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    नेपाल के Gen-Z Protest में मोतिहारी के दानिश ने लिया भाग, संसद कूच के दौरान झेली गोली; बताया कैसा था माहौल

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 07:26 PM (IST)

    बिहार के मोतिहारी के रहने वाले दानिश आलम काठमांडू के ट्रॉमा सेंटर में इलाज करा रहे हैं। सरकार विरोधी प्रदर्शन में शामिल होने पर उन्हें गोली लगी थी। दानिश को खुशी है कि जिस बदलाव के लिए वे सड़कों पर उतरे थे वह अब हकीकत बन चुका है। नेपाल की नई प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के पद संभालने से वे संतुष्ट हैं।

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    संसद में कूच के दौरान झेली पुलिस की गोली। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, रक्सौल, पूच। नेपाल की राजधानी काठमांडू के ट्रॉमा सेंटर में इलाज करा रहे दानिश आलम मूल रूप से बिहार के मोतिहारी के रहने वाले हैं। 9 सितंबर को सरकार विरोधी जेन-जी प्रदर्शन के दौरान दानिश भी रैली में शामिल थे। इसी दौरान उन्हें बाएं हाथ में गोली लगी।

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    फिलहाल उनका इलाज युवा अस्पताल में चल रहा है। दानिश कहते हैं कि उन्हें खुशी है, क्योंकि जिस बदलाव के लिए वे सड़कों पर उतरे थे, वह अब हकीकत बन चुका है। नेपाल की नई प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के पद संभालने से दानिश खुद को संतुष्ट महसूस कर रहे हैं।

    नेपाल के काठमांडु में रहता है परिवार

    उन्होंने बताया कि वे काठमांडू के बल्खु इलाके में रहते हैं। 12वीं पास करने के बाद अब मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला लेने वाले हैं।

    करीब दस साल पहले उनके माता-पिता मोतिहारी से नेपाल आकर बस गए थे। उनके पिता काठमांडू में ही दुकान चलाते हैं। उस भयावह मंजर को याद कर दानिश सिहर उठते हैं।

    वे बताते हैं, 9 सितंबर की सुबह करीब 10 बजे घर के बाहर शोर सुनाई दिया। मैंने देखा कि मेरे स्कूल के दोस्त प्रदर्शन में जा रहे हैं। मैं भी उनके साथ चल पड़ा। धीरे-धीरे भीड़ बढ़ती गई और हम सब संसद भवन की ओर बढ़ गए।

    बल्खु से आगे कालीमाटी पुलिस स्टेशन के पास जैसे ही रैली पहुंची, पुलिस ने रोकने की कोशिश की। प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। भीड़ जब काबू से बाहर होने लगी, तो पुलिसकर्मी इमारत की छत पर चढ़ गए और वहीं से गोली चलाने लगे।

    इसी क्रम में एक गोली मेरे हाथ में लगी, खून बहने लगा। दोस्तों ने तुरंत मुझे अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टर ने बताया कि गोली बाजू को आर-पार चीरते हुए निकल गई थी। दानिश कहते हैं कि हमें जो चाहिए था, वह मिल गया। यही हमारी सबसे बड़ी जीत है।

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