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    जहानाबाद में डूबने से बचाने के लिए कोई संसाधन नहीं, दैनिक मजदूरी पर रखे गए हैं गोताखोर

    Updated: Tue, 29 Jul 2025 03:25 PM (IST)

    अब तक जिले में 10 लोगों की मौत पानी में डूबने से हो चुकी है। पिछले साल 29 लोगों की मौत पानी में डूबने से हुई थी। जिले में पानी में डूब कर हो रही दर्दनाक मौत से पीड़ित परिवारों की जिंदगी में सैलाब आ जाता है। जिससे बचाव की जगह सरकार की ओर से आश्रितों के जख्मों पर मुआवजे का मरहम लगाया जा रहा है।

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    डूबने से बचाने के लिए जिले में कोई संसाधन नहीं दैनिक मजदूरी पर रखे गए हैं गोताखोर

    जागरण संवाददाता, अरवल(जहानाबाद)। जिले भर में नदी, नाला, नहर, जलाशय, तालाब का जाल बिछा है। जो बारिश के दिनों में लबालब भर जाता हैं किसानों के लिये यह जलकर वरदान हैं तो कई लोगों के लिये शोक वजह भी बन रहे हैं। यहां हर साल नादानी, लापरवाही और असावधानी की वजह से पानी में डूबने से दर्जनों लोगों की जान जा रही है।यह सिलसिला इस साल भी जारी है।

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    इस साल अब तक जिले में 10 लोगों की मौत पानी में डूबने से हो चुकी है। पिछले साल 29 लोगों की मौत पानी में डूबने से हुई थी। जिले में पानी में डूब कर हो रही दर्दनाक मौत से पीड़ित परिवारों की जिंदगी में सैलाब आ जाता है। जिससे बचाव की जगह सरकार की ओर से आश्रितों के जख्मों पर मुआवजे का मरहम लगाया जा रहा है। यहां पानी में डूबने से हो रही मौत की वजह से सरकार को हर साल आश्रितों के बीच एक करोड से अधिक के अनुग्रह अनुदान की राशि वितरण करना पड़ रहा है।

    हालांकि, यहां आपदा से हो रही मौत की संभावना को कम करने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जिले में दैनिक मजदूरी पर 24 गोताखोर की तैनाती की गई हैं। लेकिन तैनात किये गये स्थानीय गोताखोर से भी यहां पानी में डूब कर हो रही मौतों में एक प्रतिशत भी कमी नहीं आ रही है। यहां तीन साल में अब तक 67 लोगों की मौत पानी में डूबने से हुई है।

    आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जिले में गोताखोर की नियुक्ति डेली बेसिक पर की गई है जिसे पटना के एसडीआरएफ की टीम की ओर से तैराकी व गोताखोरी का प्रशिक्षण दिया गया है। जो रेसक्यू ऑपरेशन चलाकर अपने आस-पास के इलाकों में नदी, तालाब, नहर, नाला में डूब रहे लोगों को बचा सकें।इन गोताखोरों को 512 रुपया प्रतिदिन मजदूरी दिया जाता है

    दो साल पहले युवा व स्कूली बच्चों को सिखाई गई थी तैराकी

    जिले में आपदा विभाग की ओर से युवाओं व स्कूली बच्चों को भी तैराकी दो साल पहले सिखाई गई थी। इसके लिये यहां 2023 में तीन कैंप आयोजित किये गये थे। यहां अरवल, करपी, कुर्था में 300 युवाओं एवं 300 स्कूली बच्चों को तैराकी का प्रशिक्षण देकर उसे विभाग की ओर से प्रमाण पत्र भी जारी किया गया था। लेकिन इस वर्ष हो रहे हादसे में कोई भी गोताखोर लोगों को डूबने से नहीं बचा पाए केवल अभी तक गोताखोर शव ही निकालते हैं।

         क्या कहते हैं पदाधिकारी

    जिले के गोताखोर कि जब जरूरत होती है तब अंचल अधिकारी गोताखोर को सूचना देते हैं। जितना दिन गोताखोर से काम लिया जाता है उतना ही दिन का पैसा भुगतान किया जाता है। बड़ी घटना होने पर एसडीआरएफ की टीम पटना से बुलाई जाती है। अभी जिले में एसडीआरएफ की टीम नहीं है

    गीतांजलि कुमारी, सहायक जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी