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    हल्दी की खेती से हर साल मोटी कमाई कर सकते हैं किसान, कृषि विभाग से भी मिल रही है मदद, ऐसे उठायें लाभ

    By Mithilesh Tiwari Edited By: Mukul Kumar
    Updated: Tue, 23 Jan 2024 03:30 PM (IST)

    Bihar Agriculture News महज 30 हजार की लागत से किसान मोटी कमाई करने में कामयाब हो सकते हैं। इस पहल के तहत बाग-बगीचे में हल्दी की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षण देने की कवायद भी कृषि विभाग ने प्रारंभ कर दिया है। कृषि विभाग की इस पहल पर किसानों में भी रुचि देखने को मिल रही है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    जागरण संवाददाता, गोपालगंज। अब औषधीय गुणों वाली हल्दी किसानों की झोली भरेगी। पहले से ही जिले में कम मात्रा में ही सही उगाई जाने वाली हल्दी की खेती को अब बढ़ावा देने के लिए पहल की गई है।

    इस पहल के तहत बाग-बगीचे में हल्दी की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षण देने की कवायद भी कृषि विभाग ने प्रारंभ कर दिया है।

    कृषि विभाग की इस पहल पर किसानों में भी रुचि देखने को मिल रही है। इसकी खेती के लिए किसानों को अप्रैल माह में प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि किसान हल्दी की बेहतर तकनीक के सहारे खेती कर सकें। इस साल जिले में 15 हजार हेक्टेयर में हल्दी की खेती किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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    छायादार स्थान पर अधिक होती है उपज

    औषधीय गुण वाले हल्दी का सामान्य तौर पर मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही सौंदर्य प्रसाधनों के साथ ही बीमारियों, जख्म आदि में भी इसका आयुर्वेदिक इस्तेमाल होता है। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो गर्म व नम जलवायु में हल्दी की पैदावार दूसरी जगहों से अधिक होती है।

    हालांकि, इसकी खेती के लिए जलनिकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। ज्यादातर फसलों के लिए खुले खेत या जमीन की जरूरत होती है, लेकिन हल्दी की खेती छायादार स्थान पर होती है।

    बाग-बगीचे में भी हो सकेगी हल्दी की खेती

    कृषि विज्ञानी डा. अभिषेक बताते हैं कि बाग-बगीचे में भी हल्दी लगाई जा सकती है। पौधों की छाया से हल्दी की पैदावार में कोई कमी नहीं आती है। बगीचे में हल्दी की खेती कर किसान दोहरा लाभ उठा सकते हैं।

    इससे बगीचे में लगे फल के साथ ही किसान हल्दी से भी अच्छी खासी आय प्राप्त कर सकते हैं। हल्दी की खेती करने से बगीचे में अन्य खर पतवार भी नहीं उगते हैं।

    प्रति एकड़ पांच से छह क्विंटल बीज की जरूरत

    एक एकड़ में बुआई के लिए पांच-छह क्विंटल गांठों की आवश्यकता होती है। बोआई के सात-आठ माह बाद पौधों की पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगती हैं। पत्तियां सूखने लगे तो पौधों की खुदाई कर गांठों को निकाल लेना चाहिए।

    कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, एक एकड़ में हल्दी की खेती करने पर करीब तीस हजार रुपये की लागत आती है। किसानों को प्रति एकड़ हल्दी की खेती से 90 हजार रुपये तक का लाभ मिल सकता है।

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