सुधारों ने इस हादसे के बीच एक सकारात्मक पक्ष को उजागर किया है।

    बड़ुआ पुल पर किए गए प्रमुख सुरक्षा सुधार

    गर्डर परिवर्तन : वर्ष 1923 में बने पुराने गर्डर को फरवरी 2024 में हटाकर आधुनिक तकनीक वाला नया गर्डर लगाया गया।

    पटरियों की मजबूती : 52 किलोग्राम की पुरानी पटरियों के स्थान पर 60 किलोग्राम वजन की भारी और अधिक सुरक्षित पटरियां बिछाई गईं।

    गति सीमा में वृद्धि : ट्रैक और पुल की मजबूती के आधार पर इस सेक्शन में गति सीमा 110 से बढ़ाकर 130 किमी प्रति घंटा की गई।