शोभित की चाह से घर-आंगन में लौट आई गौरैया की चहचहाहट, अब थावे के मंदिर में फुदकेंगी नन्हीं चिड़िया
गौरैया बिहार की राजकीय चिड़िया है। उन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए मुहिम चला रहे गोपालगंज शहर के हजियापुर निवासी 21 साल के शोभित गुप्ता को अब ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर परिसर को गौरैया फ्रेंडली बनाने की अनुमति मिली है। इससे पूर्व वे नगर परिषद गोपालगंज को गौरैया फ्रेंडली बना चुके हैं। शोभित ने अपने घर के बरामदे व पार्किंग क्षेत्र को गौरैया का आशियाना बना दिया है।

जागरण संवाददाता, गोपालगंज। गौरैया बिहार की राजकीय चिड़िया है। उन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए मुहिम चला रहे गोपालगंज शहर के हजियापुर निवासी 21 साल के शोभित गुप्ता को अब ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर परिसर को गौरैया फ्रेंडली बनाने की अनुमति मिली है।
इससे पूर्व वे नगर परिषद, गोपालगंज को गौरैया फ्रेंडली बना चुके हैं। शोभित ने अपने घर के बरामदे व पार्किंग क्षेत्र को गौरैया का आशियाना बना दिया है। गौरैया संरक्षण के लिए यह मुहिम धीरे-धीरे रंग लाने लगी। गोपालगंज के बाहर के करीब 2,000 लोग ई-कामर्स वेबसाइट के माध्यम से शोभित की इस मुहिम से जुड़ चुके हैं।
‘आई लव गौरैया’ मुहिम भी चला रहे हैं शोभित
वहीं, जिले के करीब 150 लोगों के घरों में शोभित की मुहिम से गौरैया की गौरैया की चहचहाहट लौट आई है। शोभित इस नन्हीं चिड़िया के संरक्षण के लिए ‘आई लव गौरैया’ मुहिम भी चला रहे हैं। उन्हें परिवार के साथ लोगों का भी समर्थन मिल रहा है।
शोभित ने बीते अगस्त में गोपालगंज नगर परिषद कार्यालय परिसर में मुख्य पार्षद हरेंद्र कुमार चौधरी से अनुमति मिलने के बाद 100 हाउस बर्ड एवं 30 बर्ड फीडर बाक्स लगाया है। धीरे-धीरे यहां गौरैया का आगमन भी होने लगा है।
अब थावे दुर्गा मंदिर परिसर को गौरैया फ्रेंडली बनाने की अनुमति थावे अंचलाधिकारी से मिली है। यहां वे अपने खर्च से 100 से अधिक हाउस बर्ड एवं 50 से अधिक बर्ड फीडर लगाएंगे।
शोषित स्वयं के खर्च से स्वयं प्लाईवुड से तैयार कर बर्ड हाउस लोगों में बांट रहे हैं। इन बर्ड हाउस में गौरैया न सिर्फ बच्चों को जन्म दे रही हैं, बल्कि यहां से कई बच्चे उड़ान भरना भी सीखते हैं।
जनवरी के अंत तक गौरैया फ्रेंडली हो जाएगा थावे दुर्गा मंदिर परिसर
थावे अंचलाधिकारी रजत वर्णवाल ने बताया कि मानव समाज के बीच रहने वाली गौरैया तेजी से विलुप्ति की ओर बढ़ रही है। गौरैया की विलुप्ति का मुख्य कारण मानव जीवन शैली में आए बदलाव हैं। विलुप्त होती गौरैया को बचाने की दिशा में शोभित अच्छा काम कर रहे हैं। उन्हें ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर परिसर को गौरैया फ्रेंडली बनाने की अनुमति दी गई है। जनवरी के अंत तक यह काम शोभित पूरा कर लेंगे।
पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में मददगार हैं गौरैया
कुचायकोट स्थित महेंद्र दास उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नेचुआ जलालपुर में विज्ञान शिक्षिका रश्मि रानी ने बताया कि आज पेड़ कट रहे व आंगन घट रहे हैं। कम होते रिहाइशी क्षेत्र, भोजन की उपलब्धता में कमी, बढ़ते प्रदूषण आदि के प्रभावों से आज गौरैया विलुप्त हो रही है।
मोबाइल टावर से निकलने वाली तरंगों का भी इनपर बुरा प्रभाव पड़ा है। गौरैया इंसानों की दोस्त और किसानों की मददगार हैं। ये कीड़े–मकोड़ों से फसलों की रक्षा करती हैं। यह पक्षी एक प्रभावी कीट नियंत्रक है।
पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में मददगार इस पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूकता जरूरी है। उन्होंने शोभित की मुहिम की सराहना की और युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
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