बिहार के इस मंदिर को कहा जाता है तांत्रिकों की साधना स्थली, भगवान राम की गुजरी थी बारात
गोपालगंज जिले के उचकागांव में स्थित घोड़ाघाट मंदिर तांत्रिकों की साधना स्थली है। मान्यता है कि थावे जाते समय मां भवानी यहाँ रुकी थीं। दाहा नदी के किनारे स्थित इस मंदिर का निर्माण थावे मंदिर के समय हुआ था। यहां कश्मीर से कमल पुष्प मंगाकर मां दुर्गा की पूजा की जाती है।

जागरण संवाददाता,गोपालगंज। गोपालगंज जिले के उचकागांव प्रखंड का घोड़ाघाट मंदिर तांत्रिकों की साधना स्थली के रूप में विख्यात है। घोड़ा घाट में थावे जाने के समय मां भवानी कुछ देर तक रुकी थीं।
यहां मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए भक्तों भी भीड़ लगी रहती है। चैत्र व शारदीय नवरात्र में यहां दूर दराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं। हथुआ राज परिवार की राजमाता भी इस मंदिर में प्रति वर्ष पूजा-अर्चना के लिए आती हैं।
मंदिर का इतिहास
दाहा नदी की तट पर स्थित ऐतिहासिक घोड़ाघाट मंदिर का निर्माण भी थावे के दुर्गा मंदिर के समय ही कराया गया था। बताया जाता है कि भगवती भक्त रहसू की पुकार पर कोलकाता से पटनदेवी होते हुए आमी आने के बाद मां भवानी घोड़ाघाट में ही रुक कर अपने भक्त रहषु के माध्यम से राजा मनन सेन को अंतिम चेतावनी दी थीं।
भक्त रहषु के माध्यम से मां द्वारा दी गयी चेतावनी के बाद भी जब राजा मनन सेन ने उनकी बातों को मानने से इनकार कर दिया। तब मां भगवती घोड़ाघाट से चलकर थावे पहुंचीं। थावे पहुंच मां ने राजा मनन सिंह के राज को तहस-नहस कर डाला।
कहा जाता है कि दाहा नदी का उद्गम भी भगवान राम की बारात अयोध्या से लौटने के क्रम में हुआ। दंत कथाओं के अनुसार भगवान राम की बारात वापसी के समय जगत जननी सीता को प्यास लगी।
प्यास बुझाने के लिए उन्होंने लक्ष्मण से पानी की मांग की। तब लक्ष्मण ने वाण का अनुसंधान कर जमीन से गंगा जल निकाला था। इसी के कारण इस नदी का नाम वाण गंगा हो गया। लोग इसे दाहा के नाम से भी जानते हैं।
51 कमल पुष्प से होती है पूजा
घोड़ा घाट स्थित मां दुर्गा की मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए कश्मीर के मानसरोवर झील से 51 कमल पुष्प मंगाकर मां को अर्पित किया जाता है।
पांच घोड़ों के रथ पर यह देवी मंदिर दशहरे के समय में तांत्रिकों का सिद्ध स्थल माना जाता है। इस मंदिर को पर्यटन के नक्शे पर चमकाने की घोषणा की जा चुकी है।
आने को है सुगम मार्ग
उंचकागांव प्रखंड में स्थित एक एतिहासिक दुर्गा मंदिर में पहुंचने के लिए मार्ग काफी सुगम है। जिला मुख्यालय से महज 11 किलोमीटर दूर स्थित मंदिर तक आने के लिए मीरगंज तथा गोपालगंज से हमेशा वाहन उपलब्ध हैं। ऐसे में यहां भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है।
घोड़ाघाट वाली माता भक्तों की प्रत्येक मनोकामनाएं पूर्ण करतीं हैं। शारदीय नवरात्र में यहां भक्तों की अधिक भीड़ जुटती है। इस मंदिर में पूजा अर्चना करने लोगों की मनोवांछित कामनाएं पूरी होती है।- अंकुर पांडेय, भक्त
घोड़ाघाट स्थित मां दुर्गा मंदिर में दोनों नवरात्र के समय बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश तक से भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इस मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना मां पूर्ण करती हैं।- वीरेंद्र पाठक, पुजारी, घोड़ा घाट दुर्गा मंदिर
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