औरंगाबाद में पुण्यतिथि पर याद किए गए रामशरण यादव, शिक्षक पद छोड़ चुनाव लड़े और पहली बार में जीते
13 अगस्त 2005 में बीमारी के कारण वे स्वर्ग सिधार गए। वे पांच बार गोह विधानसभा के नेतृत्व किया। हसपुरा थाना के टनकुपी गांव निवासी स्व. यादव शिक्षक थे लेकिन जब वे हाई स्कूल हसपुरा में पढ़ते थे तो उसी समय से उनमें नेतृत्व करने की क्षमता जगी

संवाद सूत्र, हसपुरा (औरंगाबाद)। समाजसेवी, सादगी, ईमानदार, विलक्षण प्रतिभा, कुशल व्यक्तित्व के धनी व सबके चहेते बने समाजवादी नेता रहे पूर्व विधायक राम शरण यादव की 13 अगस्त को हसपुरा में 16 वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। भाकपा के पूर्व जिला मंत्री जगनारायण सिंह विकल, अंचल मंत्री सह मुखिया चंद्रशेखर सिंह, रामइकबाल सिंह, पुत्र ई. रणविजय कुमार के अनुसार तैयारी पूरी कर ली गई है।
प्रतिमा स्थल पर समारोह के लिए साफ-सफाई व सजावट कर दी गई है। बता दें कि स्व. यादव सादगी व उच्च विचार के जमीनी नेता थे। इनकी विचारों की चर्चा भाकपा समेत आम जनता के बीच हमेशा होती रहती है, क्योंकि ये सबके बीच रहते भी थे। यही कारण है कि इनके पुण्यतिथि समारोह में भाकपा ही नहीं बल्कि विभिन्न दलों के नेता एवं राजनीतिक गतिविधियां से परे गणमान्य शामिल होते हैं।
13 अगस्त 2005 में बीमारी के कारण वे स्वर्ग सिधार गए। वे पांच बार गोह विधानसभा के नेतृत्व किया। हसपुरा थाना के टनकुपी गांव निवासी स्व. यादव शिक्षक थे, लेकिन जब वे हाई स्कूल हसपुरा में पढ़ते थे तो उसी समय से उनमें नेतृत्व करने की क्षमता जगी, क्योंकि उस समय उन्होंने एक संगठन बनाया था। जिसके माध्यम से पुरानी किताब व चंदा कर गरीब प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को मदद किया जाता था, लेकिन एक तरफ अपनी जिंदगी की फिक्र व दूसरी तरफ समाज की चिंता।
इसी उधेड़बुन में 21 जुलाई 1964 में म.वि. तरार (दाउदनगर) में शिक्षक पद के लिए अवसर मिला और वे शिक्षक बन गए, लेकिन समाज की चिंता बरकरार रहा। यही कारण था कि 15 मई 1977 ई. में गोह के हथियारा म.वि.से शिक्षक पद से त्यागपत्र देकर वे विधानसभा के चुनाव में लाल झंडे लेकर कूद पड़े और चुनाव जीत गए।
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