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    School Fee Hike: महंगी हुई बच्चों की पढ़ाई, निकल रही लोगों की आधी कमाई

    Updated: Sat, 12 Apr 2025 11:31 AM (IST)

    गोपालगंज में पिछले तीन सालों में स्कूलों की फीस और बस का किराया काफी बढ़ गया है जिससे अभिभावक परेशान हैं। किताबों कॉपियों और यूनिफॉर्म की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। कोरोना काल के बाद शिक्षा महंगी हुई है और स्कूल फीस में 20-25% और बस के किराए में 40-50% तक की वृद्धि हुई है। कमाई का लगभग आधा हिस्सा बच्चों की पढ़ाई पर खर्च हो रहा है।

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    कोरोना से बाद से 25 फीसदी तक बढ़ी स्कूलों की फीस

    जागरण संवाददाता, गोपालगंज। तीन साल की अवधि में स्कूलों में बच्चों की फीस व स्कूल बस के किराए में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है। लगातार महंगी होती बच्चों की पढ़ाई में लोगों की आधी कमाई निकल जा रही है। ऐसे में अभिभावक परेशान हैं। वहीं, दूसरी ओर किताब- कॉपी से लेकर यूनिफार्म तक की कीमत में बढ़ोतरी लोगों को परेशान कर रही है।

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    कोरोना के बाद से बढ़ी फीस

    कोरोना काल के बाद से बच्चों की शिक्षा पर काफी असर पड़ा है। कोरोना काल के बाद तेजी से स्कूलों की फीस में भी बढ़ोतरी जारी रही। पिछले तीन साल की अवधि में लोगों की आमदनी में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई। इस बीच स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की फीस से लेकर स्कूल बसों का किराया जरूर बढ़ गया।

    बस के किराए में 40-50 फीसदी का इजाफा

    आंकड़े गवाह हैं कि तीन साल की अवधि में स्कूल फीस में 20 से 25 प्रतिशत तथा स्कूल बस के भाड़े में 40 से 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस अवधि में किताब-कॉपी से लेकर यूनिफार्म तक की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई।

    हद तो यह कि एनसीईआरटी की पुस्तकों की कीमत में भी तीन साल में 30 से 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कई निजी प्रकाशन की पुस्तकों की कीमत में तो तीन साल में 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

    डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से बढ़ा स्कूल बसों का किराया

    स्कूल बसों के भाड़े में बढ़ोतरी का एकमात्र कारण डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी है। स्कूल बसों का भाड़ा स्कूल से बच्चों के घर की दूरी के हिसाब से लिया जाता है। इस भाड़े में तीन साल में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। स्कूल संचालक बसों का भाड़ा बढ़ाने के पीछे तर्क डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि बता रहे हैं।

    हालांकि, पिछले डेढ़ साल से डीजल की कीमतें स्थिर हैं। स्कूल संचालकों की मानें तो तीन साल में डीजल की कीमत में प्रति लीटर 28 से 30 रुपये की वृद्धि स्कूल बस भाड़े में वृद्धि का एकमात्र कारण है।

    स्कूल फीस में 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी

    कोरोना काल के बाद स्कूलों की ओर से बच्चों के अभिभावकों को निजी विद्यालयों के प्रति आकर्षित करने के लिए नामांकन शुल्क में छूट दे दिया। इस बीच विद्यालयों में बच्चों के मासिक किराए में वर्ष वार वृद्धि जारी रही। आंकड़े बताते हैं कि छोटे-बड़े सभी स्कूलों में तीन साल की अवधि में बच्चों की मासिक फीस में 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

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