बायोफ्लॉक तकनीक से सीमित जमीन व कम पानी में करें मछली पालन
-कृषि और पशुपालन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने मत्स्य विभाग की नई योजना पर अधिकारियों संग की समीक्षा -रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहा नई तकनीक से मछली पालन की योजना जागरण संवाददाता गया
गया । कृषि व पशुपालन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि बायोफ्लॉक मछली उत्पादन की नई तकनीक है। सीमित जगह व कम पानी और पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए मछली का गुणवत्तायुक्त उत्पादन किया जा सकता है। यह हर क्षेत्र के लिए उपयोगी भी है। मंत्री विभाग की योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि योजना से मछली पालक किसान, युवा रोजगार के नए अवसर सृजन कर सकते हैं। इस पर सरकार 75 फीसद अनुदान भी दे रही है। बायोफ्लॉक तकनीक में पांच टैंक एवं दस टैंक के मत्स्य उत्पादन इकाइयों को लगाने का प्रावधान है। पांच टैंक की इकाई लगाने के लिए 24 सौ वर्ग फिट जगह तय है। दस टैंक के लिये 35 सौ वर्ग फिट की आवश्यकता होती है।
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एससी-एसटी को 75 व सामान्य
को 50 फीसद का अनुदान
योजना लाभ में एससी-एसटी, पिछड़ा वर्ग के लाभुक को ईकाई लागत का 75 प्रतिशत अनुदान एवं सामान्य वर्ग के लाभुक को 50 प्रतिशत अनुदान देय है। एक टैंक से साल में दो फसल प्राप्त होती है। एक फसल में 400 किलो ग्राम मछली उत्पादन होता है। इस प्रकार पांच टैंक से सालाना 4 हजार किलो ग्राम मछली का उत्पादन होगा।
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उप मत्स्य निदेशक ने बताया कि गया में पांच टैंक वाले बायोफ्लाक लगाने के लिए सामान्य वर्ग का तीन, अनुसूचित जाति का एक एवं अति पिछड़ावर्ग का दो लक्ष्य है। जबकि 10 टैंक की ईकाई लगाने के लिए सामान्य वर्ग में 01 ईकाई का लक्ष्य है। प्रमंडल के औरंगाबाद एवं अरवल जिलों को भी 06-06 इकाइयों के लक्ष्य उपलब्ध एवं राशि उपलब्ध कराई गई है। जमीन के लिये न्यूनतम नौ वर्ष के लिए निबंधित पट्टा चाहिए। योजना में लाभुकों के चयन में पहले आओ पहले पाओ सिद्धांत का पालन किया जाएगा।
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