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    Gopalganj News: गोपालगंज में 88000 हेक्टेयर में होगी धान की खेती, श्रीविधि को अपना रहे किसान

    Updated: Sat, 31 May 2025 04:31 PM (IST)

    गोपालगंज जिले में इस वर्ष 88000 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य है। कृषि विभाग ने प्रखंडवार लक्ष्य निर्धारित किया है। खरीफ महाअभियान के तहत किसानों को आधुनिक खेती के लिए जागरूक किया जा रहा है। समय पर बीज और खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करना विभाग के लिए चुनौती है। इस बार श्रीविधि से धान की खेती पर जोर दिया जा रहा है।

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    खबर की प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, गोपालगंज। जिले में इस बार 88,000 हेक्टेयर में धान की खेती होगी। कृषि विभाग की ओर से प्रखंड वार खेती का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। सबसे अधिक कुचायकोट प्रखंड में 9377 हेक्टेयर में धान की खेती होगी। सबसे कम 2980 हेक्टेयर में थावे प्रखंड में खेती करने का लक्ष्य रखा गया है।

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    मई माह के अंतिम सप्ताह से किसान खेतों में धान का बिचड़ा डालने में जुट गए हैं। कृषि विभाग के सामने समय से पर्याप्त मात्रा में बीज व खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करना चुनौती होगी।

    इस बीच आधुनिक खेती पर जोर देने के लिए खरीफ महाअभियान शुरू कर दिया गया है। जिले के बाद अब प्रखंडों में महाअभियान के तहत किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

    अधिकांश हिस्सों में परंपरागत विधि से की जाती है धान की खेती

    मई माह के अंतिम सप्ताह में किसानों ने अब धान के बिचड़े गिराने शुरू कर दिए हैं। जगह-जगह किसान पंपसेट की मदद से खेतों में पानी चला कर का कदवा तैयार कर रहे हैं, और धान के बीज गिरा रहे हैं।

    विदित हो कि जिले के अधिकांश हिस्सों में धान की खेती परंपरागत विधि से ही की जाती है। इस विधि से धान की रोपाई से पूर्व धान के बिचड़े तैयार किए जाते हैं और इसके बाद तैयार पौधों की रोपाई की जाती है।

    हालांकि, खेती की लागत कम करने को लेकर धान की सीधी बोआई को लेकर भी लोगों को जागरूक और प्रशिक्षित किया जा रहा है। परंपरागत तरीके से धान की रोपाई के लिए आमतौर पर बरसात का किसान इंतजार करते हैं।

    जल्दी बीज गिराने से लंबी अवधि के धान की फसल से होगा उत्पादन

    कृषि विज्ञान केंद्र सिपाया के कृषि विज्ञानी बताते हैं कि परंपरागत धान की फसल के लिए आमतौर पर लोगों को वर्षा का इंतजार रहता है। अगर किसानों के पास अपने साधन हो तो 15 मई से 15 जून के बीच वह धान का बिचड़ा गिरा सकते हैं। जल्दी बीज गिराने से किसान लंबी अवधि के धान की फसल से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।

    श्रीविधि से धान की खेती पर जोर

    जिला कृषि पदाधिकारी ललन कुमार सुमन ने बताया कि धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित करने के साथ ही इस बार श्रीविधि से धान की खेती पर जोर दिया जाएगा।

    उन्होंने बताया कि लक्ष्य निर्धारित करने के बाद प्रत्येक प्रखंड में किसानों को बीज उपलब्ध कराने के लिए बकायदा अभियान चलाया जाएगा। इसके अलावा दुकानों में ससमय बीज उपलब्ध होने की भी व्यवस्था की जाएगी।

    उर्वरक की उपलब्धता होगी चुनौती

    कृषि विभाग के आंकड़ों को मानें तो धान की खेती के लिए करीब तीन हजार एमटी एनपीके मिक्सचर के अलावा करीब चार हजार एमटी एसएसपी की जरूरत होगी। अलावा इसके किसानों को इस अभियान में करीब 17 हजार एमटी यूरिया की भी दरकार होगी।

    कृषि विभाग के लिए समय से खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होगी। पिछले सालों में खाद व बीज की समय से उपलब्धता नहीं होने का अनुभव इस बात की गवाही दे रहा है कि इस समस्या से निकलना कृषि विभाग के लिए बड़ी चुनौती होगी।

    प्रति वर्ष कृषि विभाग पर समय से खाद नहीं उपलब्ध कराने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में विभाग इस साल इस बड़ी समस्या से निजात दिलाने के लिए पूर्व से ही तैयारियों में जुटा दिख रहा है।

    प्रखंडवार धान की खेती का लक्ष्य

    प्रखंड (Block) लक्ष्य (Target in Hectares)
    बैकुंठपुर 7670
    सिधवलिया 3658
    बरौली 7670
    मांझा 7277
    थावे 2980
    गोपालगंज 6565
    कुचायकोट 9377
    उचकागांव 7470
    हथुआ 7780
    फुलवरिया 3260
    भोरे 7077
    कटेया 7079
    विजयीपुर 6779
    पंचदेवरी 3358
    योग (Total) 88000