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    धान खरीद: पैक्स अध्यक्षों का हास्यासपद गणित, 105 किलो का होता है एक क्विंटल, मुख्‍यमंत्री से करेंगे शिकायत

    By Prashant KumarEdited By:
    Updated: Sat, 13 Feb 2021 09:56 AM (IST)

    न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 2.88 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीद कर भले ही यह जिला राज्य में पहले पायदान पर पहुंच गया लेकिन किसानों की कसक अब भी बरकरार है। आरोप है कि कास्तकारों के बदले साहुकारों से धान की खरीद अधिकांश पैक्सों में की गई हैं।

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    इस तरह रखे जा रहे किसानों के धान। जागरण।

    जागरण संवाददाता, सासाराम। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 2.88 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीद कर भले ही यह जिला राज्य में पहले पायदान पर पहुंच गया हो लेकिन किसानों की कसक अब भी बरकरार है। किसानों का आरोप है कि कास्तकारों के बदले साहुकारों से धान की खरीद अधिकांश पैक्सों में की गई हैं। गैर रैयत से धान की खरीद दिखा लक्ष्य पूरा करने का प्रयास किया गया है।

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    दावथ प्रखंड के किसानों का कहना है कि उनसे 75 क्विंटल धान पैक्स द्वारा लिया गया है। इसके बदले में न तो रसीद दिया गया न ही अन्य कागजात। जबकि बोरी से ले धान ढुलाई व पोलदारी का खर्च वे स्वयं वहन किए। छह दिनों के बाद उनके खाते में कम ही राशि प्राप्त हुई। कहने पर पैक्स अध्यक्ष समझाते हैं कि सौ का नहीं 105 किलो का पैक्स में क्विंटल होता है।

    जिले के दावथ प्रखंड के हथडीहा निवासी किसान उमाशंकर तिवारी का आरोप है कि उनके द्वारा गीधा पैक्स को दिए गए धान के वास्तविक आँकड़े को कम दिखाकर पांच क्विंटल से अधिक धान का घोटाला किया गया है।  हथडीहा निवासी सह दिल्ली उच्च न्यायालय अधिवक्ता सौरभ तिवारी नें बताया कि   लगभग 10 हजार रूपए से अधिक का घोटाला किया गया है। कहा कि उनके द्वारा पैक्स को 184 बोरी धान दी गयी थी जिसमें प्रत्येक बोरी का वजन 42 किलो था यानिं बोरी वजन काटते हुए अगर प्रत्येक बोरी में 41 किलो धान भी माना जाय तो कुल 75 क्वींटल 44 किलो धान होना चाहिए, लेकिन सहकारिता विभाग के बेवसाइट पर 70 क्वींटल धान आधिप्राप्ति दिखाते हुए 11 फरवरी को  किसान उमाशंकर तिवारी के दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के खाते में महज 70 क्वींटल धान व 1750 रु बोरी का भुगतान किया गया।

    गौरतलब है कि बोरी का खर्च से लेकर ढुलाई तक का सारा खर्चा किसान द्वारा स्वयं वहन किया गया । बताया कि पहले तो धान अधिप्राप्ति में पैक्स द्वारा आनाकानी कि जा रही थी।एसडीएम बिक्रमगंज व उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप के बावजूद धान 14 दिंन किसान के गैरेज में रखा रह गया। जब 7 फरवरी को किसान नें अपनें खर्चे से धान पैक्स गोदाम भेजवाना चाहा तो पैक्स अध्यक्ष द्वारा धान को दिनारा स्थित चावल मिल मे ले जाने के लिए कहा गया।

    धान आधिप्राप्ति रसीद भी नहीं दी गई। जिला सहकारिता पदाधिकारी से शिकायत दर्ज कराई गई तो उन्होंनें कहा कि धान अधिप्राप्ति रसीद कल दे दी जाएगी। धान अधिप्राप्ति रसीद तो किसान को नहीं मिली लेकिन  पांच क्विंटल कम का भुगतान किया गया।

    इस मामले में अधिवक्ता सौरभ तिवारी नें मुख्यमंत्री बिहार और प्रधान सचिव सहकारिता विभाग तथा डीएम  को आवेदन दे  उच्च स्तरीय जांच व कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि किस प्रकार फर्जी गैर रैयतों के नाम पर धान आधिप्राप्ति की जा रही है ।जिससे वास्तविक किसान लाभान्वित नहीं हो रहे हैं।