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    एसएस कॉलेज में है प्रमुख विषयों के शिक्षकों का अभाव

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 03 Oct 2017 09:16 PM (IST)

    मगध विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई स्वामी सहजानंद सरस्वती महाविद्यालय में प्रमुख विषयों।

    एसएस कॉलेज में है प्रमुख विषयों के शिक्षकों का अभाव

    जहानाबाद। मगध विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई स्वामी सहजानंद सरस्वती महाविद्यालय में प्रमुख विषयों के शिक्षक नहीं हैं। हालांकि इस महाविद्यालय में पांच विषयों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई भी होती है लेकिन शिक्षकों की कमी रहने के कारण पठन पाठन का कार्य नियमित रूप से नहीं हो पा रहा है। हालाकि महाविद्यालय प्रशासन द्वारा मगध विश्वविद्यालय को शिक्षकों की समस्याओं से अवगत कराया गया है। लेकिन इस ओर समूचित कार्रवाई नहीं हो पा रही है। हालांकि यहां शिक्षकेत्तर कर्मियों की भी कमी है। इसके कारण भी कार्यालय कार्यों का सही समय पर निष्पादन नहीं हो पाता है।

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    बताते चलें कि शहर से तकरीबन दो किलोमीटर पूरब धनगांवा के समीप वर्ष 1955 में 23 एकड़ भूखंड में इस महाविद्यालय की स्थापना की गई थी। पूर्व मंत्री व स्वतंत्रता सेनानी शत्रुध्न प्रसाद ¨सह ने देश के जाने माने किसान नेता दंडी स्वामी सहजानंद सरस्वती के नाम पर इसकी स्थापना की थी। उनके द्वारा भव्य भवन भी बनवाया गया था। महाविद्यालय के विकास तथा पठन पाठन कार्य को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1976 में इसे मगध विश्वविद्यालय का अंगीभूत इकाई बनाया गया। लंबे समय तक इस कॉलेज का मगध विश्वविद्यालय में उंचा स्थान हासिल था। यहां सीएन शर्मा,डॉ रघुवंश प्रसाद ¨सह, प्रो चंद्रभूषण शर्मा तथा डॉ श्रीकांत शर्मा जैसे लोगों को बतौर प्राचार्य काम करने का मौका मिला था। जो छात्र इस महाविद्यालय में पढ़ते थे वे अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते थे। अनुशासन के मामले में भी इस कॉलेज का अपना स्थान था। जैसे-जैसे समय बीतता गया पहले के शिक्षक सेवानिवृत होते गए। वर्तमान समय में यहां 56प्रध्यापकों का पद सृजित है जबकि मात्र 16शिक्षक ही कार्यरत हैं। संस्कृत,भूगोल,उर्दू तथा जंतु विज्ञान में एक भी शिक्षक नहीं हैं। जंतु विज्ञान में तो स्नातकोत्तर स्तर तक की पढ़ाई होती है। वर्तमान समय में भौतिकी में तीन के बजाय एक, रसायन विज्ञान में दो,वनस्पति विज्ञान में एक तथा गणित में मात्र एक शिक्षक हैं। इसी प्रकार अर्थशास्त्र, हिन्दी तथा मनोविज्ञान में भी दो-दो ही शिक्षक कार्यरत हैं। अंग्रेजी की स्थिति तो और भी खराब है। इसके पांच पद सृजित हैं जबकि मात्र एक शिक्षक हैं। राजनीतिक शास्त्र में भी तीन ही शिक्षक हैं। इस सिलसिले में प्राचार्य प्रो दिनेश प्रसाद सिन्हा ने बताया कि उनके तथा उनके पहले के प्राचार्य द्वारा शिक्षकों की समस्याओं से अवगत कराया जाता रहा है लेकिन अब तक शिक्षकों की पदस्थापना नहीं हो पाई है। हालाकि उन्होंने कहा कि शिक्षकों की कमी के बावजूद भी पठन पाठन का कार्य प्रभावित नहीं हो रहा है।