खुद को 'किंग मेकर' मानने वाले मांझी की नाव पर पूरा परिवार सवार, बेटे और बहू दोनों को कर दिया सेट
जीतन राम मांझी ने गांव की पगडंडियों से संसद तक का सफर तय किया। 1980 में कांग्रेस से विधायक बने फिर 2014 में बिहार के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 2015 में हम पार्टी बनाई और 2024 में पहली बार सांसद बने। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग का कैबिनेट मंत्री बनाया। उनके परिवार के सदस्य भी राजनीति में सक्रिय हैं।

कमल नयन, गयाजी। गांव की पगडंडियों से चलकर मुख्यमंत्री, इसके बाद संसद की सीढ़ियां चढ़ना जीतन राम मांझी के लिए बड़ी उपलब्धि है। उनके राजनीतिक करियर पर किसी को भी रश्क होगा, जो परिस्थितियों के कारण ढली और गढ़ी गई। 1980 में कांग्रेस के टिकट पर फतेहपुर से विधायक बने, तब सरकार भी कांग्रेस की ही थी।
भरोसा ऐसा कायम किया कि वर्ष 2014 के मई माह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफे के बाद उन्हें बिहार में 23वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिला दी। नौ महीने तक कार्यकाल रहा, परंतु मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद मुड़कर नहीं देखा और 2015 में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की स्थापना कर दी।
अपने दल के माध्यम से स्वयं को 'किंग मेकर' की भूमिका में लाने की पुरजोर कोशिश की। पहले अपनी पार्टी के अध्यक्ष बने, फिर पुत्र को पार्टी सौंप संरक्षक बन गए। इस पार्टी के बैनर तले 2024 में स्वयं लोकसभा का चुनाव लड़े और पहली बार संसद पहुंच गए।
समाज के अंतिम कतार के प्रतिनिधित्व का दोबारा लाभ मिला और पार्टी से एकमात्र सांसद होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग का कैबिनेट मंत्री बना दिया। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने 1980 में फतेहपुर से विधायक बनने के बाद राजनीति के सफर में लगातार उतार-चढ़ाव देखे और उसी अनुरूप दल बदल भी करते रहे।
उन्होंने कांग्रेस, राजद, जदयू का दामन थामा। फिलहाल उनकी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा पार्टी राजग के साथ है। इस दल की नाव पर पूरे परिवार को सवार कर रखा है और सबको यथोचित पद दिलाने में भी सफल रहे। पुत्र डॉ. संतोष कुमार सुमन विधान परिषद के सदस्य बनाए गए और उन्हें लघु जल संसाधन विभाग के मंत्री का पद मिला।
उन्होंने पुत्र को निर्विरोध अपनी राजनीतिक विरासत भी सौंप दी, आज वह हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।वर्ष 2024 में जीतन राम मांझी जब सांसद बन गए तो गया जिले की इमामगंज विधानसभा सीट खाली हो गई। उस सीट पर बहू और मंत्री डॉ. सुमन की पत्नी दीपा मांझी को चुनाव लड़ाया और गठबंधन के सहारे जीत भी दिला दी।
बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र से हम पार्टी की ज्योति देवी विधायक हैं। वह उनकी समधन और मंत्री डॉ. संतोष सुमन की सास हैं। इस तरह परिवार के चार सदस्य सांसद, विधायक और मंत्री हैं। राजनीतिक रूप से मांझी का परिवार काफी सशक्त माना जाता है। उनकी एक पुत्री सुनैना देवी गया नगर निगम के वार्ड संख्या एक से 2007 से 2017 तक पार्षद बनी रहीं।
हालांकि, 2022 का नगर निकाय चुनाव हार गईं। उनकी दूसरी पुत्री पुष्पा कुमारी सरकारी पद पर कार्यरत हैं। कभी-कभी उनका भी नाम चुनावी राजनीति में आता रहता है। अगर पिता के बताए रास्ते पर चलीं तो वह भी चुनाव लड़ सकती हैं।
अनुमान है कि आगामी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से सीट शेयरिंग में मांझी की पार्टी को चाहे जितनी भी सीटें मिलें, प्राथमिकता परिवार की ही रहेगी। फिलहाल, उनकी पार्टी के एक विधायक परिवार के नहीं जाति के हैं तो दूसरे विधायक दूसरी जाति के हैं।
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