शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना शुरु, गली-गली में गूंजे शैलपुत्री के मंत्र, स्थापित हुए कलश
पटना में नवरात्र के पहले दिन मंदिरों और घरों में मां शैलपुत्री की आराधना की गई। सुबह से ही मंदिरों में मंत्र और शंख की ध्वनि गूंजने लगी। श्रद्धालुओं ने गंगा घाटों से कलश भरकर स्थापित किए और नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव की शुरुआत की। भक्तों ने मां शैलपुत्री की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की।

जागरण संवाददाता, पटना। नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम..मां दुर्गा के आह्वान के साथ ही मंदिरों और घरों में नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की गई। राजधानी के मंदिरों, पूजा पंडालों और घरों में सुबह पौ फटने के पहले से देवी मंत्र, शंख व घंटी की आवाज गूंजने लगी। घरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था, भक्ति व श्रद्धा के साथ कलश स्थापित कर नौ दिवसीय शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना शुरु कर की।
कलश स्थापना के लिए राजधानी के गंगा घाटों पर गंगाजल और मिट्टी के लिए रविवार व सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। मौके पर राजधानी के कई पूजा पंडालों और श्रद्धालुओं ने गंगा घाट से कलश यात्राएं निकाली। नवरात्र के पहले दिन घरों के अलावा मंदिरों और पूजा पंडालों में भी बड़ी संख्या में लोगों ने कलश स्थापना की। डाकबंगला चौराहा पर स्थित पूजा पंडाल में 15 कलश की स्थापना की गई। इसमें तीन कलश चौकी पर स्थापित किए गए। इसी तरह अन्य पूजा पंडालों में कलश स्थापित कर पूजन आरंभ हुआ।
छाती पर कलश रख आराधना में लीन
सचिवालय स्थित नौलखा मंदिर में बाबा नागेश्वर दास ने नवरात्र के पहले दिन अपनी छाती पर कलश स्थापित किया। उन्होंने छाती पर पीतल के 21 कलश स्थापित कराया। वे बीते 29 वर्षों से अपने छाती पर कलश स्थापित कर नवरात्र में में मां दुर्गा की पूजा करते आ रहे हैं। बाबा नागेश्वर इस दौरान अन्न, जल और नित्य क्रिया का त्याग करते हैं। बाबा और उनके कलश को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु नौलखा मंदिर पहुंचते हैं। बाबा बताते हैं कि कलश स्थापित करने की प्रेरणा मां दुर्गा से मिलती है।
बाजार में बढ़ी फल-फूलों की मांग
बाजार में फल-फूल की मांग बढ़ गई है। नवरात्र के पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवती के लिए उपवास रख फलों का सेवन किया। राजधानी के कंकड़बाग, जगदेवपथ, गर्दनीबाग, अनीसाबाद आदि इलाकों में गेंदा फूल की माला की कीमत 20 रुपये तक चढ़ गई। इस दौरान कमल के फूल की मांग रही। इसकी कीमत 25 रुपये प्रति पीस रही। पान पत्ता, सुपारी आदि की कीमत में भी इजाफा देखा गया।
श्रद्धालुओं ने किया मां शैलीपुत्री का पूजन
नवरात्र के पहले दिन भक्तों ने धूप, दीप, फूल, माला, रोली, अक्षत चढ़ा कर मां शैलपुत्री की पूजा की। मां को सफेद फूल और मिठाई अर्पित की गई। ज्योतिषाचार्य पीके युग ने बताया की मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप के मंत्र जाप से भक्तों की इच्छा शक्ति में बढ़ोतरी होती है। मां अपने मस्तक पर अर्द्ध चंद्र धारण करती हैं, इसलिए इनके पूजन और मंत्र जाप से चंद्रमा संबंधित दोष समाप्त होते हैं। श्रद्धालुओं को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
सप्तशती के श्लोकों से गूंजे शक्तिपीठ
शारदीय नवरात्र पर शक्तिपीठों में दुर्गा सप्तशती के श्लोक गूंजने लगे। श्रद्धालुओं ने कलश स्थापना के साथ नवरात्र की उपासना शुरू की। सोमवार को शक्तिपीठों व पूजा पंडालों में वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ कलश स्थापित की गई। शक्तिपीठों में बड़ी व छोटी पटन देवी, शीतला माता मंदिर, काली मंदिर, दरभंगा हाऊस काली मंदिर सहित अन्य देवी मंदिरों में दर्शन को भक्तों की भीड़ लगी रही।
ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग में मां दुर्गा का पूजन
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा में सोमवार को शुक्ल व जयद योग के शुभ संयोग में कलश स्थापित कर श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलीपुत्री का पूजन किया। ज्योतिष आचार्य राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि नौ वर्ष बाद चतुर्थी तिथि दो होने से इस बार भक्तों को 10 दिनों तक मां दुर्गा की सेवा करने अवसर मिलेगा।
2016 में द्वितीया तिथि की वृद्धि हुई थी। मां दुर्गा का आगमन हाथी पर व गमन पालकी पर होना शुभ माना गया है। इससे वर्षा, शुभता एवं सौख्य की प्राप्ति होगी। नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं ने दुर्गा सप्तशती, रामचरित मानस, सुंदरकांड, रामरक्षा स्त्रोत, दुर्गा सहस्त्र नाम, अर्गला, कवच, कील, सिद्ध कुंजिका स्त्रोत आदि का पाठ किया।
नवरात्र के मौके पर नौ देवी के अलग-अलग स्वरूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री की पूजा उपासना करने से श्रद्धालु के जीवन में आनंद की अनुभूति होने के साथ सुख-समृद्ध में वृद्धि होती है।
कुष्मांडा मां की दो दिन पूजा
शारदीय नवरात्र के दौरान चतुर्थी तिथि दो दिन होने से कुष्मांडा माता की पूजा दो दिन होगी। आश्विन मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी दो दिन 25 और 26 सितंबर को रहेगा। ऐसे में शारदीय नवरात्र 10 दिनों का होगा। महाष्टमी 30 सितंबर को तथा महानवमी का व्रत एवं पूजन एक अक्टूबर बुधवार को होगा।
नवरात्रि में इन देवियों की होगी पूजा
22 सितंबर प्रथम तिथि: मां शैलीपुत्री
23 सितंबर द्वितीया तिथि: ब्रह्मचारिणी
24 सितंबर तृतीया तिथि: चंद्रघंटा
25 सितंबर चतुर्थी तिथि: कूष्माण्डा
26 सितंबर चतुर्थी तिथि: कूष्माण्डा
27 सितंबर पंचमी तिथि: स्कंदमाता
28 सितंबर षष्ठी तिथि: कात्यायनी
29 सितंबर सप्तमी तिथि: कालरात्रि
30 सितंबर अष्टमी तिथि: महागौरी
1 अक्टूबर नवमी तिथि: सिद्धिदात्री
2 अक्टूबर दशमी तिथि: विजयादशमी
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