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    प्रॉपर्टी विवाद के बीच सामने आया पारस का बयान, चिराग और रामविलास का भी लिया नाम; बोले- घर से लेकर दिल्ली तक...

    चिराग पासवान ने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन करके अपने पिता रामविलास पासवान के सिद्धांतों और सपनों को तोड़ दिया है। पशुपति पारस ने चिराग के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा और कहा कि हर सीट पर पार्टी की मजबूत स्थिति है।

    By Mukesh Srivastava Edited By: Mukul Kumar Updated: Sat, 05 Apr 2025 10:37 PM (IST)
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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    जागरण संवाददाता, दरभंगा। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख सह पूर्व मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि चिराग पासवान ने पिता के सपने और सिद्धांतों के विरुद्ध वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया है।

    चिराग पिता को भगवान मानता है, लेकिन उनकी इच्छा के विरुद्ध काम किया। वे शनिवार को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के जुबली हाल में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

    उन्होंने कहा कि हम वफ्फ बिल का विरोध करते हैं। जो अकलियत के साथी हैं, उनके साथ अन्याय हुआ। भारत एक बगीचा है। यहां सभी प्रकार के फूल खिलते हैं। सबका अपना मौलिक अधिकार है।

    बड़े भाई पद्मश्री स्व. रामविलास पासवान जीवन भर इसका पुरजोर समर्थन करते रहे। मगर लोकसभा और राज्यसभा में जिस तरह बिल पास हुआ, हम उसका विरोध करते हैं।

    विधानसभा चुनाव को लेकर दिया संदेश

    उन्होंने कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा। कहा कि हर सीट पर पार्टी की मजबूत स्थिति है। हर कार्यकर्ता संगठन को मजबूत कर पार्टी के सिद्धांत और कार्यों को घर-घर तक पहुंचाएं।

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    जनता उनके साथ है। चुनाव परिणाम साबित कर देगा कौन सही और कौन गलत है। एक सवाल के जवाब में कहा कि दल बंट गया तो जुड़ सकता है, लेकिन दिल बंट गया जो नहीं जुड़ता है।

    वे भी चाहते हैं कि घर से लेकर दिल्ली तक संपत्ति का बंटवारा हो। राजनीति साजिश के तहत संपत्ति विवाद चल रहा है। कुछ ही दिनों में सब कुछ साफ हो जाएगा।

    पारस ने कहा कि बड़ी भाभी को मां मानते हैं। वह 50 साल से घर में रह रही हैं। जहां तीनों भाइयों के परिवार रहते हैं। तीनों भाई राम, लक्ष्मण, भरत की तरह रहते थे।

    यह राजनीतिक मनभेद का मामला है। उनकी भाभी राजकुमारी देवी पढ़ी-लिखी नहीं हैं। थाने में जो शिकायत दर्ज हुई, उसमें उनका अंगूठा लगवाया गया है। यह जांच का विषय है।

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