जमीन विवाद से जवानों की हत्या तक, कौन है नक्सली अरविंद यादव? जिसके खात्मे की हो रही बिहार भर में चर्चा
झारखंड में पुलिस मुठभेड़ में माओवादी नेता अरविंद यादव उर्फ नेताजी मारा गया। वह पूर्वी बिहार और झारखंड में नक्सली संगठन का शीर्ष नेता था। साथ ही कई नक्सली वारदातों में शामिल था जिसमें पुलिसकर्मियों की हत्या भी शामिल है। जमुई जिले का रहने वाला अरविंद दो दशक पहले नक्सली संगठन में शामिल हुआ था। पुलिस से बचने के लिए वह लगातार अपना ठिकाना बदलता रहता था।
मणिकांत, जमुई। झारखंड प्रदेश के बोकारो जिला अंतर्गत लुगू पहाड़ी पर पुलिस मुठभेड़ में मारा गया अरविंद यादव उर्फ अविनाश उर्फ अशोक यादव उर्फ नेताजी पूर्वी बिहार और उत्तर-पूर्व झारखंड में नक्सल संगठन के शीर्ष नेताओं में शामिल था।
जवानों की हत्या मामले में नामजद
वर्ष 2009 में सोनो चौक पर नक्सलियों ने सोनो थाने के एएसआइ कमालुद्दीन खान समेत सैफ के चार जवानों की निर्मम हत्या कर दी थी। इस घटना में अरविंद यादव नामजद था। इसके अलावा बलथर पुल निर्माण के दौरान मजदूरों के अपहरण की साजिश में भी उसकी संलिप्तता पाई गई थी।
दो दशक पहले नक्सली संगठन से जुड़ा
सोनो थाना क्षेत्र के भेलवा मोहनपुर गांव निवासी अरविंद यादव करीब दो दशक पूर्व एक जमीनी विवाद के बाद नक्सली संगठन से जुड़ा था। इसके बाद उसने माओवादी गतिविधियों में निरंतर सक्रिय रहते हुए संगठन में ऊंचा ओहदा हासिल कर लिया।
बिहार-झारखंड में आतंक
माओवादी राज्य समिति में वरिष्ठ पद पर रहते हुए वह बिहार-झारखंड क्षेत्र का प्रवक्ता भी था। अरविंद यादव न सिर्फ जमुई, बल्कि बांका, मुंगेर और लखीसराय जिले में भी लंबे समय तक सक्रिय रहा। इसके अलावा झारखंड के गिरिडीह समेत कई अन्य जिलों में भी उसने नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया।
उसका प्रभाव क्षेत्र मुख्य रूप से लखीसराय जिले के कजरा और आसपास के इलाकों में था, फिर भी जमुई जिले में घटित कई बड़ी नक्सली वारदातों में उसकी भूमिका रही।
STF लंबे समय से कर रही थी तलाश
अरविंद यादव के विरुद्ध सोनो थाना में चार, चरकापत्थर थाना में नौ, बरहट थाना में छह सहित जिले के विभिन्न थानों में दर्जनों संगीन मामले दर्ज हैं। झारखंड व बिहार पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) द्वारा वर्षों से उसकी तलाश जारी थी।
कई बार छापामारी के बाद भी नहीं हुई गिरफ्तारी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उसकी करोड़ों की संपत्ति जब्त की और पुलिस ने कई बार उसके घर पर छापामारी व कुर्की-जब्ती की कार्रवाई भी की, लेकिन वह अब तक गिरफ्तारी से बचता रहा।
पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए वो लगातार ठिकाने बदलता रहता था। भेलवा मोहनपुर स्थित उसके पुश्तैनी घर में वर्तमान में उसके पिता जमुना यादव, माता और एक भाई रहते हैं। अविनाश तीन भाइयों में सबसे बड़ा था।
एसटीएफ की तरफ से तीन लाख रुपये इनाम की थी घोषणा
अरविंद यादव को पकड़वाने वाले या उसका पता बताने वाले को बिहार एसटीएफ की तरफ से तीन लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की गई थी। इससे पहले उस पर एक लाख रुपये का इनाम रखा गया था। झारखंड में भी अरविंद यादव पर इनाम रखा गया था। अरविंद यादव उर्फ अविनाश मूल रूप से संगठन को हथियार सप्लाई तथा संगठन के लिए फंडिंग एकत्रित करता था।
लखीसराय के कजरा की घटना में रहा था शामिल
29 अगस्त 2010 को लखीसराय के कवैया थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष भूलन यादव की हत्या कजरा के जंगल में मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने कर दी थी।
उसी दौरान बीएमपी के जवान लुकस टेटे को अगवा किया गया और सात पुलिस जवानों की हत्या कर शवों को कजरा के पहाड़ी इलाके में फेंक दिया गया था।
नक्सली अरविंद यादव उर्फ अविनाश दा भी इस घटना में मुख्य रूप से शामिल था। ऐसी अन्य कई बड़ी घटनाओं को अंजाम देकर वह चर्चा में रह चुका था।
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