जिस शहर में 40 साल तक लगाई झाड़ू, वहीं बनीं डिप्टी मेयर; पढ़िए चिंता देवी की प्रेरणादायक कहानी
गयाजी नगर निगम की डिप्टी मेयर चिंता देवी जो कभी गलियों में झाड़ू लगाती थीं आज नारी सशक्तिकरण की मिसाल हैं। गरीबी और मुश्किलों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। सफाईकर्मी रहते हुए उन्होंने चुनाव लड़ा और जीता। उनका कहना है कि महिलाओं को मौका मिले तो वे नई ऊंचाइयां छू सकती हैं। 40 साल तक सफाई करने के बाद लोगों के प्रोत्साहन से उन्होंने चुनाव जीता।

संजय कुमार, गयाजी। नगर निगम गयाजी की डिप्टी मेयर चिंता देवी ने साबित कर दिया कि हिम्मत और मेहनत के आगे किसी भी बाधा की कोई हैसियत नहीं। कभी शहर की गलियों में झाड़ू लगाकर रोजी-रोटी कमाने वाली चिंता देवी आज शहर की दूसरी बड़ी जनप्रतिनिधि बनी है।
उनकी पद नारी सशक्तीकरण की ऐसी मिसाल है, जो प्रदेश के लिए प्रेरणा है। समाज के सबसे नीचे पायदान पर रहने गरीबी और कठिन हालात के बावजूद चिंता देवी ने हार नहीं मनी। नगर निगम में सफाईकर्मी रहते हुए उन्होंने शहर की समस्याओं को करीब से देखने और बदलाव की ठानी।
आम महिलाओं की तकलीफों को अपनी ताकत बनाते हुए उन्होंने ढाई वर्ष पहले निगम चुनाव में भाग लिया और विजय हासिल की। उनका कहना है कि महिलाओं को अगर अवसर मिले तो वे किसी भी क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू सकती है। उनकी सफलता ने यह संदेश दिया है कि आधी आबादी अब सिर्फ घर तक सीमित नहीं, बल्कि नेतृत्व की बागडोर संभालने में भी सक्षम है।
40 वर्षो तक शहर की गलियों की सफाई
चिंता देवी कहती है कि 40 वर्षो तक शहर की गलियों में झाडू लगाने की काम की। नगर निगम में मेरी माता जजिया देवी भी सफाईकर्मी थीं। भाई के नहीं करने से शादी के बाद पति रामजी मांझी के साथ मां के घर में रहने लगी। मेरा ससुराल और मायके भी शहर में ही है। वहीं पति गरीबी दूर करने के लिए राजमिस्त्री का काम करते हैं।
इसी बीच उनका निधन हो गया। इधर, मां को देखने वाला कोई नहीं था, जब वे बीमार पड़ीं तो अपना काम मुझे दिया। कुछ दिनों बाद उनका भी निधन हो गया।
गरीबी के कारण नहीं गई स्कूल
डिप्टी मेयर का कहना है कि गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा सके, क्योंकि मेरी मां के वेतन मात्रा चार सौ रुपये मिलता है। इतनी कम पैसे घर चलाने में समाप्त हो जाएगा। पढ़ाई करने के लालसा रहने के बाद भी स्कूल नहीं जा सकती। उन्होंने कहा कि शिक्षा के महत्व समझने के बाद आज हमारे पोता-पोती सरकारी विद्यालय में पढ़ाई कर रहे है।
तीन पुत्र में दो नगर निगम में सफाईकर्मी
चिंता देवी के तीन पुत्र हैं। इनमें भोला मांझी और बबलू मांझी नगर निगम में सफाईकर्मी हैं। वहीं मोहित मांझी ई-रिक्शा चलाकर परिवार को भर-पोशन कर रहा है। डिप्टी मेयर ने कहा कि 2020 में नगर निगम से सेवानिवृत होने के बाद शहर में स्थित केदारनाथ मार्केट पर सब्जी बचने का काम किया करते थे।
इससे शहर के लोगों से पहचान बनते गया। साथ ही गालियों की सफाई बेहतर करने के कारण शहरवासियों के नजदीक आ गए थे। सब्जी बेचने के क्रम में लोगों ने मेरे बेहतर कार्य को देखते हुए डिप्टी मेयर पद के लिए 2022 में चुनाव लड़ने का प्रोत्साहित किया, लेकिन नामांकन के लिए पैसा न होने से चुनाव लड़ने से इन्कार दिया था।
इन्कार करने के बाद कुछ सब्जी विक्रेताओं ने नामांकन का पैसा दिया था। नामांकन के बाद चुनाव मैदान में उतर गई। शहर में पैदल चलकर प्रत्येक लोगों से एक वोट के आग्रह किया। उसके बाद 28 हजार मतों से चुनाव में बाजी मार दी। आज शहरवासियों के कृपा से गयाजी नगर निगम के डिप्टी मेयर के पद कार्यरत हूं।
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