साहब! मेरी सांसें चल रही हैं, पर सिस्टम ने मुझे मार डाला... बिना जांचे महिला को मृत बताकर बंद की पेंशन
जमुई की अहिल्या देवी को सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया, जिससे उनकी वृद्धावस्था पेंशन रुक गई। जीवित होने का प्रमाण देने के लिए उन्हें सरकारी ...और पढ़ें
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बिना सत्यापन जीवित महिला को मृत घोषित कर बंद की पेंशन। फोटो जागरण
संवाद सहयोगी, जमुई। बिहार सरकार एक ओर सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये कर रही है, जिससे बुजुर्गों को ‘बुढ़ापे की लाठी’ मिल सके, वहीं दूसरी ओर बेलगाम अफसरशाही और विभागीय लापरवाही के चलते जीवित व्यक्तियों को ‘मुर्दा’ घोषित किया जा रहा है।
झाझा प्रखंड के हथिया पंचायत की बुजुर्ग अहिल्या देवी को इस स्थिति का सामना करना पड़ा है। उन्हें अपने जीवित होने का सबूत लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
सिस्टम की संवेदनहीनता का आलम यह है कि कागजों में उन्हें मृत घोषित कर उनकी पेंशन रोक दी गई है। अहिल्या देवी ने बताया कि पिछले कई महीनों से उनके खाते में पेंशन की राशि नहीं आई।
जब उन्होंने साइबर कैफे जाकर जानकारी ली, तो पता चला कि सरकारी रिकॉर्ड में उन्हें ‘मृत’ घोषित कर दिया गया है। यह केवल एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि प्रशासन की ओर से गरीब और असहाय बुजुर्गों के प्रति क्रूर मजाक है।
इस मामले ने विभागीय कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह जानना आवश्यक है कि किस आधार पर और किस कर्मी की रिपोर्ट पर एक जीवित महिला को मृत मान लिया गया।
बिना भौतिक सत्यापन के मृत्यु दर्ज करने वाले कर्मियों की लापरवाही ने न केवल एक पात्र लाभुक को उसके हक से वंचित किया है, बल्कि सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता को भी प्रभावित किया है। अब इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में कोई बुजुर्ग मैं जिंदा हूं... की तख्ती लेकर न घूमे।

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