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    बिहार की इस सीट पर सियासी गर्माहट तेज, BJP-JDU आमने-सामने; सीट बंटवारे पर टिकी सबकी निगाहें

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 05:19 PM (IST)

    बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। राजग गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर भाजपा और जदयू दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। 2020 के चुनाव में राजग की अंदरूनी कलह के कारण राजद उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इस बार गठबंधन को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

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    पूर्व विधायक मंजीत कुमार सिंह, पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी और विधायक प्रेम शंकर प्रसाद। (फोटो जागरण)

    नीरज कुमार सिंह, बैकुंठपुर, (गोपालगंज)। बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच बैकुंठपुर विधानसभा सीट राजनीतिक अखाड़ा बन गई है। राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के भीतर सीट बंटवारे की कवायद ने यहां का माहौल और भी रोचक कर दिया है।

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    भाजपा और जदयू, दोनों ही दल इस सीट पर अपनी मजबूत दावेदारी ठोक रहे हैं, जिससे कार्यकर्ताओं से लेकर आम मतदाता तक में उत्सुकता बनी हुई है।

    भाजपा खेमे में पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी का नाम चल रहा है। उनके समर्थक पार्टी के भीतर टिकट के लिए पूरी सक्रियता दिखा रहे हैं।

    वहीं, दूसरी ओर जदयू से पूर्व विधायक मंजीत कुमार सिंह को स्वाभाविक दावेदार माना जा रहा है। दोनों नेताओं के समर्थक मैदान सजाने की तैयारी में जुट गए हैं। इंटरनेट मीडिया पर भी दोनों दलों के कार्यकर्ता अपने-अपने नेता को टिकट मिलने की दावेदारी ठोक रहे हैं।

    बैकुंठपुर का चुनावी इतिहास भी गठबंधन के लिए सबक से भरा रहा है। वर्ष 2020 में राजग की अंदरूनी खींचतान ने बाजी पलट दी थी। सीट बंटवारे में टिकट कटने के बाद मंजीत कुमार सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोंकी, जबकि भाजपा ने मिथिलेश तिवारी को मैदान में उतारा।

    नतीजा यह हुआ कि वोट बंटवारे का सीधा फायदा राजद उम्मीदवार प्रेम शंकर प्रसाद को मिला, जिन्होंने आसानी से जीत हासिल कर ली।

    सीट बंटवारे पर होने वाले फैसले का बेसब्री से इंतजार

    स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर इस बार भी भाजपा और जदयू के बीच तालमेल नहीं बैठा तो विपक्ष को पुनः बढ़त मिल सकती है। यही कारण है कि गठबंधन के रणनीतिकार बैकुंठपुर को लेकर बेहद सतर्क हैं।

    जातीय समीकरण, स्थानीय गुटबाजी और पिछले अनुभवों को देखते हुए यह सीट राजग के लिए ‘परीक्षा की कसौटी’ साबित हो सकती है।

    फिलहाल बैकुंठपुर की जनता की निगाहें सिर्फ एक सवाल पर टिकी हैं, कि राजग की ओर से आखिरकार उम्मीदवार कौन होगा? भाजपा के मिथिलेश तिवारी या जदयू के मंजीत कुमार सिंह? या इसके अलावा कोई और? सीट बंटवारे पर होने वाला यह फैसला ही आगे की चुनावी तस्वीर को साफ करेगा।

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