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    Bihar: माध्‍यमिक परीक्षा में हिंदी के दो प्रश्‍नों पर विशेषज्ञ ने उठाए 'सवाल', सबूत के साथ दिखाई गलति‍यां

    By Manikant SinghEdited By: Prateek Jain
    Updated: Wed, 22 Feb 2023 12:23 AM (IST)

    Board Exam Hindi Paper हिंदी विषय की परीक्षा में पूछे गए सवाल से हिंदी के जानकार की बात तो छोड़ दीजिए यहां तक कि गूगल भी चकरा रहा है। भले ही ये दो प्र ...और पढ़ें

    हिंदी के एक जानकार कामदेव सिंह ने बोर्ड की चूक को रेखांकित किया है।

    जमुई, अरविंद कुमार सिंह: माध्‍यमिक स्‍कूल परीक्षा 2023 के हिंदी विषय की परीक्षा में पूछे गए सवाल से हिंदी के जानकार की बात तो छोड़ दीजिए, यहां तक कि गूगल भी चकरा रहा है। दो प्रश्न महज दो अंक के हों, लेकिन दमदार हैं।

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    ऐसे में हिंदी के एक जानकार कामदेव सिंह ने बोर्ड की चूक को रेखांकित किया है। उन्होंने प्रश्न पत्र के साथ अंडरलाइन कर हिंदी किताबों का सबूत भी पेश किया है। उन्होंने इस चूक को सार्वजनिक करने की मांग दैनिक जागरण से की।

    सोमवार को हुआ था हि‍ंदी का पेपर

    उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी प्रथम पाली की परीक्षा में 32 और 37 नंबर प्रश्न का जवाब परीक्षार्थी ने कुछ भी दिया हो, उसे कोई अंक शायद नहीं मिलने वाला है।

    दरअसल, सोमवार को हिंदी की परीक्षा ली गई। पहली पाली में ई ग्रुप के प्रश्न पत्र में एक प्राइवेट शिक्षक ने दो त्रुटियां पकड़ी हैं। पहली त्रुटि प्रश्न संख्या 32 के वैकल्पिक उत्तर में है। यहां प्रश्न है इन मुसलमान हरिजनन पै, कोटिन हिंदु वारिये, किस कवि का कथन है।

    विकल्‍प में ही शामि‍ल नहीं किया गया सही उत्‍तर

    वैकल्पिक उत्तर में जिन कवियों के नाम दिए गए हैं, उनमें भारतेंदु हरिश्चंद्र का नाम शामिल ही नहीं है, जबकि यह कथन महान कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र ने पठान वंश के कवि रसखान की रचना से मुग्ध होकर कहा था।

    रसखान ने कृष्ण की लीला रची थी, जिसमें उल्लास, मादकता और उत्कटता का संयोग होता है। यहां वैकल्पिक उत्तर में गुरु नानक, प्रेमधन, रसखान एवं घनानंद का नाम दिया गया है।

    यहां भी पकड़ में आई गलती

    इसी प्रकार प्रश्न संख्या 37 भी त्रुटिपूर्ण है। यहां प्रश्न है कि मीर मुंशी ने किस कवि का वध किया था। वैकल्पिक उत्तर में रामधारी सिंह दिनकर, गुरु नानक, अज्ञेय तथा घनानंद का नाम अंकित है।

    वहीं, हिंदी की किताबें बताती हैं कि कवि घनानंद ही तत्कालीन मुगल बादशाह मोहम्मद शाह रंगीला के दरबार में मीर मुंशी का कार्य करते थे। ये ईस्वी सन् 1739 में नादिर शाह के सैनिकों के हाथों मारे गए थे। ऐसे में यह प्रश्न गलत हो जाता है कि मीर मुंशी ने किसी कवि का वध किया था।