गोपालगंज के खालगांव की सब्जियां पहुंच रहीं यूपी तक, 100 एकड़ में हो रही उन्नत खेती बनी किसानों की पहचान
गोपालगंज के पंचदेवरी प्रखंड का खालगांव अब सब्जी उत्पादन का केंद्र बन गया है। करीब दो दशक पहले किसानों ने पारंपरिक खेती छोड़कर सब्जी उगाना शुरू किया, ज ...और पढ़ें

100 एकड़ जमीन में खालगांव में हो रही सब्जी की खेती
जागरण संवाददाता, गोपालगंज।पंचदेवरी प्रखंड के खालगांव में तैयार हो रही ताजी और गुणवत्तापूर्ण सब्जियां अब जिले की सीमाओं को पार कर उत्तर प्रदेश तक पहुंच रही हैं। यह बदलाव यूं ही नहीं आया, बल्कि करीब दो दशक पहले गांव के किसानों द्वारा पारंपरिक खेती छोड़कर सब्जी उत्पादन की ओर किए गए साहसिक प्रयास का परिणाम है। आज खालगांव सब्जी उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है और आसपास के गांवों के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
करीब 20 वर्ष पूर्व तक खालगांव के किसान परंपरागत तरीके से धान और गेहूं जैसी फसलों की खेती करते थे, लेकिन इससे मिलने वाला मुनाफा काफी सीमित था। खेती से बढ़ती लागत और कम आमदनी के कारण किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो रहा था। इसी बीच गांव के कुछ प्रगतिशील किसानों ने वैकल्पिक खेती के रूप में सब्जी उत्पादन का रास्ता चुना। शुरुआत छोटे स्तर पर हुई, लेकिन परिणाम उत्साहजनक रहे।
खालगांव के किसान रामअवध सिंह बताते हैं कि उन्होंने सबसे पहले आलू की खेती से शुरुआत की। बाद में गोभी, बैंगन, प्याज, टमाटर, भिंडी समेत कई मौसमी सब्जियों की खेती शुरू की गई। आज वे अकेले दो एकड़ भूमि में सब्जी की खेती कर रहे हैं। इसी खेती से मिली आमदनी के बल पर उन्होंने अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाई है। वे कहते हैं कि सब्जी की खेती ने उनके जीवन और सोच दोनों को बदल दिया है।
गांव में अब करीब 100 एकड़ जमीन में सब्जी की खेती हो रही है। किसान उन्नत बीज, ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग और आधुनिक कृषि तकनीकों का इस्तेमाल कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं। इसका असर यह है कि आज खालगांव की सब्जियों की मांग आसपास के बाजारों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के बाजारों में भी बढ़ गई है।
किसान उदय भान सिंह, विनोद सिंह और दिलीप सिंह बताते हैं कि पहले सब्जी बेचने के लिए मंडी ढूंढनी पड़ती थी, लेकिन अब व्यापारी खुद गांव तक पहुंच जाते हैं। पंचदेवरी के अलावा कटेया बाजार, उत्तर प्रदेश के पथरदेवा, बघऊच, तमकुही राज, सलेमगढ़ और तरकुलवा बाजार से व्यापारी नियमित रूप से खालगांव आकर सब्जियों की खरीदारी करते हैं।
वर्तमान समय में गांव में पैदा हो रहे गोभी और बैंगन की बिक्री सीधे खेत से ही हो रही है। इससे किसानों को उचित दाम मिल रहा है और परिवहन लागत भी कम हो रही है। गांव के करीब पांच दर्जन किसान अब पूरी तरह सब्जी की खेती पर निर्भर हैं और परंपरागत खेती को छोड़कर इस माध्यम से अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत बना चुके हैं।
खालगांव की यह सफलता कहानी साबित करती है कि यदि किसान आधुनिक तकनीक और बाजार की मांग को समझकर खेती करें, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सकती है। आज खालगांव के किसान न केवल आत्मनिर्भर बने हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनकर उभरे हैं।

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